CJI के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में विपक्ष, ड्राफ्ट तैयार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विपक्षी पार्टियां चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में हैं। कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने इस प्रस्ताव को संसद में रखने की पूरी तैयारी कर ली है। प्रस्ताव से संबंधित मसौदे पर कांग्रेस के साथ-साथ NCP, TMC सहित कुछ क्षेत्रीय दलों ने हस्ताक्षर भी कर दिए हैं।
एनसीपी के वरिष्ठ नेता डीपी त्रिपाठी ने कहा है कि कई विपक्षी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के मसौदे पर दस्तखत किए हैं। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है वामदलों समेत NCP, TMC और कांग्रेस ने भी इस मसौदे पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इससे पहले खबर आई थी कि कांग्रेस ने चीफ जस्टिस मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का एक मसौदा कई दलों को बांटा है। बता दें कि जब किसी बड़े अधिकारी या प्रशासक पर विधानमंडल के सामने कोई आरोप लगाना होता है तो इसके लिए महाभियोग लाना पड़ता है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने इस साल जनवरी में देश के इतिहास में पहली बार चीफ जस्टिस पर सवाल खड़े किए थे। इन जजों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरह से काम नहीं कर रहा है और यदि ऐसा ही चलता रहा, तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। जजों द्वारा उठाए गए इन मुद्दों पर जमकर बवाल मचा था। तमाम विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे पर केन्द्र सरकार की खिंचाई की थी। सीपीएम महासचिव सीतराम येचुरी ने विपक्षी दलों के साथ मिलकर जस्टिस मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की बात भी कही थी।
इस मामले पर पहले कांग्रेस पार्टी में राय बंटी हुई थी। कांग्रेस के कुछ नेता चीफ जस्टिस के खिलाफ प्रस्ताव का समर्थन कर रहे थे तो कुछ का मानना था कि पार्टी को सुप्रीम कोर्ट के इस मामले में दखन नहीं देना चाहिए। हालांकि अन्य विपक्षी पार्टियों के साथ कई दौरों की बैठक के बाद कांग्रेस ने चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाने का मन बना लिया।
क्या था चीफ जस्टिस विवाद
जस्टिस जे चेलामेश्वर के नेतृत्व में जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीफ जस्टिस को सवालों के घेरे में लिया था। चारों जजों ने सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न मामलों को आवंटित करने में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। जजों का यह आरोप था कि चीफ जस्टिस की ओर से कुछ मामलों को चुनिंदा बेंचों और जजों को ही दिया जा रहा है। जजों ने इस दौरान जस्टिस लोया केस का मामला जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच को सौंपने पर भी सवाल खड़ा किया था। बता दें कि जस्टिस बीएच लोया की 1 दिसंबर 2014 को हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। वे सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे थे। गुजरात के इस चर्चित मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत गुजरात पुलिस के कई आला अधिकारियों के नाम आए थे।
मीडिया के सामने अपनी बात रखते हुए चार जजों ने कहा था, "करीब दो महीने पहले हमनें चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर बताया कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक से नहीं चल रहा है लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए हमनें देश के सामने यह बात रखने की सोची।" इस दौरान जजों ने यह भी कहा था कि वे नहीं चाहते कि 20 साल बाद कोई बोले कि जस्टिस चेलामेश्वर, गोगोई, लोकुर और कुरियन जोसेफ ने अपनी आत्मा बेच दी और संविधान के मुताबिक सही फैसले नहीं दिए।
Created On :   27 March 2018 8:55 PM IST