मालवा-निमाड़ के उपचुनाव पर सिंधिया की पैनी नजर
भोपाल 14 अगस्त (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में आगामी समय में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया की सक्रियता बढ़ रही है। इन चुनावों को लेकर उनकी मालवा-निमाड़ अंचल पर पैनी नजर भी है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायकों ने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया था और कमलनाथ सरकार गिर गई थी, उसके बाद तीन और विधायकों ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया। इसके अलावा दो विधायकों का निधन हो गया। यानी कुल मिलाकर 27 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने वाले हैं।
राज्य के जिन क्षेत्रों में उपचुनाव प्रस्तावित हैं, उनमें सात क्षेत्र निमाड़-मालवा से हैं। आगर मालवा, हाटपिपल्या, बदनावर, सांवेर, सुवासरा, मांधाता और नेपानगर सीटों पर होने वाले उपचुनाव भाजपा के लिए काफी अहम हैं। इन विधानसभा क्षेत्रों का प्रभारी भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को बनाया गया है। सिंधिया भले ही भाजपा में आ गए हों, मगर उनकी विजयवर्गीय से सियासी अदावत काफी पुरानी है, क्योंकि दोनों मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव में कई बार आमने सामने हो चुके हैं। लेकिन अब स्थितियां बदली हैं और दोनों ही एक राजनीतिक दल यानी भाजपा में हैं।
भाजपा का दामन थामने और राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया का पिछले दिनों मालवा का एक दौरा हो चुका है, और वे देवास के हाटपिपल्या में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के साथ मौजूद भी रहे। और अब वो दोबारा मालवा आ रहे हैं, और 17 अगस्त को उनका इंदौर और उज्जैन में कार्यक्रम प्रस्तावित है। वे यहां धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लेने के अलावा कई नेताओं से मेल-मुलाकात भी करने वाले हैं।
सिंधिया इस प्रवास के दौरान इंदौर और उज्जैन में भाजपा के तमाम बड़े नेताओं से मुलाकात करेंगे। नेताओं में शामिल हैं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, सांसद शंकर लालवानी व अनिल फिरौदिया। इसके अलावा मंत्री उषा ठाकुर से भी सिंधिया मुलाकात करने वाले हैं। सिंधिया की इन मुलाकातों को सियासी तौर पर काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मालवा-निमाड़ वह इलाका है जहां सिंधिया राजघराने का प्रभाव रहा है।
मालवा क्षेत्र के राजनीतिक जानकार जिनेंद्र सुराना का मानना है कि मालवा-निमड़ के उपचुनाव सिंधिया की प्रतिष्ठा से जुड़े हुए हैं, क्योंकि यह क्षेत्र कभी उनके परिवार की रियासत का हिस्सा रहा है। लिहाजा वे अपने प्रभाव का उपचुनाव में उपयोग करना चाहेंगे, इसके लिए भाजपा नेताओं के साथ समन्वय स्थापित करना भी बेहद जरुरी है। पिछले चुनावों पर गौर करें तो, सिंधिया अपने समर्थकों को भी चुनाव जिताने में नाकाम रहे थे। इस बार ऐसा न हो, इसे बड़ी चुनौती के तौर पर देख रहे होंगे खुद सिंधिया।
एसएनपी/एएनएम
Created On :   14 Aug 2020 4:30 PM IST