पंडित नेहरू वाले बयान पर तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने मांगी माफी
- तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने अपने नेहरू वाले बयान के लिए मांगी माफी।
- दलाई लामा ने अपने बयान में कहा था कि स्वयं को प्रधानमंत्री के रूप में देखना पंडित नेहरू का आत्म केंद्रित रवैया था।
- दलाई लामा ने कहा
- उनके बयान ने विवाद पैदा कर दिया है। यदि उन्होंने कुछ गलत कहा है तो वह इसके लिए माफी मांगते हैं।
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरू। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने अपने उस बयान के लिए माफी मांगी है, जिसमें उन्होंने कहा था, "मुझे लगता है कि स्वयं को प्रधानमंत्री के रूप में देखना पंडित नेहरू का आत्म केंद्रित रवैया था। महात्मा गांधी की सोच को यदि स्वीकारा गया होता तो भारत और पाकिस्तान एक होते। मैं पंडित नेहरू को बहुत अच्छी तरह जानता हूं, वह बेहद अनुभवी और बुद्धिमान व्यक्ति थे, लेकिन कभी-कभी गलतियां हो जाती हैं।"
दलाई लामा से जब शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों ने पूछा कि नेहरू को आत्मकेंद्रित कहने के पीछे उनका क्या आशय था। इस पर दलाई लामा ने कहा, उनके बयान ने विवाद पैदा कर दिया है। यदि उन्होंने कुछ गलत कहा है तो वह इसके लिए माफी मांगते हैं। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने सुना कि महात्मा गांधी विभाजन के खिलाफ थे तो उन्हें दया आ गई। दलाई लामा तिब्बत की निर्वासित सरकार के 60 साल पूरे होने के अवसर पर "शुक्रिया कर्नाटक" नाम के एक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे, इस दौरान उन्होंने ये बात कही है। दलाई लामा ने ये भी कहा कि जवाहर लाल नेहरू ने तिब्बती बस्ती बनाने का पूरा समर्थन किया था।
इससे पहले दलाई लामा की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया करते हुए बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा था कि दलाई लामा को पहले इस बारे में बात करनी चाहिए थी और अब इस बात का कोई ज्यादा महत्व नहीं है। स्वामी ने कहा था ये ऐतिहासिक मुद्दे हैं। यह सच है कि महात्मा गांधी चाहते थे कि जिन्ना प्रधान मंत्री बने, क्योंकि वह अल्पसंख्यक प्रधानमंत्री होते। अंग्रेजों के जाने के बाद उन्हें हटाया जा सकता था, लेकिन यह भी सच है कि जवाहरलाल नेहरू ने केवल अपने बारे में सोचा था। जबकि गांधी केवल यह सोच रहे थे कि अंग्रेजों को कैसे हटाया जा सकता है।
Created On :   10 Aug 2018 9:09 PM IST