Gold mine: सोनभद्र की सोन पहाड़ी में खनन से ढह सकता है कुलदेवता मंदिर !

Sonbhadras Sone hill: Kuldevata temple can collapse due to mining!
Gold mine: सोनभद्र की सोन पहाड़ी में खनन से ढह सकता है कुलदेवता मंदिर !
Gold mine: सोनभद्र की सोन पहाड़ी में खनन से ढह सकता है कुलदेवता मंदिर !
हाईलाइट
  • सोनभद्र की सोन पहाड़ी : खनन से ढह सकता है कुलदेवता मंदिर!

डिजिटल डेस्क, सोनभद्र (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले की जिस सोन पहाड़ी में कथित स्वर्ण अयस्क मिलने की संभावना जताई गई है, उसकी चोटी में आदिवासियों के कुलदेवता सोनयित डीह बाबा का हजारों साल पुराना एक मंदिर भी है। यदि पहाड़ी में खनन हुआ तो यह मंदिर भी ढह सकता है।

सोनभद्र जिले के पनारी गांव पंचायत की जुड़वानी गांव स्थित सोन पहाड़ी में हाल ही में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) ने अपने सर्वे में करीब तीन हजार टन स्वर्ण अयस्क पाए जाने और उससे करीब 160 किलोग्राम सोना निकलने की संभावना जताई है, लेकिन यह बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि इसी सोन पहाड़ी की चोटी में हजारों साल पुराना आदिवासियों के कुलदेवता सोनयित डीह बाबा का स्थान भी है, जिसकी पूजा-अर्चना आदिवासी राजा बल शाह भी किया करते थे और अब यह मंदिर हजारों आदिवासियों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।

कहा तो यहां तक जा रहा है कि 711 ईस्वी में चंदेल शासक के हमले के बाद आदिवासी राजा बल शाह अपना अगोरी किला छोड़कर किसी गुफा (खोह) में छिप गए थे और उनकी रानी जुरही देवी ने इसी मंदिर में शरण ली थी। मगर चंदेल शासक ने जुरही देवी को पकड़कर जुगैल गांव के जंगल में ले जाकर मार दिया था। इसी कुलदेवता के मंदिर में अष्टधातु की बहुत पुरानी एक तलवार भी रखी है, जिसे आदिवासी रानी जुरही की तलवार बताते हैं और उसकी पूजा भी करते हैं।

पनारी गांव पंचायत के पूर्व प्रधान सुखसागर खरवार बताते हैं कि सोन पहाड़ी की चोटी की ऊंचाई करीब पांच सौ फीट है और इसी चोटी में आदिवासियों के कुल देवता सोनयित डीह बाबा का स्थान है, जो हजारों साल से आदिवासियों की आस्था का केंद्र है। यहां आस-पास के कई गांवों के हजारों आदिवासी आज भी पूजा करने आते हैं और उनकी मन्नतें पूरी होती हैं।

खरवार के मुताबिक, मंदिर में एक अष्टधातु की तलवार रखी हुई है, जो आदिवासी राजा बल शाह की पत्नी (रानी) जुरही देवी की बताई जाती है।

कई आदिवासी बुजुर्गो के हवाले से पूर्व प्रधान सुखसागर ने बताया, यहां विराजमान कुलदेवता की पूजा राजा बल शाह भी किया करते थे और 711 ईस्वी में चंदेल शासक के आक्रमण के समय वह तो जंगल की किसी गुफा में छिप गए थे, लेकिन रानी जुरही देवी अपने कुलदेवता सोनयित डीह के मंदिर में शरण ले रखी थी, जहां से पकड़कर चंदेल शासक ने जुगैल के जंगल में मार दिया था। बाद में हत्या वाली जगह में आदिवासियों ने जुरही देवी का मंदिर बनवाया था।

कुछ बुजुर्ग आदिवासी मानते हैं कि राजा बल शाह द्वारा सोन पहाड़ी में छिपाए गए सौ मन (चार हजार किलोग्राम) सोना की रखवाली खुद सोनयित डीह बाबा करते हैं, तभी तो चंदेलों के बाद अंग्रेज भी पहाड़ी की खुदाई कर सोना नहीं ढूंढ पाए।

जुड़वानी गांव के राजबली गोंड कहते हैं, हमें उतनी चिंता अपने परिवारों के उजड़ने की नहीं है, जितनी पहाड़ी के खनन से कुलदेवता का मंदिर नष्ट होने की है। इस मंदिर में हजारों साल से आदिवासियों की आस्था जुड़ी है।

राजबली तो यहां तक कहते हैं, सरकार अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनवाने जा रही है। कम से कम यहां हमारे कुलदेवता का मंदिर बनवाए। अगर नहीं बनवाना हो तो कम से कम जो बना है उसे किसी को गिराने न दे।

आदिवासी युवक सुरेश और बालगोविंद कहते हैं कि जब से सुना कि सोना के लिए सोन पहाड़ी की खुदाई होना निश्चित है, तब से सभी आदिवासी अपने कुलदेवता के मंदिर को लेकर परेशान हैं, मगर किससे कहें कि मंदिर न गिराएं।

दोनों युवक कहते हैं कि हजारों साल से इस पहाड़ी में कुलदेवता का देवस्थान बना है, करीब बीस साल पहले आदिवासियों ने चंदा कर वहां उनका मंदिर भी बनवाया है। वे कहते हैं कि सरकार सोना खोदवा ले, पर कुलदेवता का मंदिर न गिरवाए।

 

Created On :   26 Feb 2020 10:30 AM IST

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