बीजेपी ने डाले डोरे, येदियुरप्पा के लिए पिघलेंगे कांग्रेस के लिंगायत विधायक !
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। बीएस येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद भाजपा ने जरूरी विधायकों की संख्या जुटाने का जोड़-तोड़ तेज कर दी है। राज्यपाल ने विधानसभा के फ्लोर पर अपना बहुमत साबित करने के लिए भाजपा को 15 दिन का समय दिया है। भगवा पार्टी ने अब कांग्रेस के उन 12 लिंगायत विधायकों पर अपना ध्यान केंद्रित किया है, जो कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन से खुश नहीं हैं।
इन कांग्रेस विधायकों पर है बीजेपी की नजर
सूत्रों के अनुसार ये कांग्रेसी विधायक, बीएस येदियुरप्पा के समर्थक माने जाते हैं। बीजेपी ने इन विधायकों को अपने पाले में लाने के प्रयास तेज कर दिए हैं। हाल के दिनों में लिंगायतों में बीजेपी की लोकप्रियता बढ़ी है। यह समुदाय लिंगायतों को पृथक धर्म का दर्जा देने के कांग्रेस के प्रयासों से कहीं ज्यादा, बीजेपी द्वारा सीएम पद के प्रत्याशी के रूप में बीएस येदियुरप्पा को आगे करने के निर्णय से प्रभावित हुआ है। इसके विपरीत, एचडी कुमारस्वामी वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं, इस लिए लिंगायत विधायक उन्हें भावनात्मक रूप से, येदियुरप्पा की तुलना में, अपने नजदीक नहीं पाते। वे कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन का शुरूआत से ही विरोध कर रहे हैं।
मुद्दा बना लिंगायत बनाम वोक्कालिगा
सन 2007 में टेन्योर शेयरिंग डील का उल्लंघन करने और कुमारस्वामी द्वारा सीएम की कुर्सी छोड़ने से इनकार करने के बाद से वोक्कालिगा और लिंगायतों के बीच राजनीतिक रूप से बिलगाव पैदा हो गया था। इसके बाद से ही राज्य की राजनीति में दोनों समुदाय एक दूसरे के राजनीतिक विरोधी के रूप में जाने जाते हैं। कांग्रेस के समर्थन से वोक्कालिगा समुदाय के कद्दावर नेता कुमारस्वामी के मुख्यमंत्री बनने की संभावना लिंगायत समुदाय के इन कांग्रेस नेताओं को रास नहीं आ रही थी। अब जबकि येदियुरप्पा ने सीएम पद की शपथ ले ली है, तो इससे उन्हें फौरी तौर पर राहत ही मिली होगी। वे कभी नहीं चाहेंगे कि येदियुरप्पा निर्धारित तिथि को अपना बहुमत साबित नहीं कर पाएं। भाजपा का मानना है कि इन विधायकों को आसानी से अपने पाले में लाया जा सकता है।
हमें मिला सरकार बनाने का जनादेश, भाजपा का तर्क
पार्टी सूत्रों के अनुसार भाजपा 3 या 4 अन्य विधायकों को भी अपने पाले में लाने का प्रयास कर रही है, ताकि विश्वास मत के दौरान येदियुरप्पा को किसी तरह की परेशान न हो। बीजेपी तर्क दे रही है कि राज्य के मतदाताओं ने कांग्रेस के खिलाफ जनादेश दिया है, जबकि जेडीएस बहुत ज्यादा अंतर के साथ तीसरे स्थान पर आई है। केवल आठ सीटें कम मिलने से सत्ता पर उसका दावा खत्म नहीं हो जाता। उसने पिछले चुनाव की तुलना में 60 से अधिक सीटें जीती हैं। इसका मतलब यह है कि इस बार सरकार बनाने का जनादेश भाजपा को ही मिला है। कांग्रेस और भाजपा एक अनैतिक गठबंधन के माध्यम से जनादेश को चुनौती देने का काम कर रही हैं।
जनादेश का सम्मान करे कांग्रेस, प्रसाद की नसीहत
उन्होंने याद दिलाया कि गुजरात में सन 1996 में बीजेपी ने सबसे अधिक सीटें हासिल की थीं। इसके बाद शंकर सिंह वाघेला को मुख्यमंत्री बनाया गया था। उनकी सरकार ज्यादा समय तक नहीं चल सकी थी। कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने नसीहत दी कि कांग्रेस को जनादेश को स्वीकार करने के साथ-साथ उसका सम्मान भी करना चाहिए। उन्होंने निवर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की आलोचना की, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर राज्य में हार्स ट्रेडिंग शुरू करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि विधायकों की खरीद-फरोख्त बीजेपी का चरित्र नहीं है। कानूनमंत्री ने कहा इस खेल में तो कांग्रेस हमेशा से ही भाजपा पर भारी पड़ती रही है।
Created On :   17 May 2018 11:00 AM IST