आर्थिक आधार पर आरक्षण : लोकसभा में होगी जोरदार बहस, राज्यसभा का एक दिन बढ़ा

Rajya Sabha proceedings extended by a day to ensure passage of proposed quota law
आर्थिक आधार पर आरक्षण : लोकसभा में होगी जोरदार बहस, राज्यसभा का एक दिन बढ़ा
आर्थिक आधार पर आरक्षण : लोकसभा में होगी जोरदार बहस, राज्यसभा का एक दिन बढ़ा
हाईलाइट
  • केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को सामान्य वर्ग के आर्थिक पिछड़ों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले को मंजूरी दे दी है।
  • बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों ने अपने-अपने सांसदों को व्हिप जारी कर संसद में उपस्थित रहने को कहा है।
  • सरकार मंगलवार को लोकसभा में संविधान संशोधन विधेयक ला सकती है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को सामान्य वर्ग के आर्थिक पिछड़ों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले को मंजूरी दे दी है। हालांकि इसे लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा। इसके लिए मंगलवार को सरकार लोकसभा में संविधान संशोधन विधेयक ला सकती है। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों ने अपने-अपने सांसदों को व्हिप जारी कर संसद में उपस्थित रहने को कहा है। उधर, राज्यसभा के सत्र को भी एक दिन के लिए बढ़ा दिया गया है। यानी अब राज्यसभा बुधवार (9 दिसंबर) तक चलेगी। सरकार को भरोसा है कि वह लोकसभा में इस संशोधन विधेयक को पास करा लेगी क्योंकि लोकसभा में सरकार के पास बहुमत है। हालांकि राज्यसभा में सरकार की असली अग्नि परीक्षा होगी। अपर हाउस में संशोधन विधेयक को पास कराने के लिए  सरकार को दूसरे दलों पर निर्भर रहना होगा।

बता दें कि संविधान के अनुसार आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। संविधान में आरक्षण देने का पैमाना सामाजिक असमानता को बनाया गया है। संविधान के आर्टिकल 16(4) में कहा गया है कि आरक्षण किसी समूह को दिया जाता है किसी व्यक्ति को नहीं। अगर आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाएगा तो ये समानता के मूल अधिकार का उल्लंघन होगा। ऐसे में अगर सरकार को आर्थिक आधार पर आरक्षण देना है तो फिर संविधान में बदलाव करना होगा। इसके लिए दोनों सदनों में सरकार को बहुमत की जरुरत पड़ेगी।

अभी भारत में कुल 49.5 फीसदी आरक्षण दिया जाता है। इनमें अनुसूचित जाति (SC) को 15, अनुसूचित जनजाति (ST) को 7.5 और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है। मोदी कैबिनेट ने आर्थिक आधार पर जो 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया है, वह 50 प्रतिशत के अलावा है। यानि अगर आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन किया जाता है, तो आरक्षण का प्रतिशत 59.5 फीसदी पर पहुंच जाएगा। जबकि साल 1963 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आमतौर पर 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता है।

Created On :   7 Jan 2019 11:15 PM IST

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