बच्चों पर अब नहीं रहेगा होमवर्क का बोझ
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नेशनल काउंसिल ऑफ़ रिसर्च एंड ट्रेनिंग ने बच्चों को होमवर्क से निजात दिलाने का फैसला किया है। परिषद ने यह साफ कर दिया है कि सभी 18000 स्कूल जो एनसीइआरटी का पाठ्यक्रम का पालन करते हैं, वहां अब कक्षा दो तक के छात्रों को होमवर्क नहीं दिया जाएगा और कक्षा तीन तक केवल तीन ही विषय पढ़ाए जाएंगे।
वकील एम पुरूषोत्तम ने मद्रास हाई कोर्ट में यह याचिका दायर की थी कि सीबीएससी सख्त रूप से एनसीईआरटी पाठ्यक्रम का पालन करें और विद्यार्थियों को भार से मुक्त रखे। जवाब में हलफनामा दर्ज करते हुए एनसीईआरटी ने कहा कि बच्चों को किताब से रटने के बजाए यह सीखना है कि जानकारी तक कैसे पहुंचे और उसका उपयोग कैसे हो। काउंसिल ने कहा कि स्कूलों में बच्चों को अच्छा और बहुत अच्छा जैसी श्रेणी में बांटने का काम समाज में भेदभाव को बढ़ावा देता है।
काउंसिल ने कहा कि जो स्कूल छात्रों की क्षमताओं के आधार पर उन्हें अलग अलग श्रेणियों में रखते हैं, अपने बच्चों को उस विद्यालयो में पढाने की बात पर गर्व करने के बजाए अभिभावको को इस बात का विरोध करना चाहिए। छात्रों को क्षमताओं के आधार पर नाम देने का काम, उनपर बहुत ही भयानक प्रभाव डालता है, इस तरह के कामों को रोकने के लिए पालकों को जागरूक होना चाहिए।
याचिकाकर्ता के अनुसार, सीबीएसई के अंतर्गत एनसीईआरटी पाठ्यक्रम कक्षा 1 में केवल तीन विषय होने चाहिए। मातृभाषा, अंग्रजी और गणित लेकिन वास्तविकता में देखा जाए तो उन्हें सामान्य ज्ञान, हिंदी, विज्ञान जैसे अलग अलग 8 विषयों को पढ़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
फरवरी में दिए अपने बयान में मानव संसाधन एवं विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा था कि, अगले सत्र 2019 से एनसीइआरटी पाठ्यक्रम को आधा कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा था कि स्कूल का सिलेबस बी.कॉम के सिलेबस से ज्यादा है, जिससे छात्र को और कामों के लिए समय नहीं मिल पाता जिससे उनका विकास रुक जाता है।
Created On :   20 April 2018 10:05 PM IST