नीट-जेईई पर राजनीतिक युद्ध : विपक्षी मुख्यमंत्री बनाम केंद्र
नई दिल्ली, 27 अगस्त (आईएएनएस)। कोरोनावायरस महामारी के बीच राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) और संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) को आयोजित किए जाने या इसे स्थगित कर देने को लेकर राजनीतिक उठा-पटक का माहौल बना हुआ है। इसने एक राजनीतिक अवसरवाद को जन्म दिया है, क्योंकि ममता बनर्जी, सोनिया गांधी और उद्धव ठाकरे सहित अधिकांश विपक्षी नेता केंद्र पर निशाना साधने के लिए एकजुट हुए हैं।
केंद्र को असंवेदनशील कहते हुए, प्रमुख विपक्षी पार्टियों के मुख्यमंत्रियों ने एक साथ आकर इस शैक्षणिक मामले को एक राजनीतिक खेल का मैदान बना दिया है। यह मामला अब विपक्षी मुख्यमंत्री बनाम केंद्र का रूप ले चुका है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ ही झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के हेमंत सोरेन और शिवसेना के उद्धव ठाकरे इस मुद्दे पर मुखर हो चुके हैं। वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि भारत सरकार को सभी पक्षों को सुनना चाहिए और एक स्वीकार्य समाधान ढूंढना चाहिए।
इस सप्ताह की शुरुआत में महाराष्ट्र के पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखते हुए छात्रों और उनके परिवारों के लिए स्वास्थ्य जोखिमों के मद्देनजर परीक्षाओं को स्थगित करने के लिए उनका व्यक्तिगत हस्तक्षेप करने की मांग की।
सोनिया ने कहा है कि छात्रों की समस्या और परीक्षा का मुद्दा केंद्र सरकार द्वारा हल किया जाना चाहिए। इसके साथ ही ममता बनर्जी ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्रियों को संयुक्त रूप से सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए कहा।
बुधवार की बैठक में उन्होंने कहा, परीक्षाएं सितंबर में हैं। छात्रों के जीवन को जोखिम में क्यों डाला जाना चाहिए? हमने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
वर्चुअल बैठक में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पूर्व सहयोगी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोनिया, ममता और अन्य लोगों से कहा, पहले हमें तय करना होगा डरना है कि लड़ना है, लड़ना है तो लड़ना है। अगर हम लड़ने का फैसला करते हैं, तो हम बेहतर लड़ाई करते हैं।
कांग्रेस ने इन परीक्षाओं के विरोध में राज्य और जिला मुख्यालयों में केंद्र सरकार के कार्यालयों के सामने शुक्रवार सुबह विरोध प्रदर्शन करने का भी फैसला किया है। इसी विरोध को दोहराते हुए कांग्रेस सांसद और एआईसीसी महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने बुधवार को केंद्र को असंवेदनशील और नासमझ कहा।
इस बीच कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई केंद्र द्वारा इस एकतरफा कदम के खिलाफ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की भी योजना बना रही है।
इसे केंद्र सरकार का नासमझ और तानाशाहीपूर्ण कदम करार देते हुए, कांग्रेस की राज्य इकाइयों ने संगठित ऑनलाइन अभियान, स्पीक अप फॉर स्टूडेंट सेफ्टी के साथ विरोध प्रदर्शनों को भी ऑनलाइन करने का फैसला किया है, जहां इस फैसले के खिलाफ वीडियो और अन्य सामग्री पार्टी के विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर पोस्ट होगी।
महाराष्ट्र में राज्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने कहा कि परीक्षाएं बहुत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन छात्रों का स्वास्थ्य और सुरक्षा भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
चव्हाण ने कहा, चूंकि कोरोनोवायरस अभी तक नियंत्रण में नहीं आया है, इसलिए जेईई-नीट परीक्षा को स्थगित करने की मांग निश्चित रूप से उचित है। चव्हाण ने कहा कि केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करना चाहिए।
सत्तारूढ़ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेताओं के साथ शिवसेना की युवा शाखा युवा सेना का नेतृत्व करने वाले आदित्य ठाकरे ने एक कदम आगे बढ़कर पूरे शैक्षणिक वर्ष को स्थगित करने की मांग की है।
हालांकि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला देते हुए अपना पक्ष रख रहा है। शीर्ष अदालत ने स्थगन की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था और सुझाव दिया था कि परीक्षा स्थगित करना कोई समाधान नहीं है।
गैर-कांग्रेस और गैर-भाजपा मुख्यमंत्री, जिन्होंने संसद में पारंपरिक रूप से भाजपा की मदद की है, वह भी सत्तारूढ़ सरकार के लिए परेशानी बन गए हैं। इनमें ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक हैं जो परीक्षा स्थगित किए जाने के पक्ष में हैं।
पटनायक ने गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी से अपने राज्य के कई हिस्सों में कोविड-19 की स्थिति और बाढ़ के मद्देनजर जेईई मेन और नीट परीक्षाओं को स्थगित करने का अनुरोध किया। इससे पहले, मुख्यमंत्री ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को पत्र लिखकर उनसे दोनों परीक्षाओं को स्थगित करने का अनुरोध किया था।
लेकिन राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के वर्तमान महानिदेशक विनीत जोशी के पास असहमत होने के अपने कारण हैं। उन्होंने कहा, पहले परीक्षाएं अप्रैल-मई में आयोजित की जाती थीं। महामारी के कारण हमने इसे जुलाई तक स्थगित कर दिया था। फिर छात्रों की मांग पर इसे सितंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। अब, अगर हम चाहते हैं कि ये परीक्षाएं हों तो इन्हें सितंबर में ही पर्याप्त व्यवस्थाओं के साथ आयोजित किया जाना चाहिए। हम कब तक स्थगित कर सकते हैं?
एकेके/एसजीके
Created On :   27 Aug 2020 7:00 PM IST