मप्र में किसानों पर सियासी संग्राम

Political struggle in MP
मप्र में किसानों पर सियासी संग्राम
मप्र में किसानों पर सियासी संग्राम
हाईलाइट
  • मप्र में किसानों पर सियासी संग्राम

भोपाल, 23 सितम्बर (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में विधानसभा के उपचुनाव से पहले किसान को लेकर सियासी दलों में संग्राम छिड़ गया है। दोनों ही दल भाजपा और कांग्रेस अपने को एक दूसरे से बेहतर किसान हितैषी बताने में लग गए हैं।

राज्य में 28 विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव होने वाले हैं, इनमें अधिकांश सीटें ग्रामीण इलाके से आती हैं और कृषि कार्य से जुड़े लोग ज्यादा मतदाता हैं। यही कारण है कि दोनों दलों ने अपने को किसान का बड़ा पैरोकार बताना शुरू कर दिया है।

राज्य में सत्ता में हुए बदलाव के बाद से कांग्रेस और भाजपा के बीच किसान कर्जमाफी केा लेकर तकरार चली आ रही है, मगर विधानसभा में कृषि मंत्री कमल पटेल द्वारा 27 लाख किसानों का कर्ज माफ किए जाने का ब्यौरा देकर इस तकरार को और तेज कर दिया है।

कृषि मंत्री पटेल द्वारा कर्जमाफी की बात स्वीकारे जाने के बाद से कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं। पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव का कहना है कि भाजपा और उसके नेता कितना झूठ बोलते हैं यह बात अब सामने आ गई है। कांग्रेस ने किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया था, उस पर अमल हुआ तभी तो 27 लाख किसानों का कर्ज माफ हुआ है। अब भाजपा और शिवराज सरकार इस सवाल का जवाब दे कि झूठ कौन बोलता है।

वहीं दूसरी ओर शिवराज सिंह चौहान सरकार किसानों के हित में कई फैसले ले रही है। एक तरफ जहां प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों के खातों में मुआवजा राशि डाली गई है, वहीं किसानों को प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना की ही तरह राज्य के किसानों को चार हजार रूपये प्रतिवर्ष अतिरिक्त सम्मान निधि देने का ऐलान किया गया है। इस तरह राज्य के किसानों को कुल 10 हजार रूपये सम्मान निधि के तौर पर मिलेंगे।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश के किसानों को सरकार पूरा सुरक्षा चक्र प्रदान कर रही है। प्रदेश सरकार एक के बाद एक किसानों के हित में फैसले ले रही है। पहले किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर फ सल ऋण उपलब्ध कराने की योजना प्रारंभ की गई, फि र उनके खातों में गत वषरें की फ सल बीमा की राशि डाली गई। अब सम्मान निधि दी जाएगी।

दोनों ही राजनीतिक दल विधानसभा चुनावों के मद्देनजर किसानों को केंद्र में रखकर चल रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस वर्ग के मतदाताओं की संख्या बहुत अधिक है। साथ ही खुद को बड़ा हितैषी और दूसरे को किसान विरोधी बताना उनका लक्ष्य हो गया है। सभाओं से लेकर तमाम आयोजनों में किसान बड़ा मुददा होता है।

राजनीतिक विष्लेषक भारत शर्मा का कहना है कि, किसान हमेशा छला गया है, राजनीतिक दल तरह-तरह के वादे कर किसानों को लुभाते है, उनके लिए योजनाओं का ऐलान करते हैं, मगर हकीकत कुछ और होती है। वास्तव में इन राजनीतिक दलों के फैसले किसानों के हित में होते तो आज किसान इस हालत में नहीं होता। किसान इन राजनीतिक जुमलेबाजी को समझ नहीं पाता और उनके जाल में फंस जाता है। वर्तमान में भी ऐसा ही हो रहा है। जिस दिन किसान इन दलों के मंसूबों को पहचान जाएगा, उस दिन हालात बदलने के लिए सरकारों को मजबूर होना पड़ेगा।

एसएनपी-एसकेपी

Created On :   23 Sept 2020 1:30 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story