जल्लीकट्टू का मामला SC की संवैधानिक बेंच को ट्रांसफर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को जल्लीकट्टू मामले को लेकर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद तय किया गया कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ सुनवाई करेगी। संवैधानिक पीठ अब तय करेगी कि बैलों को काबू में करने वाले पारंपरिक खेल जल्लीकट्टू, कंबाला और मांजाविरट्टू तीनों खेलों को "कल्चरल राइट्स" के तहत जारी रखने दिया जा सकता है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ये देखेगी क्या जलीकट्टू और बैल गाड़ी रेस संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकार अनुछेद 29 (1) के तहत आते है या नहीं। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस आर एस नरीमन की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की।
ऐसे होता है जल्लीकट्टू का खेल
बता दें कि जल्लीकट्टू तमिलनाडु में पोंगल फेस्टिवल का एक हिस्सा है। फसल कटाई के मौके पर तमिलनाडु में चार दिन का पोंगल उत्सव मनाया जाता है जिसमें तीसरा दिन मवेशियों के लिए होता है। तमिल में जली का अर्थ है सिक्के की थैली और कट्टू का अर्थ है बैल का सिंग। जल्लीकट्टू को तमिलनाडु के गौरव तथा संस्कृति का प्रतीक माना जाता है। इस खेल की परंपरा 2500 साल पुरानी बताई जाती है। पोंगल उत्सव के दौरान होने वाले इस खेल में परंपरा के अनुसार शुरुआत में तीन बैलों को छोड़ा जाता है जिन्हें कोई नहीं पकड़ता। सिक्कों की थैली बैलों के सिंगों पर बांधी जाती है. फिर उन्हें भड़काकर भीड़ में छोड़ दिया जाता है, ताकि लोग उन्हें पकड़कर सिक्कों की थैली हासिल कर सकें. इस खेल में बैलों पर काबू पाने वाले लोगों को इनाम भी दिया जाता है।
ये है मामला
पशु कल्याण संगठनों के प्रयास के बाद साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने जानवरों के साथ हिंसक बर्ताव को देखते हुए जल्लीकट्टू पर बैन लगा दिया था। 8 जनवरी 2016 को मिनिस्ट्री ऑफ एन्वायरन्मेंट एंड फॉरेस्ट ने कुछ शर्तों के साथ जल्लीकट्टू को मंजूरी दी। 14 जनवरी 2016 को SC ने एनीमल वेलफेयर बोर्ड और PETA की पिटीशन पर जल्लीकट्टू पर बैन को जारी रखा और केंद्र के ऑर्डर पर स्टे लगा दिया। 8 जनवरी 2017 को चेन्नई के मरीना बीच पर सैकड़ों लोगों ने जल्लीकट्टू पर बैन के विरोध में प्रदर्शन किया। जिसके बाद ये विरोध पूरे तमिलनाडु में फैल गया। 12 जनवरी 2017 को SC ने राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर बैन को बरकरार रखा। लेकिन तमिलनाडु में कई जगह जल्लीकट्टू हुआ। केंद्र की रिक्वेस्ट पर SC ने जल्लीकट्टू पर अपना फैसला कुछ दिनों के लिए टाल दिया। 23 जनवरी 2017 को तमिलनाडु के गवर्नर ने जल्लीकट्टू जारी रखने के लिए ऑर्डिनेंस इश्यू किया, जिस पर तमिलनाडु विधानसभा में बिल पास कर जल्लीकट्टू को प्रिवेंशन ऑफ क्रुअलिटी ऑफ एनिमल एक्ट (1960) से छूट दे दी।
Created On :   2 Feb 2018 12:51 PM IST