तीन तलाक देने वालों की खैर नहीं, राष्ट्रपति ने लगाई अध्यादेश पर मुहर- कानून मंत्रालय सूत्र

President Ramnath Kovind has signed an ordinance imposing ban on the trend of three divorces
तीन तलाक देने वालों की खैर नहीं, राष्ट्रपति ने लगाई अध्यादेश पर मुहर- कानून मंत्रालय सूत्र
तीन तलाक देने वालों की खैर नहीं, राष्ट्रपति ने लगाई अध्यादेश पर मुहर- कानून मंत्रालय सूत्र
हाईलाइट
  • इस अपराध के लिए तीन साल की सजा का प्रवधान
  • तीन तलाक देने वालों की अब खैर नहीं
  • तीन तलाक पर अध्यादेश को राष्ट्रपती की मंजूरी मिली

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कानून मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीन तलाक के चलन पर प्रतिबंध लगाने वाले अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के दौरान  तीन तलाक पर अध्यादेश को मंजूरी दी गई थी। इससे पहले यह अध्यादेश लोकसभा में पारित हो चुका है, लेकिन राज्यसभा में इस पर बहस जारी है।

बिल के तहत तीन तलाक अपराध
तीन तलाक पर अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है। राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद अगले 6 महीने तक अध्यादेश कानून के तौर पर काम करेगा। अब मुस्लिम वुमेन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज) बिल 2017 के अनुसार अपराध है। इस अपराध के लिए तीन साल की सजा का प्रावधान भी है।

ये हैं शामिल 
मुस्लिम वुमेन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज) बिल 2017 के तहत ट्रिपल तलाक , तलाक-ए-बिद्दत शामिल और ऐसा कोई भी तरीका जिससे तुरंत और अपरिवर्तनीय तलाक होता है, शामिल है। इस बिल के तहत बोलकर, लिखकर या किसी अन्य गैर कानूनी माध्यम जैसे मोबाइल, ईमेल से दिया गया तलाक गैरकानूनी और अमान्य होगा।

दर्ज होगा मामला
नया कानून आने के बाद अगर कोई भी व्यक्ति अपनी पत्नी को एक साथ तीन तलाक देता है और रिश्ता पूरी तरह से खत्म कर लेता है तो उस स्थिति में उसके खिलाफ तुरंत एफआईआर होगी। एफआईआर दर्ज होते ही पति की गिरफ्तारी हो जाएगी, ये गिरफ्तारी गैर-जमानती होगी। ऐसे मामलों मे सिर्फ मजिस्ट्रेट ही जमानत दे सकते हैं, लेकिन अग्रिम जमानत नहीं मिल पाएगी।

रिश्तेदार दर्ज करा सकते हैं शिकायत
तीन तलाक मामले में दोष साबित होने पर पति को तीन साल की सजा हो सकती है। पीड़ित महिला के करीबी रिश्तेदार भी उसकी तरफ से शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

भत्ते की मांग कर सकती है पत्नी
पीड़ित महिला अपने लिए और अपने बच्चे के लिए गुजारा भत्ता की मांग रख सकती है, गुजारा भत्ता की राशि और बच्चे को अपने साथ रखने की मांग पर अंतिम फैसला केस की सुनवाई कर रहे मजिस्ट्रेट लेंगे।

 

Created On :   20 Sep 2018 4:54 AM GMT

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