PNB स्कैम : मेहुल चौकसी के 15 फ्लैट और 17 ऑफिस समेत 1217 करोड़ की संपत्ति अटैच

PNB Scam ED attaches properties worth Rs 1217.20 crore of Mehul Choksi
PNB स्कैम : मेहुल चौकसी के 15 फ्लैट और 17 ऑफिस समेत 1217 करोड़ की संपत्ति अटैच
PNB स्कैम : मेहुल चौकसी के 15 फ्लैट और 17 ऑफिस समेत 1217 करोड़ की संपत्ति अटैच

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में हुए 11,356 करोड़ रुपए के घोटाले को लेकर गुरुवार को इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने बड़ा एक्शन लेते हुए मेहुल चौकसी की 1217 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त कर ली है। प्रोटेक्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत अटैच की गई इन संपत्तियों में मुंबई स्थित 15 फ्लैट और 17 ऑफिस, कोलकाता स्थित शॉपिंग मॉल और अलीबाग में 4 एकड़ में फैला फार्महाउस शामिल है। इसके अलावा देशभर के कई हिस्सों में फैली मेहुल चौकसी की 41 संपत्तियों को ED ने गुरुवार को अटैच किया है। बता दें कि बुधवार को PNB के इंटरनल चीफ ऑडिटर एमके शर्मा को गिरफ्तार किया था। 

कहां-कहां की प्रॉपर्टी जब्त? 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुरुवार को ED ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मेहुल चौकसी की 1217 करोड़ की संपत्तियों को जब्त कर लिया। इनमें मुंबई स्थित 15 फ्लैट और 17 ऑफिस, कोलकाता स्थित शॉपिंग मॉल और अलीबाग में 4 एकड़ में बना फार्महाउस शामिल है। इसके अलावा अलीबाग, नासिक, नागपुर, पनवेल और विल्लुपुरम में 231 एकड़ जमीन में फैले 6 पार्सल और आंध्र प्रदेश के रंगारेड्डी में 170 एकड़ में बना हार्डवेयर पार्क भी शामिल है। बताया जा रहा है कि इस हार्डवेयर पार्क की कीमत 500 करोड़ रुपए है।

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PNB का एक ऑफिसर गिरफ्तार

इससे पहले बुधवार को CBI ने PNB के इंटरनल चीफ ऑडिटर एमके शर्मा को गिरफ्तार किया था। CBI के मुताबिक, एमके शर्मा PNB की ब्रैडी हाउस ब्रांच के ऑडिटिंग सिस्टम और उससे जुड़े कामों पर निगरानी रखने का काम करते थे। इसके साथ ही अगर ब्रांच में किसी भी तरह की कोई अनियमितता के बारे में पता चलता था, तो उसे जोनल ऑडिट ऑफिस को रिपोर्ट करने का काम एमके शर्मा का था। अब CBI शर्मा से इसी मामले में पूछताछ कर रही है। 

क्या है  PNB घोटाला? 

देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक कहे जाने वाले पंजाब नेशनल बैंक में पिछले दिनों 11,356 करोड़ रुपए के घोटाले का खुलासा किया था। हाल ही में PNB ने CBI को 1251 करोड़ रुपए के एक नए फ्रॉड की जानकारी दी है, जिसके बाद इस घोटाले की रकम 11,356 से बढ़कर 12,607 करोड़ पहुंच गई है। इस घोटाले की शुरुआत 2011 में हुई थी और पिछले 7 सालों में हजारों करोड़ रुपए फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LOUs) के जरिए विदेशी अकाउंट्स में ट्रांसफर कर दिए गए। दरअसल, डायमंड करोबारी नीरव मोदी और उनके साथियों ने साल 2011 में डायमंड इंपोर्ट करने के लिए लाइन ऑफ क्रेडिट के लिए पंजाब नेशनल बैंक की ब्रांच से कॉन्टेक्ट किया। आमतौर पर बैंक विदेशों से होने वाले इंपोर्ट के लिए LOU जारी करता है। इसका मतलब ये है कि बैंक नीरव मोदी के विदेश में मौजूद सप्लायर्स को 90 दिन के लिए भुगतान करने को राजी हुआ और बाद में पैसा नीरव को चुकाना था। इन्हीं फर्जी LOU के आधार पर भारतीय बैंकों की विदेशी ब्रांचों ने PNB को लोन देने का फैसला लिया गया। इस घोटाले को खुलासा तब हुआ, जब PNB के भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारी रिटायर हो गए और नीरव मोदी की कंपनी ने जनवरी में दोबारा से LOU जारी करने की सिफारिश की। नए अधिकारियों ने ये गलती पकड़ ली और घोटाले की जांच शुरू कर दी। बैंक के मुताबिक, जनवरी में इस फर्जीवाड़े का पता चला तो 29 जनवरी को सीबीआई में शिकायत की और 30 जनवरी को FIR दर्ज हो गई।

Created On :   1 March 2018 12:48 PM IST

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