सोनिया के डिनर पर बोले राहुल- काफी राजनीतिक बातें हुईं, नजदीकियां भी बढ़ीं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने मंगलवार को अपने घर पर विपक्ष को एकजुट करने के लिए एक "डिनर पार्टी" रखी थी। इस डिनर में 20 विपक्षी पार्टियों के नेता शामिल हुए। हालांकि वेस्ट बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की चीफ ममता बनर्जी ने इससे दूरी ही बनाई, लेकिन शरद पवार, रामगोपाल यादव, तेजस्वी यादव समेत कई बड़ी पार्टियों के नेताओं ने इसमें शिरकत की। डिनर के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि डिनर में नेताओं के साथ काफी राजनीतिक बातें भी हुईं। वहीं बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि इस समय केंद्र में तानाशाह सरकार है और हमें इसे हटाना चाहते हैं।
डिनर में कौन-कौन हुआ शामिल?
मंगलवार शाम को सोनिया गांधी के घर पर हुए डिनर में 20 विपक्षी पार्टियों के नेता एकसाथ आए। इस डिनर में समाजवादी पार्टी की तरफ से रामगोपाल यादव, NCP से शरद पवार, RJD से तेजस्वी यादव और मीसा भारती, नेशनल कॉन्फ्रेंस से उमर अब्दुल्ला, झारखंड मुक्ति मोर्चा से हेमंत सोरेन, CPI से डी. राजा, RLD से अजित सिंह, CPM से मोहम्मद सलीम शामिल हुए। इनके अलावा DMK से कनिमोझी, बीएसपी से सतीश मिश्रा, JVM से बाबूलाल मरांडी, RSP से रामचंद्र, हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (HAM) से जीतन राम मांझी, JDS से डॉ. के रेड्डी, AIUDF से बदरुद्दीन अजमल, TMC से सुदीप बंदोपाध्याय, IUML से कुट्टी, हिंदुस्तान ट्राइबल पार्टी से शरद यादव ने भी इस डिनर में हिस्सा लिया।
Fabulous dinner tonight, hosted by UPA Chairperson, Sonia Gandhi Ji. An opportunity for leaders from different political parties to meet and bond, informally.
— Office of RG (@OfficeOfRG) March 13, 2018
Much political talk but much more important - tremendous positive energy, warmth and genuine affection. pic.twitter.com/IxaAm7UPoI
राहुल बोले- राजनीतिक बातें भी हुईं
डिनर खत्म होने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक ट्वीट किया। इस ट्वीट में राहुल ने कहा कि "यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी जी की तरफ से शानदार डिनर रखा गया। इस डिनर में विपक्ष के नेताओं को आपस में मुलाकात करने का मौका मिला और नेताओं के बीच नजदीकियां बढ़ी।" उन्होंने आगे लिखा "इस दौरान काफी राजनीतिक बातें हुईं, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण यहां पॉजिटिव एनर्जी, गर्मजोशी और सच्ची दोस्ती देखने को मिली।"
तेजस्वी ने कहा- तानाशाही सरकार हटाना मकसद
वहीं डिनर से लौटते हुए बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि "इस डिनर में संविधान को बचाने के लिए चर्चा की गई। केंद्र में इस समय तानाशाह सरकार है और हम इसे हटाना चाहते हैं। आज NDA का कोई भी सहयोगी खुश नहीं है। अकाली दल, शिवसेना और TDP सभी नाराज हैं। ये डिनर तो बस एक शुरुआत है।"
कांग्रेस की इस "डिनर डिप्लोमेसी" के क्या हैं मायने?
1. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बीजेपी के खिलाफ "थर्ड फ्रंट" बनाने की बात कही है। इस थर्ड फ्रंट के लिए राव ने ममता बनर्जी से बात की, लेकिन कांग्रेस से कोई बात नहीं की। इससे विपक्षी पार्टियों में कांग्रेस पिछड़ती नजर आ रही थी। अब डिनर के बहाने सोनिया गांधी विपक्ष को अपने साथ लाना चाहती हैं।
2. हाल ही में नॉर्थ-ईस्ट के तीनों राज्यों में हार के बाद कांग्रेस का मनोबल टूटा है और उसके बाद चंद्रशेखर राव की तरफ से थर्ड फ्रंट बनाने की कोशिश ने कांग्रेस को आहत किया है। लिहाजा कांग्रेस को ऐसे हालातों से निपटने के लिए कुछ न कुछ तो कदम उठाने ही थे।
3. इस डिनर के जरिए सोनिया गांधी ये बात साबित करना चाहती हैं कि बीजेपी और NDA के खिलाफ जो महागठबंधन बनेगा, उसकी कमान कांग्रेस के पास ही होगी।
4. ममता बनर्जी और चंद्रशेखर राव थर्ड फ्रंट बनाने की बात कह रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का कद कम होगा, जो सोनिया को मंजूर नहीं है। क्योंकि इससे कांग्रेस और कमजोर हो जाएगी। इस कारण सोनिया डिनर डिप्लोमेसी के जरिए बाकी विपक्षी पार्टियों को शामिल करने की कोशिश कर रही हैं।
5. सबसे बड़ी बात राजनीति में बदलते वक्त के साथ रणनीति बदलना भी जरूरी है और सोनिया भी वही कर रहीं हैं। इस डिनर में सोनिया ने उन पार्टियों को खासतौर से इनवाइट किया है, जो न ही NDA का हिस्सा हैं और न ही UPA का।
क्या है सोनिया की रणनीति?
सोनिया गांधी को अब इस बात का एहसास हो चुका है कि बगैर विपक्षी ताकत को एकजुट किए बीजेपी को हराना नामुमकिन है। अब कांग्रेस सिर्फ तीन राज्यों में सिमट कर रह गई है, जिसमें से कर्नाटक में तो अगले दो महीनों में चुनाव भी होने हैं। कर्नाटक में कांग्रेस करो या मरो की स्थिति है। इसके साथ ही सारा विपक्ष थर्ड फ्रंट बनाने की कवायद में जुटा है, वो भी कांग्रेस की गैरमौजूदगी में। अब ऐसे में अगर कांग्रेस की गैरमौजूदगी में थर्ड फ्रंट बनता है, तो इसका सियासी नुकसान कांग्रेस को तो होगा ही, साथ ही राहुल गांधी पर भी कई सवाल होंगे। इसके अलावा अब लोकसभा चुनावों में भी ज्यादा समय नहीं बचा है। ऐसे में बीजेपी को रोकने के लिए विपक्ष का एकजुट होना जरूरी है। यही कारण है कि कांग्रेस की कमान राहुल गांधी को सौंपने के बाद भी सोनिया अभी भी अपना पूरा ध्यान पार्टी पर दे रही हैं। इन सबके अलावा ममता बनर्जी और शरद पवार जैसे बड़े नेताओं को राहुल के नीचे काम करना पसंद नहीं है। उनका अपना जनाधार है। ममता और शरद का तालमेल सोनिया गांधी से अच्छा रहा है, लेकिन 47 साल के राहुल से उनका तालमेल अब तक तो ठीक नहीं दिखाई दे रहा। लिहाजा सोनिया अपनी ही लीडरशिप में विपक्षी नेताओं को एकजुट करने की कोशिश कर रही हैं।
Created On :   14 March 2018 8:40 AM IST