श्रद्धालुओं को मिली मानसरोवर झील में डुबकी की अनुमति, विदेश मंत्री को दिया धन्यवाद
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय श्रद्धालुओं को कैलाश मानसरोवर झील में चीनी अधिकारियों ने डुबकी लगाने की इजाजत दे दी है। इजाजत मिलने के बाद श्रद्धालुओं ने इसके लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का शुक्रिया अदा किया। बता दें कि पवित्र झील में डुबकी लगाने से रोकने के बाद भारतीय श्रद्धालुओं में खासी नाराजगी थी।
We were allotted a designated place to take holy dip in the Mansarovar Lake, today. I would like to thank the government of India and EAM Sushma Swaraj: Devotee Sanjiv Krishan Thakur who had alleged yesterday that Chinese authorities were not allowing them to take holy dip pic.twitter.com/p17WLi8jaU
— ANI (@ANI) May 29, 2018
वीडियो पोस्ट कर जताई थी नाराजगी
पुजारी संजीव कृष्ण ठाकुर ने कहा मैं भारत सरकार और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को धन्यवाद देना चाहता हूं। हमे मानसरोवर झील में डुबकी लगाने के लिए एक स्थान दिया गया है। इससे पहले ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में, उन्होंने दावा किया था कि चीन ने भक्तों को झील में डुबकी लगाने से रोक दिया है। इस वीडियो मे ठाकुर ने कहा था, अगर अनुमति नहीं देनी थी तो श्रद्धालुओं को वीजा और परमिट क्यों जारी किए गए थे। पुजारी ने यह भी कहा था कि जब तक उन्हें झील में डुबकी लगाने की इजाजत नहीं मिल जाती तब तक वे वहां से नहीं हटेंगे।
1580 तीर्थयात्री कर रहे कैलाश मानसरोवर यात्रा
इससे पहले सुषमा स्वराज ने 8 मई को प्रेस कॉन्फेंस में कहा था कि चीनी विदेश मंत्री से इस यात्रा को लेकर बातचीत हो गई है। इस साल करीब 1580 तीर्थयात्री कैलाश मानसरोवर की यात्रा कर पाएंगे। जिसमें 18 बैच में 60 श्रद्धालुओं को लिपुलेख दर्रा मार्ग से और 10 बैच में 50 यात्रियों को नाथू ला दर्रे से होकर जाना होगा। मालूम हो कि भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से हर साल जून से सितंबर के बीच कैलास मानसरोवर की यात्रा आयोजित की जाती है। कैलाश मानसरोवर तिब्बत में है और वहां पहुंचने के लिए यात्रियों को नेपाल के रास्ते होकर जाना पड़ता है।
हिंदू धर्म में मानसरोवर यात्रा का महत्व
हिन्दू धर्म के अनुसार यहां भगवान शिव का निवास स्थान होने के कारण इस स्थान का महत्व माना जाता है। यह जगह रहस्यमयी बताई जाती है। श्रद्धालुओं का मानना है कि कैलाश मानसरोवर में कोई भी व्यक्ति यदि इस झील में एक बार डुबकी लगा ले तो वह रुद्रलोक पहुंच जाता है। बताया जाता है कि यहां देवी सती का दांया हाथ गिरा था। जिससे यह झील तैयार हुई। यहा एक पाषाण शिला भी है, जिसे श्रद्धालुओं द्वारा पूजा जाता है।
कैलाश मानसरोवर झील और राक्षस झील ये दोनों ही झीलें सौर और चंद्र बल को प्रदर्शित करती है। जिसका संबंध सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा से है। इस पवित्र स्थान पर आप जब दक्षिण की ओर देखेंगे तो एक स्वास्तिक चिन्ह बना हुआ दिखाई देगा। इस अलौकिक स्थान पर प्रकाश तंरगों और ध्वनि तरंगों का समागम होता है, जो "ओम" जैसा सुनाई देता है।
Created On :   29 May 2018 5:57 PM IST