सबरीमाला मंदिर पर केरल सरकार के रूख से RSS और विपक्ष नाराज, पढ़िए क्या है नया विवाद

RSS slams LDF’s govt for rushing to implement SC order on Sabrimala
सबरीमाला मंदिर पर केरल सरकार के रूख से RSS और विपक्ष नाराज, पढ़िए क्या है नया विवाद
सबरीमाला मंदिर पर केरल सरकार के रूख से RSS और विपक्ष नाराज, पढ़िए क्या है नया विवाद
हाईलाइट
  • RSS ने कहा
  • केरल सरकार ने श्रद्धालुओं की भावनाओं को ध्यान में रखे बिना SC का फैसला लागू करने के लिए कदम उठाए हैं।
  • मंदिर प्रबंध समिति ने साफ कर दिया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनोती नहीं देगी।
  • सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सुनाए गए SC के फैसले के बाद भी विवाद थमा नहीं है।

डिजिटल डेस्क, तिरूवनंतपुरम। सबरीमाला के भगवान अयप्पा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सुनाए गए सुप्रीम कोर्ट (SC) के फैसले के बाद भी विवाद थमता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। यहां RSS और कांग्रेस नेतृत्व वाला UDF गठबंधन मंदिर में अभी भी 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश के पक्ष में नहीं है। मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) ने कहा है कि दुर्भाग्यवश केरल सरकार ने श्रद्धालुओं की भावनाओं को ध्यान में रखे बिना तत्काल प्रभाव से SC का फैसला लागू करने के लिए कदम भी उठाना शुरू कर दिए हैं। उधर, UDF गठबंधन ने इस पर सरकार द्वारा और विचार किए जाने की बात कही है।बता दें कि मंदिर प्रबंध समिति ने साफ कर दिया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं देगी।

क्या कहा केरल सरकार ने?
विपक्ष की मांग को खारिज करते हुए बुधवार को पिनराई विजयन सरकार ने कहा कि वह SC के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगी। इसके साथ ही सरकार ने कहा कि वह आगामी सीजन में ही इस फैसले को लागू करेगी। विजयन ने कहा, "सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करना है और मंदिर जाने वाली महिलाओं के लिए आवश्यक व्यवस्था करनी है। कोई समझौता किए बिना अदालत के आदेश को लागू करना सरकार की ज़िम्मेदारी है।" उधर, मंदिर का प्रबंधन करने वाले त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (TDB) ने भी तय किया कि पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की जाएगी और 16 अक्टूबर से शुरू हो रहे श्रद्धालुओं के अगले सीजन में महिला तीर्थयात्रियों के लिए जरूरी व्यवस्था की जाएगी।

क्या कहा विपक्ष ने?
विपक्षी नेता रमेश चेन्नीथला ने सरकार और TDB की आलोचना की। उन्होंने कहा, "श्रद्धालुओं की भावनाओं का ध्यान रखा जाना चाहिए। सबरीमाला में महिलाओं पर प्रतिबंध नहीं था केवल एक विशेष उम्र की महिलाओं को अनुमति नहीं थी। इस रिवाज का पालन 5000 से अधिक वर्षों से किया जा रहा है।" विपक्ष ने माकपा नीत एलडीएफ सरकार के फैसले को एकतरफा बताया। यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) ने TDB के सदस्यों और पूर्व प्रमुखों की एक बैठक गुरूवार को बुलाने का फैसला किया है ताकि आगे के कदम के बारे में फैसला किया जा सके।

क्या कहा RSS ने?
RSS ने जहां केरल सरकार के SC के फैसले को तत्काल लागू किए जाने पर सवाल उठाए तो वहीं उन्होंने ये भी कहा कि SC के फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए। RSS ने सभी पक्षों, धार्मिक और सामुदायिक नेताओं को साथ आने की अपील की। इसमें सभी पक्षों से न्यायिक सहित सभी विकल्पों से इस मुद्दे पर गौर करने को कहा गया है। संघ ने अपने बयान में इस बात पर जोर दिया है कि यह एक स्थानीय मंदिर की परंपरा का मामला है जिससे महिलाओं समेत लाखों श्रद्धालुओं की भावनाएं जुड़ी हुई हैं।

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया थी। सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला अयप्पा मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश को सही ठहराया था। SC के फैसले से पहले मंदिर में 10 से लेकर 50 वर्ष तक की महिलाओं के प्रवेश पर रोक थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि पुरुष प्रधानता दर्शाने वाले नियम में बदलाव किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि हमारी संस्कृति में महिलाओं का स्थान आदरणीय है। दो तरफा नजरिए से महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचती है। 

Created On :   3 Oct 2018 5:57 PM GMT

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