राफेल डील: CBI जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, कीमत पर अभी चर्चा नहीं

राफेल डील: CBI जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, कीमत पर अभी चर्चा नहीं
हाईलाइट
  • डसॉल्ट कंपनी के सीईओ इंटरव्यू में दे चुके हैं सफाई
  • सरकार ने कहा-सौदे में सभी नियमों का किया गया पालन
  • सीलबंद लिफाफे में राफेल की कीमत कोर्ट को बता चुकी है सरकार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदी पर सीबीआई जांच वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई के दौरान सभी कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं और सरकार के साथ-साथ वायुसेना अधिकारियों को भी विस्तार से सुना। सुनवाई तकरीबन 5 घंटे तक चली। दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने राफेल की कीमत के बारे में कोई जानकारी याचिकाकर्ताओं को देने से मना कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि जब तक इजाजत न दी जाए, इस मुद्दे पर चर्चा नहीं की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पूरे मामले में वायुसेना का पक्ष भी सुने जाने की जरूरत है।

 

सीजेआई रंजन गोगोई ने एजी केके वेणुगोपाल से पूछा कि क्या कोर्ट में एयरफोर्स का भी कोई ऑफिसर मौजूद है, जो इससे जुड़े मामलों पर जवाब दे सके? क्योंकि हम सब एयरफोर्स से जुड़े मामले पर ही चर्चा कर रहे हैं, इस मुद्दे पर हम एयरफोर्स से भी कुछ सवाल पूछना चाहते हैं। इसके बाद एजी ने कहा कि वायु सेना के ऑफिसर कोर्ट में जल्द आएंगे। सुनवाई के दौरान एजी ने कहा, "यह मामला इतना गोपनीय है कि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया गया सीलबंद लिफाफा मैंने भी नहीं देखा है। पूर्व मंत्री अरुण शौरी की याचिका पर केस लड़ रहे और स्वयं याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण के लिए उस समय स्थिति असहज हो गई, जब सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने तथ्यों को लेकर उन्हें टोक दिया। प्रशांत सरकार से राफेल की कीमतों का खुलासा करने की मांग कर रहे थे। उनकी एक दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख अंदाज में कहा कि जितना इस केस के लिए जरूरी है, उतना ही बोलें।

 

इससे पहले याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने अदालत में कहा कि राफेल डील की जानकारी न देने के लिए सरकार फर्जी बहाने बना रही है। यदि सरकार राफेल की कीमत सदन में बता सकती है तो इसमें कोई जानकारी गुप्त रखने की बात कैसे हो गई। इससे पहले कोर्ट के आदेश के अनुसार सुनवाई से पहले याचिकाकर्ताओं को सौदे की प्रक्रिया की जानकारी दे दी है। सरकार ने इस जानकारी में सभी नियमों के पालन की बात कही है। सरकार ने यहा भी बताया है कि डसॉल्ट कंपनी ने ही अपने फैसले पर रिलायंस को ऑफसेट पार्टनर बनाया है। सुनवाई के बाद कोर्ट तय करेगा कि इस मामले में जांच करने की जरूरत है या नहीं? इससे पहले सरकार सुप्रीम कोर्ट को राफेल विमान की कीमत सीलबंद लिफाफे में दे चुकी है। 


राफेल सौदे के तहत विमान बनाने वाली फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने मंगलवार को अपनी कंपनी और भारत सरकार का बचाव किया था। ट्रैपियर ने कहा था कि उनकी कंपनी ने ही अनिल अंबानी को साझेदारी के लिए चुना है। उन्होंने कहा कि रिलायंस के अलावा डसॉल्ट ने 30 और भी कंपनियों का चयन किया है। सीईओ ट्रैपियर ने कहा कि भारतीय एयरफोर्स को इन विमानों की जरूरत है, इस वजह से ही वह भी सौदे का समर्थन कर रही है। एक इंटरव्यू को दौरान डसॉल्ट के सीईओ ने कहा था कि हमारे पास भारत में रिलायंस के अलावा 30 और पार्टनर हैं। अंबानी को हमने खुद ही चुना था।


ट्रैपियर ने कहा था कि अपनी रक्षा प्रणाली मजबूत बनाए रखने के लिए भारतीय वायुसेना को इन लड़ाकू विमानों की जरूरत है। ट्रैपियर ने कहा कि 36 विमानों की कीमत भी उतनी ही रखी गई है, जितनी 18 विमान खरीदते वक्त रखी गई थी। चूंकि 18 का दोगुना 36 होता है, इसलिए विमानों की कीमत भी 18 के मुकाबले दोगुनी हो जानी थी, लेकिन सरकारों के बीच बात होने के कारण इस कीमत में भी नौ फीसदी की कमी की गई है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्रैपियर ने कहा कि मैं कभी भी झूठ नहीं बोलता हूं। मैंने पहले जो सच कहा था और बयान दिए थे, वो ही सच है। मेरी छवि झूठ बोलने वाले व्यक्ति के तौर पर नहीं है। सीईओ के पद पर बैठकर आप किसी से झूठ नहीं बोल सकते हैं।

 

 

Created On :   14 Nov 2018 3:35 AM GMT

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