उड़ीसा के 'सतकोशिया टाईगर रिजर्व' में मप्र से बाघों की शिफ्टिंग का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में
डिजिटल डेस्क शहडोल । मध्यप्रदेश से सतकोशिया टाईगर रिजर्व उड़ीसा में बाघों की शिफ्टिंग टल सकती है। प्रदेश सरकार की सैद्धांतिक स्वीकृति मिलने के बाद उड़ीसा की तरफ से कोई वैधानिक पहल नहीं हुई है। यही कारण है कि प्रदेश में अभी उन बाघों का चिन्हांकन तक नहीं हुआ है।
एनटीसीए से हरी झण्डी मिलने के बाद मार्च के अंतिम सप्ताह में छह बाघों को उड़ीसा टाईगर रिजर्व मेें भेजने का प्रोजेक्ट है। पन्ना की तर्ज पर टाईगर विहीन हो चुके सतकोशिया को आबाद किया जाना है। प्लान के तहत बांधवगढ़ और कान्हा टाईगर रिजर्व से बाघ शिफ्टिंग की जानी थी। मार्च के अंतिम सप्ताह तक कोई माकूल हलचल न होने पर फिलहाल अप्रैल तक प्रोजेक्ट आगे बढ़ाया जा सकता है।
बांधवगढ़ व मण्डला तय हैं
सरकार से मिली स्वीकृति के तहत 2-2 जोड़े तीन टाईगर रिजर्व से भेजे जाने हैं। बांधवगढ़ उमरिया व मण्डला में कई बार ओवरफ्लो बाघों के चलते आबादी वाले इलाके में बाघों की घटनाएं बढ़ी हैं। साथ ही इन क्षेत्रों के जेनेटिक नेचर उड़ीसा सतकोसिया से मिलते जुलते हैं। इसलिए यहां से बाघों का जाना लगभग तय है। हालांकि इसकी पुष्टि बीटीआर से लेकर भोपाल के वरिष्ठ अधिकारी नहीं कर रहे।
पहले शेर लाएं फिर बाघ जायेंगे
प्रदेश से बाघों को उड़ीसा भेजे जाने की खबर फैलते ही वन्यजीव प्रेमियों द्वारा विरोध शुरू हो गया है। बाघ संरक्षण के लिए कार्यरत वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ अजय दुबे ने इसे सरकार की विफलता करार दिया है। उनका कहना है सुको. के निर्णय अनुसार सरकार गुजरात से बाघ ला नहीं पाई जबकि प्रदेश के वन्यजीव को दूसरी जगह भेजने जा रही है। सतकोसिया टाईगर रिजर्व में अतिक्रमण व शिकार चरम पर है। यही कारण है कि वहां केवल गिनती के बाघ बचे हैं।
इनका कहना है
उड़ीसा की तरफ से अभी कुछ नहीं कहा जा रहा। जब बोलेंगे तब प्रदेश में कहीं से भी बाघ भेजे जा सकते हैं। अभी फिलहाल चिन्हित नहीं किये गये हैं।
आलोक कुमार, एपीसीसीएफ भोपाल
Created On :   23 March 2018 4:56 PM IST