जीएनसीटीडी अधिनियम के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, रोज केवल दिल्ली सरकार के मामलों की सुनवाई करनी होती है?

On the petition against the GNCTD Act, the Supreme Court said, only Delhi government cases have to be heard every day?
जीएनसीटीडी अधिनियम के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, रोज केवल दिल्ली सरकार के मामलों की सुनवाई करनी होती है?
सुप्रीम कोर्ट की तीखी प्रतिक्रिया जीएनसीटीडी अधिनियम के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, रोज केवल दिल्ली सरकार के मामलों की सुनवाई करनी होती है?

 डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार (जीएनसीटी) दिल्ली (संशोधन) अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से फिर से अनुरोध किया, जिस पर शीर्ष अदालत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ए. एम. सिंघवी ने प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ से आग्रह किया कि सुनवाई के लिए याचिका सूचीबद्ध की जाए, जिस पर पीठ ने कहा, कि एक दिन पहले ही एक वकील ने दिल्ली-केंद्र मामले का जिक्र किया था। पीठ ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, हर रोज हमें दिल्ली सरकार का ही मामला सुनना पड़ता है? हम इसे सूचीबद्ध करेंगे, श्रीमान सिंघवी, इसे यहीं छोड़ दें। पीठ ने कहा कि वह मामले को उचित पीठ के समक्ष रखेगी। दिल्ली सरकार की याचिका में कार्य संचालन नियम के कुछ प्रावधानों को भी चुनौती दी गई है, जो कथित तौर पर उपराज्यपाल को अधिक शक्ति सौंपते हैं। इस दौरान सिंघवी ने उनके द्वारा तत्काल सुनवाई के लिए उठाए गए मामले और वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा द्वारा मंगलवार को उठाए गए मामले के बीच अंतर स्पष्ट करना चाहा। सिंघवी ने कहा कि वह एक रिट याचिका को सूचीबद्ध करने का अनुरोध कर रहे हैं जो अनुच्छेद 239एए (संविधान के तहत दिल्ली की स्थिति) से संबंधित है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) अधिनियम और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली नियम, 1993 के कार्य संचालन के 13 नियमों को चुनौती देती है। इससे पहले दिल्ली सरकार ने इसी याचिका का तत्काल सुनवाई के लिए 13 सितंबर को उल्लेख किया था और उस वक्त शीर्ष अदालत इसे सूचीबद्ध करने को सहमत हो गई थी। दिल्ली सरकार ने अपनी याचिका में जीएनसीटीडी अधिनियम की चार संशोधित धाराओं और 13 नियमों को विभिन्न आधारों पर रद्द करने का अनुरोध किया है, जैसे कि बुनियादी ढांचे के सिद्धांत का उल्लंघन, सत्ता का पृथक्करण, क्योंकि उपराज्यपाल को निर्वाचित सरकार की तुलना में कथित तौर पर ज्यादा अधिकार दिए गए हैं। दिल्ली सरकार ने मंगलवार को एक अन्य याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी, जो दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं को नियंत्रित करने के विवादास्पद मुद्दे पर 2019 के विभाजन के फैसले से उत्पन्न हुई थी। शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह दिवाली की छुट्टी के बाद इसके लिए एक पीठ का गठन करेगी।

 

(आईएएनएस)

Created On :   6 Oct 2021 5:00 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story