आरएसएस का नजरिया- पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी एक हो सकते हैं तो अखंड भारत क्यों नहीं?
नई दिल्ली, 8 अगस्त(आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस समय अखंड भारत संकल्प दिवस के आयोजन की तैयारियों में जुटा है। हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के दिन आयोजित होने वाले इस आयोजन के दौरान संघ के स्वयंसेवक अखंड भारत के सपने को साकार करने का संकल्प लेते हैं।
दशकों के संघर्ष के बाद जिस तरह से पिछले एक साल के भीतर कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा और अयोध्या में राम मंदिर का रास्ता साफ हुआ, उससे संघ को अब अखंड भारत के लक्ष्य को हासिल करना भी असंभव नहीं लग रहा है। कई वर्षों के संघर्ष के बाद 1989 में बर्लिन की दीवार गिरने की ऐतिहासिक घटना के बाद पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी के एक होने की घटना को संघ एक बड़ा उदाहरण मानता है। संघ का कहना है कि उसके लिए अखंड भारत, एक सांस्कृतिक परिकल्पना है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिल्ली कार्यकारिणी के सदस्य राजीव तुली ने आईएएनएस से कहा, जब पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी एक हो सकते हैं तो तो फिर अखंड भारत क्यों नहीं? तीन दशक तक संघर्ष करने के बाद राम मंदिर का सपना पूरा हुआ। इसी तरह से वर्षों के संघर्ष के बाद कश्मीर से 370 की विदाई हुई। इसका अर्थ है कि कोई भी काम असंभव नहीं है। संघ के लिए अखंड भारत की कल्पना सांस्कृतिक है। अयोध्या के मंच से प्रधानमंत्री मोदी भी सांस्कृतिक पुनर्जागरण की बात कर चुके हैं।
दरअसल, 15 अगस्त 1947 को मिली आजादी को संघ परिवार खंडित आजादी मानता है। संघ के कई पदाधिकारी, अपने अतीत में अपने बयानों में कह चुके हैं कि देश का विभाजन उनके हृदय में शूल की तरह चुभता है। संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने 2009 में एक टीवी इंटरव्यू के दौरान अखंड भारत के सपने पर अडिग होने की बात कही थी।
वहीं राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने 2014 में लिखे अपने एक लेख में भारत सहित पड़ोसी कुल दस देशों का समूह बनाने की जरूरत बताई थी। उन्होंने अखंड भारत के संकल्प पर चर्चा करते हुए लिखा था, आवश्यकता है वर्तमान भारत और पड़ोसी भारतखण्डी देशों को एकजुट होकर शक्ति और विकास के मार्ग में चलने की। इसलिए अंग्रेजों द्वारा रची गई साजिश को ये सभी देश (राज्य) समझें और साझा व्यापार व एक करेंसी का निर्माण कर नए होते इस क्षेत्र के युग का सूत्रपात करें।
इंद्रेश कुमार ने कहा था कि अफगानिस्तान,पाकिस्तान, बाग्लादेश सहित दस देशों का समूह बनाने से प्रत्येक देश का भय का वातावरण समाप्त हो जायेगा तथा प्रत्येक देश का प्रतिवर्ष के सैंकड़ों-हजारों-करोड़ों रुपये रक्षा व्यय के रूप में बचेंगे जो कि विकास पर खर्च किए जा सकेंगे। इससे सभी सुरक्षित रहेंगे व विकसित होंगे।
इस बार 15 अगस्त को आयोजित होने वाले अखंड भारत दिवस को लेकर संघ परिवार की ओर से बच्चों के बीच ऑनलाइन क्विज प्रतियोगिता कराने की भी तैयारी है। संघ पदाधिकारियों का कहना है कि लोगों के दिलों में यह बात बैठाने की जरूरत है कि भारत अखंड हो सकता है, भले ही इसके लिए, 50, सौ या दो सौ वर्ष लगें। विभाजन के दंश के कारण अखंडता की कामना जरूरी है।
एनएनएम
Created On :   8 Aug 2020 8:30 PM IST