बढ़े हुए जॉब दिखाना चाहती है सरकार, सेल्फ एम्प्लॉयमेंट पाए लोगों को भी आंकड़ों में शामिल करने की तैयारी

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बढ़े हुए जॉब दिखाना चाहती है सरकार, सेल्फ एम्प्लॉयमेंट पाए लोगों को भी आंकड़ों में शामिल करने की तैयारी
बढ़े हुए जॉब दिखाना चाहती है सरकार, सेल्फ एम्प्लॉयमेंट पाए लोगों को भी आंकड़ों में शामिल करने की तैयारी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बेरोजगारी के मुद्दे पर चुनाव जीतकर आई भारतीय जनता पार्टी की नरेंद्र मोदी सरकार जितनी नौकरियां देने का वादा किया था उसमें नाकाम रही है, लेकिन आंकड़ों की बाजीगरी की बदौलत सरकार अब स्वरोजगार को भी नौकरी के आंकड़ों में शामिल करने की तैयारी कर रही है। श्रम मंत्रालय ने इसके लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेजा है। अगर सरकार प्रस्ताव स्वीकार कर लेती है तो देश में नौकरियों के आंकड़ों में काफी तेजी से बढ़ोतरी देखी जाएगी।

बता दें कि इस मुद्दे पर सरकार लगातार विपक्ष की तीखी आलोचना झेल रही है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक, श्रम मंत्रालय प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के तहत रोजगार हासिल करने वाले लोगों को भी नौकरी हासिल करने वाले लोगों के रिकॉर्ड में शामिल करने की तैयारी कर रहा है। इस मुद्दे पर आलोचना झेल रहे सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों का ये कहना है कि PMMY के तहत जब बड़ी संख्या में युवाओं को लोन और रोजगार मिला है, तो फिर उसे जॉब के आंकड़ों में क्यों न जोड़ा जाए।

हाल में जारी सरकारी आंकड़े में जहां एक तरफ ये बताया गया था कि इस वित्त वर्ष में 55 लाख लोग ईपीएफओ के नेटवर्क से जुड़ेंगे, वहीं आलोचकों का कहना है कि ईपीएफओ नामांकन बढ़ने का मतलब नौकरियां बढ़ना नहीं है। जबकि 55 लाख लोगों के ईपीएफओ नेटवर्क से जुड़ने के बाद सरकार का ये मानना है कि नौकरियों में अच्छी बढ़त हो रही है।

भारत में करीब 50 करोड़ से ज्यादा का वर्कफोर्स है और इसमें अगर PMMY से जुड़े लोगों को जोड़ लिया जाए तो 5 करोड़ लोगों की संख्या और बढ़ जाएगी। इस वर्कफोर्स का करीब 10 फीसदी हिस्सा ही औपचारिक क्षेत्र में है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत करोड़ों की संख्या में लोन दिए गए हैं, जिसपर सरकार के प्रतिनिधि‍यों का कहना है कि उनसे भी बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिला है। वे इस स्वरोजगार में लगे लोगों को भी नौकरियों के आंकड़ों से जोड़ना चाहते हैं।

गौरतलब है कि साल 2014 में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद हर साल 1 करोड़ नौकरियों के सृजन का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन लेबर ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2017 में महज 4। 16 लाख नौकरियां ही मिल पाई हैं।

Created On :   30 Jan 2018 10:18 PM IST

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