पीएम ने अंडमान-निकोबार को एएफसी कनेक्टीवीटी का तोहफा दिया
नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को चेन्नई और पोर्ट ब्लेयर को जोड़ने वाली एक पनडुब्बी ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) का उद्घाटन किया। इससे भारत के अन्य हिस्सों की तरह अंडमान एंड निकोबार द्वीप समूह को भी तेज और भरोसेमंद मोबाइल व लैंडलाइन टेलीकॉम सर्विसेज की सुविधा मिल पाएगी।
पीएम मोदी ने कहा, यह ऑप्टिकल फाइबर केबल परियोजना स्वतंत्रता दिवस से पहले अंडमान के लोगों के लिए एक तोहफा है। यह जिंदगी को आसानी से जी पाने की हमारी प्रतिबद्धता का एक प्रतीक है। ऑनलाइन कक्षाएं, पर्यटन, बैंकिंग, खरीदारी, या टेलीमेडिसिन जैसी सुविधाओं का लाभ अब अंडमान और निकोबार के हजारों परिवारों को मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पर्यटकों को भी इस सुविधा का काफी लाभ मिलेगा क्योंकि बेहतर नेट कनेक्टिविटी किसी भी पर्यटन स्थल की पहली प्राथमिकता है। उन्होंने कहा, मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या का अब समाधान कर दिया गया है। इसके अलावा, सड़क, वायु और पानी के माध्यम से भी फिजिकल कनेक्टिविटी को सशक्त बनाया जा रहा है।
पीएम ने आगे यह भी बताया कि इस परियोजना से हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी, तेज और भरोसेमंद मोबाइल व लैंडलाइन दूरसंचार सेवाओं की सुविधा मिलेगी, जिसके बदले में स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और ई-गवर्नेंस, टेलीमेडिसिन और टेली-शिक्षा सेवाएं मुहैया कराई जाएंगी।
यह परियोजना संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग के तहत भारत सरकार द्वारा सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि के माध्यम से वित्त पोषित है।
लगभग 1,224 करोड़ रुपये की लागत से करीब 2,300 किलोमीटर लंबी केबल बिछाई गई है।
यह सबमरीन केबल पोर्ट ब्लेयर को स्वराज द्वीप, लिटिल अंडमान, कार निकोबार, कामोर्टा, ग्रेट निकोबार, लॉन्ग आइलैंड और रंगट से भी जोड़ेगा।
इस परियोजना की आधारशिला प्रधानमंत्री ने 30 दिसंबर, 2018 को पोर्ट ब्लेयर में रखी थी।
इस सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल लिंक से चेन्नई और पोर्ट ब्लेयर के बीच 2 गुना 200 प्रति सेकेंड गिगाबाइट्स (जीबीपीएस) की रफ्तार से डेटा का आदान-प्रदान हो सकेगा, जबकि पोर्ट ब्लेयर और दूसरे द्वीपों के बीच इसकी गति 2 गुना 100 जीबीपीएस रहेगी।
इन द्वीपों में भरोसेमंद, तेज और मजबूत ब्रॉडबैंड और टेलीकॉम सर्विसेज के इस प्रावधान से उपभोक्ताओं के ²ष्टिकोण के साथ-साथ यह स्ट्रैटेजिक और गवर्नेंस कारणों से भी अहम है।
4 जी मोबाइल सेवाएं, जो उपग्रह के माध्यम से प्रदान की गई सीमित बैकहॉल बैंडविड्थ के कारण बाधित थीं, उसमें भी इसकी मदद से अब एक बड़ा सुधार देखने को मिलेगा।
Created On :   10 Aug 2020 1:31 PM IST