हाईकोर्ट ने खारिज की सज्जन कुमार की याचिका, सरेंडर में एक्सटेंशन नहीं
- 31 दिसंबर तक सज्जन कुमार को करना है सरेंडर
- कोर्ट ने कहा
- समय बढ़ाने का कोई ठोस कारण नहीं
- सज्जन ने कोर्ट से मांगी थी 30 दिन की मोहलत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने कोर्ट से सरेंडर करने का समय बढ़ाने की गुजारिश की थी। याचिका में सज्जन ने कोर्ट से 30 दिनों की मोहलत मांगी थी, जिसके जवाब में कोर्ट ने कहा था कि सरेंडर का समय बढ़ाने की कोई ठोस वजह नहीं है। पूर्व कांग्रेस नेता को 1984 में हुए सिख दंगों में उम्रकैद की सजा मिली है, उन्हें 31 दिसंबर तक सरेंडर करना है। इससे पहले सजा का ऐलान होते ही सज्जन ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था।
दिल्ली हाईकोर्ट ने सज्जन को उम्रकैद सुनाने के साथ ही 5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था। कोर्ट ने सज्जन को 31 दिसंबर के पहले सरेंडर करने का आदेश दिया है। दरअसल, इंदिरा गांधी की मौत के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे फैल गए थे। दिल्ली कैंट में 1 और 2 नवंबर को भीड़ ने 5 सिखों की बेरहमी से हत्या कर दी थी। भीड़ की भेंट चढ़ने वालों में रघुविंदर सिंह, केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, कुलदीप सिंह और नरेंद्र पाल सिंह शामिल थे। वहां मौजूद लोगों ने सज्जन कुमार पर भीड़ को उकसाने का आरोप लगाया था। भीड़ के हाथों मरने वाले केहर सिंह की पत्नी और गुरप्रीत सिंह की मां जगदीश कौर ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। दंगे में मारे गए एक सिख के भाई जगशेर सिंह ने भी कोर्ट में गवाही दी थी।
सज्जन कुमार पर डकैती, आपराधिक साजिश के साथ ही मर्डर की शिकायत की गई थी। 2005 में नानावटी कमीशिन ने सज्जन के खिलाफ केस दर्ज करने की सिफारिश की थी, जिसे मान लिया गया। सज्जन के खिलाफ सीबीआई (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन) ने 2 चार्जशीट फाइल की थीं। उनके अलावा कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर पर भी दंगा भड़काने के आरोप लगे थे। सज्जन ने 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था।
न्यायमूर्ति जीटी नानावटी आयोग और जगदीश कौर की शिकायत को आधार बनाकर सीबीआई ने 2005 में सज्जन कुमार, पूर्व विधायक महेंद्र यादव, पूर्व पार्षद बलवंत खोखर, कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल और कृष्ण खोखर के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इसके बाद सीबीआई ने 13 जनवरी 2010 को सभी 6 आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। पांच लोगों को दोषी ठहराकर कोर्ट ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया था, जिसके बाद दंगा पीड़ितों और सीबीआई ने उच्च अदालत में याचिका लगाई थी।
बता दें कि सज्जन कुमार को कभी दिल्ली की राजनीति में कांग्रेस का बड़ा चेहरा माना जाता था। दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री चौधरी ब्रम्ह प्रकाश को 1980 में लोकसभा चुनाव हराने वाले सज्जन कुमार कभी देश की राजधानी में चाय की दुकान चलाया करते थे। संजय गांधी की नजर उन पर 1970 में पड़ी थी, जिसके बाद सज्जन ने दिल्ली के मादीपुर क्षेत्र से नगर पालिका का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
Created On :   21 Dec 2018 11:43 AM IST