मप्र के बासमती पर शिवराज-कमल नाथ आए आमने-सामने

Shivraj-Kamal Nath came face to face on MP Basmati
मप्र के बासमती पर शिवराज-कमल नाथ आए आमने-सामने
मप्र के बासमती पर शिवराज-कमल नाथ आए आमने-सामने

भोपाल 7 अगस्त (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश के बासमती चावल को जीआई (जियोलॉजिकल इंडीकेशन) देने की चल रही कवायद के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह द्वारा उठाए गए सवाल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ को आमने-सामने ला दिया है।

मुख्यमंत्री चौहान जहां कांग्रेस को किसान विरोधी बताने में लग गए हैं, तो वहीं कमल नाथ ने चौहान पर सस्ती राजनीति करने का आरोप लगाया है।

ज्ञात हो कि मध्यप्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैगिंग दिलाए जाने के प्रयास जारी हैं। इसी बीच बुधवार को पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि कृषि उत्पादों को जीआई टैिंगंग दिए जाने से उनको भौगोलिक पहचान मिलती है। अगर जीआई टैगिंग से छेड़छाड़ होती है तो इससे भारतीय बासमती के बाजार को नुकसान होगा और इसका सीधा लाभ पाकिस्तान को मिल सकता है।

पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र के जवाब में मुख्यमंत्री चौहान ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा है, साथ ही कांग्रेस को किसान विरोधी करार दिया है और पूछा है कि आखिर मध्यप्रदेश के किसानों से कांग्रेस को क्या दुश्मनी है।

चौहान ने राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद किए गए वादे का जिक्र करते हुए लिखा है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन जाने पर राहुल गांधी ने 10 दिन में किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा की थी, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ ने इसे मजाक बना दिया। इतना ही नहीं, फसल बीमा का प्रीमियम भी कमल नाथ सरकार ने नहीं भरा, जिससे किसानों को दावा राशि नहीं मिल पाई।

राज्य के बासमती चावल की गुणवत्ता का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि मध्यप्रदेश का बासमती देश-विदेश में प्रसिद्ध है। जीआई टैग से अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारत के बासमती चावल की कीमतों की स्थिरता मिलेगी और देश के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ राइस रिसर्च, हैदराबाद में अपनी उत्पादन सर्वेक्षण रिपोर्ट में दर्ज किया है कि मध्यप्रदेश में पिछले 25 सालों से बासमती चावल का उत्पादन किया जा रहा है।

कमल नाथ ने मुख्यमंत्री के कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखने पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि वास्तव में पत्र तो प्रधानमंत्री को लिखा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, यह बड़ा ही आश्चर्यजनक है कि मध्यप्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैग मिले, इसको लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री के प्रधानमंत्री को लिखे पत्र का जवाबी पत्र हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री को लिखने की बजाय सोनिया गांधी को पत्र लिख रहे हैं। इसी से समझा जा सकता है कि उनको इस मामले में कितनी समझ है। उन्हें सिर्फ राजनीति करनी है, किसान हित तथा प्रदेश हित से उनका कोई लेना-देना नहीं है।

कमल नाथ ने शिवराज की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए लिखा कि यदि वो अपनी पिछली सरकार में 10 वर्षो में इसके लिए ठोस प्रयास कर लेते तो शायद आज प्रदेश के किसानों को अपना हक मिल चुका होता। लेकिन उस समय भी कुछ नहीं किया और अब भी सिर्फ राजनीति।

कमल नाथ ने जीआई टैग का मामला सर्वोच्च न्यायालय में होने का जिक्र करते हुए कहा, बेहतर हो कि वो सुप्रीम कोर्ट में प्रदेश के किसानों के हित में इस मामले में सारे तथ्य रखकर इस लड़ाई को ठोस ढंग से लड़ें। पंजाब के मुख्यमंत्री के प्रधानमंत्री को लिखे पत्र के जवाब में प्रदेश के बासमती चावल से जुड़े सारे तथ्य प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर भेजें। यह कांग्रेस-भाजपा का मामला नहीं है, यह केंद्र सरकार का विषय है। वहां के मुख्यमंत्री अपने प्रदेश के किसानों का हक देख रहे हैं, हमें भी अपने प्रदेश के किसानों का हक देखना है।

कमल नाथ ने आगे लिखा है, मद्रास हाईकोर्ट से 27 फरवरी 2020 को याचिका खारिज होने के बाद हमने तीन मार्च 2020 को ही इस मामले में बैठक बुलाई और प्रधानमंत्री व देश के कृषि मंत्री को पत्र लिखा, लेकिन शिवराज चौहान तो उस समय सरकार गिराने में लगे थे। 23 मार्च से आज तक शिवराज सरकार ने इस मामले में क्या किया, यह भी सामने लाएं?

उन्होंने आगे लिखा, शिवराज, आप इस मामले में झूठे आरोप व सस्ती राजनीति करने की बजाय ठोस कदम उठाएं, जिससे प्रदेश के किसानों का भला हो व प्रदेश को उसका हक मिले।

एसएनपी

Created On :   7 Aug 2020 6:00 PM GMT

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