SC ने सरकार से पूछा- विवाद तीन महीने से था तो CBI डायरेक्टर को रातों-रात क्यों हटाया ?
- CBI डायरेक्टरों की लड़ाई सार्वजनिक होने के बाद सरकार ने दोनों के अधिकार छीनते उन्हें रातों रात छुट्टी पर भेज दिया था।
- इस याचिका में आलोक वर्मा ने उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने के सरकार के फैसले को चैलेंज किया था।
- सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को CBI डायरेक्टर आलोक वर्मा की ओर से दायर की गई याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को CBI डायरेक्टर आलोक वर्मा और एनजीओ कॉमन कॉज की ओर से दायर की गई याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया। इस याचिका में आलोक वर्मा ने उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने के सरकार के फैसले को चैलेंज किया था। बता दें कि आलोक वर्मा और CBI स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना ने एक दूसरे पर भष्टाचार के आरोप लगाए थे। इनकी लड़ाई सार्वजनिक होने के बाद सरकार ने दोनों के अधिकार छीनते उन्हें 23 अक्टूबर को रातों रात छुट्टी पर भेज दिया था।
याचिका पर सुनवाई करते हुए, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने केंद्र सरकार से पूछा कि CBI डायरेक्टरों को छुट्टी पर भेजने से पहले उच्च स्तरीय कमेटी से बातचीत क्यों नहीं की गई? इस पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि हम उच्च स्तरीय कमेटी के पास इसलिए नहीं गए क्योंकि यह ट्रांसफर से जुड़ा मामला नहीं था। यदि हम कमेटी के समक्ष जाते तो वो कहती कि यह मामला हमारे सामने क्यो रखा जा रहा है? लिहाजा इस अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए यह कार्रवाई उपयुक्त थी।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से ये भी सवाल किया कि जब यह विवाद तीन महीने से था तो 23 अक्टूबर को अचानक ऐसी क्या स्थितियां बन गईं कि केंद्र को रातों-रात CBI डायरेक्टर की शक्तियां खत्म करने का फैसला करना पड़ा? सुप्रीम कोर्ट के इस सवाल पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) CBI डायरेक्टरों की लड़ाई से असाधारण स्थितियां पैदा हो गई थी। यही कारण था कि CVC इस नतीजे पर पहुंचा। उन्होंने CVC के फैसले को निष्पक्ष बताया और कहा कि दोनों डायरेक्टर अहम मामलों को छोड़कर आपस में लड़ रहे थे।
वहीं, सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने दलील दी कि CVC को CBI की जांच करने का अधिकार नहीं है। इस पर जस्टिस केएम जोसेफ ने दवे कहा कि वह CVC एक्ट के बारे में पढ़ें।
इससे पहले बुधवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि दोनों अफसर बिल्लियों की तरह लड़ाई कर रहे थे। इनके झगड़े की वजह से देश की प्रतिष्ठित जांच एजेंसी की स्थिति बेहद हास्यास्पद हो गई थी।
बता दें कि आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के झगड़े के बाद 23 अक्टूबर को सरकार ने उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया था। CBI की ओर से 15 अक्टूबर को अस्थाना के खिलाफ एक FIR दर्ज की गई थी। FIR में कहा गया था कि एक केस को रफा-दफा करने के लिए अस्थाना ने करोड़ों रुपए की रिश्वत ली है। वहीं अस्थाना ने 24 अगस्त को कैबिनेट सचिव को एक विस्तृत पत्र लिखकर CBI डायरेक्टर आलोक वर्मा के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के 10 मामले गिनाए थे।
राकेश अस्थाना ने उनपर FIR दर्ज होने के बाद हाईकोर्ट का रुख किया था जहां से उन्हें अंतरिम राहत मिल गई थी। दिल्ली की पटियाला हाईकोर्ट ने अस्थाना की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने अस्थाना का लैपटॉप और मोबाइल भी जब्त करने के लिए कहा था ताकि सबूतों से किसी तरह की छेड़छाड़ न की जा सके। अस्थाना के वकील ने कोर्ट से उनके क्लाइंट के खिलाफ दर्ज की गई FIR को रद्द करने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे ठुकराते हुए मांग को खारिज कर दिया था।
Created On :   6 Dec 2018 5:24 PM IST