हाईलाइट
  • जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर सरकार बनाने की कवायद तेज हो गई है।
  • तीन बड़ी पार्टी - पीडीपी
  • एनसी और कांग्रेस मिलकर कश्मीर में सरकार बना सकते हैं।
  • पीडीपी के सीनियर लीडर और पूर्व वित्त मंत्री अल्ताफ बुखारी सीएम बनने की रेस में सबसे आगे हैं।

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग कर दी गई है। अब किसी भी पार्टी की सरकार बनाने की संभावना खत्म हो गई है। दरअसल, बीजेपी के खिलाफ तीन बड़ी पार्टी - पीडीपी, एनसी और कांग्रेस ने एकजुट होकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था। इसके बाद राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दी। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने धारा 53 के तहत विधानसभा भंग करने का आदेश दिया। बता दें कि 19 जून से यहां राज्यपाल शासन लगा हुआ था। 

 

 

विधानसभा भंग करने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट करते हुए कहा, "नेशनल कॉन्फ्रेंस 5 महीनों से असेंबली भंग करने की मांग कर रही थी। यह एक संयोग नहीं हो सकता है कि महबूबा मुफ्ती के लेटर के कुछ मिनट बाद ही विधानसभा भंग करने का आदेश राज्यपाल दे दें।"

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया, "टेक्नोलॉजी के इस दौर में, यह बहुत अजीब है कि राज्यपाल के निवास पर फैक्स मशीन को हमारा फैक्स नहीं मिला लेकिन विधानसभा भंग करने के संबंध में आदेश तेजी से जारी किया गया।" उन्होंने कहा,  "एक राजनेता के रूप में मेरे 26 साल पुराने करियर में, मैंने सोचा कि मैंने ये सब देखा है! लेकिन जैसा वे कहते हैं कभी नहीं कहते! फिर भी, मैं असंभव को प्राप्त करने में हमारी सहायता के लिए उमर अब्दुल्लाह और अंबिका सोनी जी का दिल से आभार व्यक्त करना चाहती हूं।"

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, "मैंने आज दोपहर में भी कहा था कि यह सिर्फ एक सुझाव है और अभी तक पीडीपी-एनसी-कांग्रेस गठबंधन पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। लेकिन बीजेपी ने असेंबली भंग कर दी, भले ही केवल एक प्रस्ताव बनाया गया हो।" वहीं कांग्रेस प्रवक्ता संजय झा ने कहा, "जम्मू-कश्मीर में बीजेपी की डर्टी पॉलिटिक्स उसकी अक्षमता को दर्शाती है।"

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रवीन्द्र रैना ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग होने पर कहा, "बीजेपी राज्यपाल द्वारा लिए गए फैसले का स्वागत करती है। एक बार फिर नेशनल कॉन्फ्रेंस,कांग्रेस और पीडीपी ने जम्मू-कश्मीर में साजिश रची जो जम्मू और लद्दाख से अन्याय करेगा। क्या वे चुनाव से पहले गठबंधन बनाएंगे?"

पीडीपी के बागी विधायक इमरान अंसारी ने कहा, अगर राज्यपाल ने हमें फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाया होता, तो हम उन्हें अपनी संख्या दिखाते। लेकिन अब स्थिति अलग है, चुनाव ही एकमात्र विकल्प है। अगर महबूबा जी सोचती हैं कि यह अलोकतांत्रिक है, तो इस लोकतांत्रिक देश में उसके पास बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं।

कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा, महबूबा जी को कोर्ट में जाना चाहिए क्योंकि केंद्र के निर्देश पर राज्यपाल ने जो किया है वह अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है। महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को कांग्रेस और नैशनल कॉन्फ्रेंस से समर्थन मिलने के बाद पत्र लिखा था और राज्यपाल को उन्हें एक मौका देना चाहिए। 

इससे पहले पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने ट्विटर पर राजभवन को भेजा लेटर साझा किया था। महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि राजभवन को सरकार बनाने का दावा पेश करने का लेटर भेजने की कोशिश की जा रही है, लेकिन आश्चर्यजनक तरीके से राजभवन में किसी ने भी फैक्स रिसीव नहीं किया। अब उन्हें मेल के जरिए ये लेटर भेजा जा रहा है। इस लेटर में 56 विधायकों के बहुमत के साथ सरकार बनाने का दावा किया गया है। इस गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी पीडीपी के 29, नेशनल कॉन्फ्रेंस के 15 और कांग्रेस के 12 विधायक हैं। 

 


 

अब तक माना जा रहा था गठबंधन की सरकार बनती है तो पीडीपी के सीनियर लीडर और पूर्व वित्त मंत्री अल्ताफ बुखारी सीएम बनेंगे। सूत्र बताते हैं कि पीडीपी अध्यक्ष मेहबूबा मुफ्ती चाहती हैं कि फारूक अब्दुल्ला गठबंधन का नेतृत्व करें। हालांकि NC ने सरकार का हिस्सा न बनने और पीडीपी-कांग्रेस गठबंधन को बाहर से समर्थन देने का फैसला नहीं किया है।

इससे पहले PDP नेता अल्ताफ बुखारी ने कहा था कि लोकतंत्र में हर किसी के पास संभव तरीके से सरकार बनाने का अधिकार है। आगामी दो-दिनों में आपको पूरी जानकारी मिल जाएगी। वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के एक सीनियर लीडर ने कहा था कि दोनों प्रतिद्वंद्वी दलों ने जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति की रक्षा के लिए हाथ मिलाया है। उन्होंने कहा, गठबंधन के चलते ऐसी आशंका है कि केंद्र राज्यपाल से विधानसभा को भंग करने के लिए कहे। ऐसे में हम दोनों तरीकों से खुश हैं।

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा था, "हम पार्टियों का यह कहना था कि क्यों न हम इकट्ठे हो जाएं और सरकार बनाएं। अभी वह स्टेज सरकार बनने वाली नहीं है, एक सुझाव के तौर पर बातचीत अभी चल रही है।"

गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में पीडीपी और भाजपा की सरकार 19 जनवरी 2015 में बनी थी लेकिन दोनों पार्टियों का यह गठबंधन अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। बीजेपी ने सबको चौंकाते हुए महबूबा मुफ्ती के साथ तीन साल पुरानी दोस्ती तोड़ते हुए समर्थन वापस ले लिया था। समर्थन वापसी के फैसले का ठीकरा बीजेपी ने महबूबा मुफ्ती पर फोड़ा था। बीजेपी नेताओं ने महबूबा पर आतंकवाद रोक पाने में असफल होने का आरोप लगाया था। 

Created On :   21 Nov 2018 7:26 PM IST

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