सिम को आधार से लिंक करने पर सरकार से SC ने पूछा सवाल

SC questions Centre on mandatory linking of Aadhaar with mobile.
सिम को आधार से लिंक करने पर सरकार से SC ने पूछा सवाल
सिम को आधार से लिंक करने पर सरकार से SC ने पूछा सवाल

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।  सुप्रीम कोर्ट ने मोबाइल फोन को आधार से अनिवार्य रूप से जोड़े जाने के सरकार के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं, साथ ही कोर्ट ने कहा है कि उसने उपयोगकर्ता के अनिवार्य सत्यापन का जो आदेश दिया था सरकार ने उसका इस्तेमाल एक औजार के रूप में किया है। आधार को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में पांच जजों की संविधान बेंच ने ये बात कही। 

 

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सरकार ने आधार को बनाया "औजार"

 

मामले पर सुनवाई के दौरान जजों की बेंच ने साफ कहा कि लोकनीति फाउंडेशन की तरफ से जो याचिका दायर की गई थी उसकी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये कहा था कि मोबाइल यूजर्स को राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में सत्यापित करने की आवश्यकता है। पीठ ने कहा,उच्चतम न्यायालय ने ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया लेकिन सरकार ने इसे मोबाइल उपयोगकर्ताओं के लिए आधार अनिवार्य करने के लिए औजार के रूप में प्रयोग किया। 

 

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सरकार की दलील बैंकों-दूरसंचार कंपनियों से सवाल क्यों नहीं ? 

 

सुनवाई के दौरान UIDAI के वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि दूरसंचार विभाग ने ई-केवाईसी के जरिए मोबाइल नंबरों के पुन: सत्यापन के बारे में कहा था और टेलीग्राफ अधिनियम के तहत सरकार को सेवा प्रदाताओं के लिए लाइसेंस की शर्तों का फैसला करने का अधिकार है। जिस पर बेंच ने कहा, ‘आप सेवा लेने वालों पर शर्तें कैसे लगा सकते हैं? कोर्ट ने कहा कि लाइसेंस समझौता सरकार और सेवा प्रदाताओं के बीच था।’ इसके बाद वकील राकेश द्विवेदी ने आरोप लगाया कि आधार योजना को गलत तरीके से टारगेट किया जा रहा है, क्योंकि जानकारी लेने पर कोई भी बैंकों और दूरसंचार कंपनियों से सवाल नहीं कर रहा है। द्विवेदी ने कहा कि बैंकों और टेलीकॉम कंपनियों के पास काफी लोगों की जानकारी है। उदाहरण के लिए- आधार के बिना भी वोडाफोन के पास बड़ा डेटा बेस है।’ उन्होंने कहा, “प्रत्येक लेनदेन जो मैं कार्ड से करता हूं, कहां और कब, यह सारी जानकारी बैंकों के पास होती है। आधार यह सब नहीं बताता। एक व्यक्ति को कार का बीमा खत्म होने से पहले ही फोन कॉल आनी शुरू हो जाती हैं।’ द्विवेदी ने बेंच को एक ऐप का इस्तेमाल कर अपने और परिवार के बारे में जानकारी दिखाई। द्विवेदी ने कहा कि इसमें यह जानकारी तक है कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर सरकार की तरफ से किसी मामले में पेश होने के लिए कितनी फीस ली है। इस पर बेंच ने हैरानी जताई। 

 

Created On :   26 April 2018 9:24 AM IST

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