राजस्थान में 'नाग' मिसाइल का सफल परीक्षण, 4 किमी तक साधेगा निशाना
- इसका कुल वजन महज 42 किलो है।
- गति 230 मीटर प्रति सेकंड है।
- ज्यादा तापमान में भी मिसाइल दिशा नहीं भटकेगी
- थर्ड जेनरेशन एंटी टैंक मिसाइल - परीक्षण जैसलमेर की पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज
- प्रोजेक्ट की लागत 350 करोड़ रुपए
- मिसाइल्स एंड स्ट्रैटेजिक सिस्टम्स के महानिदेशक जी सतीश रेड्डी है।
- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) नाग को विकसित किया है।
- सफलतापूर्वक परीक
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने बुधवार को एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) नाग का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। परीक्षण से एक बार फिर उसकी क्षमता साबित हुई है। रक्षा सूत्रों ने यह जानकारी दी है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने एटीजीएम नाग को विकसित किया है। मिसाइल्स एंड स्ट्रैटेजिक सिस्टम्स के महानिदेशक जी सतीश रेड्डी ने बताया कि सफलतापूर्वक परीक्षण ने अलग-अलग परिस्थितियों में निशाना भेदने की एटीजीएम की प्रोद्योगिकियों को प्रमाणित किया है।
दो टैंकों पर सफलतापूर्वक परीक्षण
एक सूत्र ने बताया, "एटीजीएम नाग का बुधवार को मरुस्थल में अलग-अलग रेंज और समय में दो टैंकों पर सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।" उन्होंने कहा, "इसके साथ ही, मिसाइल के उन्नतिशील परीक्षण पूरे हो गए हैं। अब यह तैनात किए जाने के लिए तैयार है।" डीआरडीओ के चेयरमैन और सचिव एस क्रिस्टोफर ने इस उपलब्धि के लिए पूरी नाग टीम को बधाई दी है।
नाग मिसाइल की खासियत
इस मिसाइल प्रोजेक्ट की लागत 350 करोड़ रुपए से अधिक है। इसमें उच्च क्षमता के उपकरण लगाए गए है। ज्यादा तापमान में भी मिसाइल दिशा नहीं भटकेगी। नाग मिसाइल वजन में काफी हल्की है और इसका कुल वजन महज 42 किलो है। इस मिसाइल को 10 साल तक बगैर रख रखाव के इस्तेमाल किया जा सकता है। नाग मिसाइल की गति 230 मीटर प्रति सेकंड है। यह अपने साथ 8 किलोग्राम विस्फोटक लेकर चल सकती है।
चार दिन तक चलेगा परीक्षण
थर्ड जेनरेशन एंटी टैंक मिसाइल "नाग" का परीक्षण जैसलमेर की पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में प्रारंभ हो गया है। डीआरडीओ निर्मित मिसाइल का परीक्षण चार दिन तक चलेगा।नाग फायर एंड फोरगेट श्रेणी की मिसाइल है। इसके दागे जाने के बाद रोक पाना संभव नहीं है। पिछले वर्ष बीकानेर फायरिंग रेंज में इसी मिसाइल का परीक्षण किया गया था, लेकिन उस दौरान उच्च तापमान में मिसाइल के परीक्षण में कुछ तकनीकी खामियां सामने आई थीं।
Created On :   1 March 2018 11:02 AM IST