हिंदू, विदेशी विवाह अधिनियमों के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
- भारत के संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 14
- 19
- और 21 के तहत गारंटीकृत अधिकारों का उल्लंघन है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को समलैंगिक जोड़े द्वारा भारत में अपनी शादी को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी किया।
अधिवक्ता नूपुर कुमार के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, याचिका यह प्रार्थना करते हुए दायर की गई है कि यह अदालत इस आशय की घोषणा जारी करने की कृपा कर सकती है कि एलजीबीटीक्यूआईए प्लस समुदाय से संबंधित व्यक्तियों को अपने विषमलैंगिक समकक्षों के समान विवाह का अधिकार है और इसलिए एक इनकार भारत के संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 14, 19, और 21 के तहत गारंटीकृत अधिकारों का उल्लंघन है और सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों में नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ और नालसा बनाम भारतीय संघ सहित कई निर्णयों को बरकरार रखा गया है।
इस मामले में याचिकाकर्ता, एक भारतीय नागरिक और एक अमेरिकी नागरिक, ने शादी की और 2014 में अमेरिका में अपनी शादी को पंजीकृत कराया और अब वे विदेशी विवाह अधिनियम, 1969 के तहत अपनी शादी को पंजीकृत कराना चाहते हैं।
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने मामले की लाइव स्ट्रीमिंग का अनुरोध करते हुए कहा कि ऐसे कई लोग हैं जो इस मामले में रुचि रखते हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि जब मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होगा तो वह इस पर विचार करेगी।
याचिका में यह निर्देश देने की मांग की गई है कि एलजीबीटीक्यूआई समुदायों से संबंधित किसी भी व्यक्ति की तरह याचिकाकर्ताओं को एक-दूसरे से शादी करने का अधिकार है, जो कि उनकी पसंद का व्यक्ति है, जो समान लिंग का है, चाहे उनका धर्म, लिंग, यौन अभिविन्यास या कोई भी हो। अन्य संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत संरक्षित हैं और आगे हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 5 के तहत और विदेशी विवाह अधिनियम, 1969 की धारा 17 के तहत अपनी शादी को पंजीकृत करने का अधिकार है, अगर उन्होंने कानूनी रूप से शादी की है। विदेशी अधिकार क्षेत्र में कम से कम एक व्यक्ति जो भारतीय नागरिक है, किसी भी अन्य विषमलैंगिक जोड़े की तरह ही अपनी शादी का पंजीकरण भी कराता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 25 नवंबर को विशेष विवाह अधिनियम के तहत समान लिंग विवाह को मान्यता देने की मांग करने वाले समलैंगिक जोड़ों द्वारा दायर दो याचिकाओं पर केंद्र और अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया।
मुख्य याचिकाकर्ता सुप्रियो चक्रवर्ती और अभय डांग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि यह विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह की याचिका है।
पीठ में शामिल न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने कहा कि हाईकोर्ट पहले से ही मामले की सुनवाई कर रहा है। वकील ने कहा कि केंद्र ने केरल हाईकोर्ट को सूचित किया था कि शीर्ष अदालत के समक्ष स्थानांतरण याचिका दायर की जाएगी।
आईएएनएस
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Created On :   14 Dec 2022 10:30 PM IST