गड्ढों के बीच सड़कों के लिए चर्चित बिहार के टोलों तक बनी सड़क : नंदकिशोर यादव (आईएएनएस साक्षात्कार)
- गड्ढों के बीच सड़कों के लिए चर्चित बिहार के टोलों तक बनी सड़क : नंदकिशोर यादव (आईएएनएस साक्षात्कार)
पटना, 3 सितम्बर (आईएएनएस)। देश में कुछ साल पहले तक बिहार सड़कों के बीच गड्ढे या गड्ढों के बीच सड़कों के लिए चर्चित था। यहां सड़कों के निर्माण हेमामालिनी की गाल की तरह किए जाने के दावे किए जाते थे, आज उसी बिहार के पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव का दावा है कि यहां ना केवल गांव और टोलों तक पक्की सड़कें पहुंच गई हैं बल्कि बिहार ऐसा पहला राज्य है जहां सड़कों की मरम्मत के लिए मेंटेंनेंस पॉलिसी बनाई गई है।
उन्होंने दावा करते हुए कहा कि बिहार में सड़क एंबुलेंस तक की व्यवस्था की गई है। पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने कहा कि बिहार की कार्यशैली में परिवर्तन हुआ है, जिसका परिणाम है कि सड़क ही नहीं सभी क्षेत्रों में काम हुआ है।
उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में कहा कि बिहार में पथ निर्माण विभाग के लिए 2003-04 के योजना की राशि का मात्र 42़ 36 फीसदी खर्च किया गया था, वहीं 2004-05 के योजना की राशि में 42़ 03 प्रतिशत ही खर्च किए जा सके थे। उन्होंने दावा करते हुए कि आज बिहार में स्थिति बदली है, अब पथ निर्माण विभाग की योजना राशि में 99 प्रतिशत तक खर्च किए गए हैं।
भाजपा नेता ने कहा, 2017-18 में विभाग की योजना राशि का 99़ 20 फीसदी खर्च किए गए, इसी तरह 2018-19 में योजना की मिली राशि के 97़ 30 फीसदी राशि खर्च की गई।
उन्होंने बताया कि यह परिवर्तन अब सरजमीं पर दिख रहा है। यादव ने 15 साल पहले की बातों को याद करते हुए कहा कि राजग की सरकार बनने के बाद ही सड़कों को लेकर एक कार्ययोजना तैयार की गई थी, जिसमें यह लक्ष्य रखा गया था कि राज्य में किसी भी क्षेत्र से राजधानी पटना पहुंचने के लिए छह घंटे से अधिक का समय नहीं लगना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज इस लक्ष्य को पूरा करते हुए अब नया लक्ष्य पांच घंटे तक पहुंचने पर काम चल रहा है।
यादव ने कहा, राज्य की प्रमुख छह नदियों गंगा, कोसी, गंडक, सोन, बागमती और फ ल्गु पर राजग के सरकार आने के पहले तक मात्र 16 पुल थे, लेकिन राजग सरकार के कार्यकाल में 25 पुल बन गए हैं तथा 14 पुल बन रहे हैं, दो का टेंडर हो चुका है और पांच पुलों की प्रक्रिया चल रहा है।
आकड़ों का हवाला देते हुए मंत्री यादव कहते हैं कि बिहार में आज गांवों, टोलों तक पक्की सड़कें से जुड़ चुकी हैं।
बकौल यादव, वर्ष 2005 में राज्य में एनएच सहित अन्य सड़कों की इंटरमीडिएट लेन की लंबाई 2,593 किलोमीटर थी लेकिन आज यह 6,261 किलोमीटर से अधिक हो गई है। इसी तरह डबल लेन की सड़कें 15 साल पहले जहां करीब 1,369 किलोमीटर थी वहीं अब इसकी लंबाई आज 6,471 किलोमीटर से अधिक हो गई है। इसी तरह दो लेन से अधिक लेन वाली सड़कों की लंबाई बिहार में मात्र 860 किलोमीटर थी जो आज बढ़कर 2,378 किलोमीटर से अधिक हो गई है।
यादव कहते हैं कि इसके अलावे भी कई आमूलचूल परिवर्तन किए गए हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी सड़कों के निर्माण के बाद उसकी आयु होती है, इस कारण सडकों को खराब होने की शिकायतें मिलती रहती थीं। इन शिकायतों को कम या समाप्त करने के लिए राज्य में टेंडर के दौरान ही मेंटेनेंस पॉलिसी का समावेश किया गया।
उन्होंने कहा कि इसके तहत निर्माण करने वाली कंपनी को ही पांच साल या एक निश्चित समय तक सड़कों की मरम्मत का भी दायित्व दिया गया। उन्होंने कहा कि बिहार ऐसा पहला राज्य है जिसने इस पॉलिसी को लागू किया है, जिससे सड़कों को खराब होने की शिकायतें कम हुई हैं।
उन्होंने कहा कि सड़कों की मरम्मत करने का काम भी आसान नहीं है। सड़कों को विभिन्न भागों में बांटकर प्रत्येक भागों के लिए सड़क एंबुलेंस की व्यवस्था की गई, जिसमें सड़क बनाने को लेकर सभी उपकरण और सामग्री रहती है।
मंत्री ने भविष्य की योजनाओं के संबंध में पूछे जाने पर कहा कि पटना के बाहर रिंग रोड निर्माण करना तथा मगध से लेकर मिथिलांचल तक की सड़कों का निर्माण कार्य होना है। उन्होंने कहा कि सरकार पटना से किसी भी ओर निकलने के लिए फोर लेन की सड़कें उपलब्ध कराने की योजना पर काम कर रही है।
एमएनपी-एसकेपी
Created On :   3 Sept 2020 2:01 PM IST