अब कमिश्नर व डीएम को मिला आरक्षण श्रेणी की भूमि का पुनर्ग्रहण का अधिकार
- अब कमिश्नर व डीएम को मिला आरक्षण श्रेणी की भूमि का पुनर्ग्रहण का अधिकार
लखनऊ, 1 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में विकास की परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए प्रदेश सरकार ने ग्राम सभा की आरक्षित श्रेणी की भूमि के पुनग्र्रहण, श्रेणी परिवर्तन व विनिमय की अपनी शक्तियां जिलाधिकारियों व मंडलायुक्तों को हस्तांतरित करने का फैसला किया है।
इससे विकास से जुड़े सरकारी प्रोजेक्ट के लिए जमीन की व्यवस्था में तेजी आएगी।
सरकार ने आरक्षित श्रेणी की भूमियों के पुनर्ग्रहण, श्रेणी परिवर्तन और विनिमय के अधिकार मंडलायुक्त और कलेक्टर (डीएम) को देने का फैसला किया है। जिलाधिकारी 40 लाख रुपये मूल्य तक की भूमि का पुनर्ग्रहण कर सकेंगे। वहीं मंडलायुक्त को 40 लाख रुपये से अधिक मूल्य की भूमि के पुनर्ग्रहण का अधिकार होगा। अभी तक यह अधिकार शासन में निहित थे।
राजस्व विभाग के इस प्रस्ताव को बाई सकरुलेशन में मंजूरी दे दी है। सरकार के इस फैसले से एक्सप्रेसवे, डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे परियोजनाओं के निर्माण तथा राजकीय मेडिकल कॉलेजों और महाविद्यालयों की स्थापना के लिए भूमि शीघ्रता से उपलब्ध कराई जा सकेगी।
अब सेवारत विभागों के लिए यदि सुरक्षित श्रेणी के चारागाह, कब्रिस्तान, खलिहान, चकरोड़, तालाब व आबादी स्थल के पुनर्ग्रहण की भी जरूरत होगी तो यह कार्रवाई भी जिलाधिकारी करेंगे। सरकार ने अपना यह अधिकार भी डीएम को हस्तांतरित कर दिया है।
सरकारी परियोजनाओं के लिए अधिगृहीत की गई भूमि के बीच में आरक्षित श्रेणी की कोई जमीन आ जाती है। इससे परियोजना में रुकावट आती है। परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए सरकार को ऐसी जमीन की श्रेणी बदलनी पड़ती है और उसका पुनर्ग्रहण करना पड़ता है। बदले में उसी प्रयोजन के लिए उतनी ही जमीन अन्य स्थान पर उपलब्ध करानी पड़ती है। जमीन के पुनर्ग्रहण, श्रेणी परिवर्तन और विनिमय की शक्ति शासन के पास होने की वजह से ऐसे प्रस्ताव शासन को भेजे जाते थे।
इससे परियोजनाओं में विलंब होता था। इसलिए शासन ने अब यह अधिकार मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को दे दिए हैं। आरक्षित श्रेणी की भूमि के तहत खलिहान, चरागाह, खाद के गड्ढे, कब्रिस्तान या श्मशान, तालाब की जमीन और नदी के तल में स्थित भूमि आदि आती हैं।
Created On :   1 July 2020 9:01 AM GMT