प्रमोशन में आरक्षण के लिए केंद्र सरकार तैयार, कहा- पुनर्विचार की तत्काल जरूरत
- केंद्र सरकार ने अपील की है कि सुप्रीम कोर्ट के 2006 नागराज जजमेंट पर रोक लगाई जाए।
- नागराज जजमेंट प्रमोशन में SC-ST के आरक्षण से संबंधित है।
- सुप्रीम कोर्ट में 12 साल पुराने नागराज जजमेंट पर सुनवाई चल रही है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC-ST) को प्रमोशन में आरक्षण मिलना चाहिए या नहीं इस मामले पर केंद्र सरकार ने अपना रुख साफ कर दिया है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि SC ST के हजारों लोगों के प्रमोशन रुकी हुई है। यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट के 2006 में सुनाए गए नागराज जजमेंट पर रोक लगाई जाए। सरकार ने कोर्ट को बताया है कि 2006 के फैसले को लागू कर पाना संभव नहीं है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में 12 साल पुराने नागराज जजमेंट पर सुनवाई चल रही है। नागराज जजमेंट प्रमोशन में SC-ST के आरक्षण से संबंधित है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि नागराज मामले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ को फैसले की समीक्षा की जरूरत है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि SC-ST के प्रतिनिधित्व के आंकड़ों के आधार पर ही फैसला लिया जा सकता है।
SC-ST 1000 सालों से पिछड़े
केंद्र सरकार की तरफ से पक्ष रखने के लिए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल सुप्रीम कोर्ट में मौजूद थे। वेणुगोपाल ने कहा कि एससी-एसटी तबके को आज भी प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि प्रमोशन में आरक्षण देना सही है या गलत इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन यह तबका 1000 से अधिक सालों से झेल रहा है। वेणुगोपाल ने कहा कि SC-ST के लोग 1000 से अधिक सालों से पिछड़े हैं।
पुनर्विचार की तत्काल जरूरत
सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन में आरक्षण की वकालत करते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि एससी-एसटी पहले से ही पिछड़े हैं, इसलिए इस आरक्षण के लिए अलग से किसी डेटा की जरूरत नहीं है। वेणुगोपाल ने सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कहा कि जब एक बार उन्हें एससी/एसटी के आधार पर नौकरी मिल चुकी है तो पदोन्नति में आरक्षण के लिए फिर से डेटा की क्या जरूरत है? केंद्र ने कोर्ट से कहा है कि 2006 के फैसले पर पुनर्विचार की तत्काल जरूरत है।
The Supreme Court"s five-judge Constitution bench is examining whether its 12-year-old verdict that had dealt with the issue of providing reservations to SC and ST categories in government job promotions is right or wrong. https://t.co/CW7rmfUIFx
— ANI (@ANI) August 3, 2018
वेणुगोपाल की इन सब दलीलों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनसे एक जवाब भी मांगा। कोर्ट ने कहा कि बताया जाए कि नागराज जजमेंट में दिया वह व्यवस्था कैसे गलत है कि आरक्षण देने से पहले उनका सामाजिक आर्थिक डेटा देखा जाय की वे पिछड़ेपन के शिकार हैं या नहीं।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने 2006 में नागराज से संबंधित मामले में जजमेंट दिया था। 2006 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कानून को सही ठहराते हुए शर्त लगाई थी कि आरक्षण से पहले यह देखना होगा कि अपर्याप्त प्रतिनिधित्व और पिछड़ापन है या नहीं, और इसके लिए आंकड़े देने होंगे। नागराज के फैसले में कहा गया था कि क्रिमी लेयर का कान्सेप्ट यहां लागू नहीं होता।
Created On :   3 Aug 2018 6:44 PM IST