खाप पंचायत : केंद्र ने कहा इंटर-कास्ट मैरिज करने वाले कपल को सुरक्षा दें राज्य
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एक बार फिर से खाप पंचायत के मसले पर सुनवाई हुई और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि "राज्य सरकारों को उन कपल्स को पुलिस प्रोटेक्शन देना चाहिए, जिन्हें अपनी जान का खतरा है। क्योंकि उन्होंने इंटर कास्ट या इंटर-गोत्र शादी की है।" इसके साथ ही केंद्र ने ये भी कहा कि हर राज्यों में ऑनर किलिंग रोकने के लिए एक स्पेशल सेल बनाई जाए। बता दें कि कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कपल्स की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार और पिटीशनर्स से सुझाव मांगे थे।
केंद्र सरकार ने क्या सुझाव दिए :
1. शादी करने वाले कपल को कोई रोकता है तो राज्य सरकार उसके खिलाफ ठोस कदम उठाए।
2. सभी राज्यों एक स्पेशल सेल बनाई जाए, जो ऑनर किलिंग को रोकने का काम करे।
3. अपनी मर्जी से शादी करने वाला कोई कपल शादी का रजिस्ट्रेशन कराने जाए, तो उसी वक्त ये बताए कि उनकी जान को खतर है।
4. उन पुलिसवालों के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई की जाए, तो शिकायत के बावजूद भी कोई एक्शन न ले।
5. उन लोगों के खिलाफ केस चलना चाहिए जो अपनी मर्जी से शादी करने वाले कपल को परेशान करते हैं।
एमिकस क्यूरी ने भी दिए थे कुछ सुझाव :
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में एमिकस क्यूरी राजू रामचंद्रन ने भी एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें शादी करने वाले कपल की सुरक्षा कैसे की जाए, इस पर सुझाव दिए गए हैं। एमिकस क्यूरी की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर कोई भी व्यक्ति दो बालिगों को शादी करने से रोकता है, तो उसके खिलाफ पुलिस तुरंत कानूनी कार्रवाई करे और कपल को सुरक्षा दे।
1. राजू रामचंद्रन ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि अगर किसी भी शादी का कहीं पर भी विरोध करने के लोग इकट्ठे हों या फिर शादी में रुकावट पैदा करें या शादी करने वाले कपल को रोकें, तो उनके खिलाफ पुलिस तुरंत कार्रवाई करते हुए FIR दर्ज करे और कपल को सुरक्षा दे।
2. इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है जिल के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की ये ड्यूटी है कि वो समाज के खिलाफ शादी करने वाले कपल को सुरक्षा मुहैया कराए। इसमें सुझाव दिया गया है कि जिले का डीएम सीनियर पुलिस अधिकारियों की एक कमेटी बनाए, जो कपल की सुरक्षा का ध्यान रखे।
3. एमिकस क्यूरी की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर कपल के खिलाफ कोई कार्रवाई करता है, तो इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर की ये जिम्मेदारी होगी कि वो उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे, जो कपल को परेशान कर रहे हैं।
4. इसमें ये भी कहा गया है कि अगर कोई पुलिस अधिकारी सही तरीके से काम नहीं करता है, तो उसके खिलाफ सर्विस रूल के तहत कार्रवाई की जाए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकारों को आदेश दे कि अगर कोई पुलिस अधिकारी दोषी पाया जाता है, तो उसे सख्त सजा दी जाए।
शादी में दखल देने का किसी को अधिकार नहीं : SC
5 फरवरी को खाप पंचायतों पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने खाप की तरफ से पेश एडवोकेट को फटकार लगाते हुए कहा था कि "अगर कोई दो बालिग शादी भी कर लेते हैं, तो उसे अमान्य घोषित करने का हक सिर्फ कोर्ट को है। आप इससे दूर ही रहें।" कोर्ट ने ये भी कहा कि "हमें खाप पंचायतों की चिंता नहीं है। हमें सिर्फ शादी करने वाले जोड़ों की चिंता है।" वहीं 17 जनवरी को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि "कोई भी पंचायत, माता-पिता, समाज या कोई भी शख्स किसी को शादी करने से नहीं रोक सकता। किसी भी खाप पंचायत को किसी बालिग लड़के और बालिग लड़की को मर्जी से शादी करने पर उनको सजा देने का कोई हक नहीं है।"
हमारी परंपराओं में दखल बर्दाश्त नहीं : खाप पंचायत
वहीं बलियान खाप के चीफ नरेश टिकैत ने सुप्रीम कोर्ट को धमकी देते हुए कहा था कि "हम सुप्रीम कोर्ट का बहुत सम्मान करते हैं, लेकिन ये कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे कि कोर्ट हमारी पुरानी परंपराओं और संस्कृति में दखल दे। अगर सुप्रीम कोर्ट ऐसा करता है, तो हम लड़कियों को पैदा नहीं होने देंगे और न ही करेंगे।" उन्होंने आगे कहा कि "हम लड़कियों को उतना पढ़ाएंगे ही नहीं, कि वो अपने फैसले खुद लेना शुरू कर दे।" नरेश टिकैत ने ये भी कहा कि "अगर समाज में लड़कियां कम होती हैं, तो इसके लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार होगा।"
NGO की पिटीशन पर हो रही है सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में शक्तिवाहिनी संगठन ने ऑनर किलिंग जैसे मामलों पर रोक लगाने के लिए एक पिटीशन फाइल की है। शक्तिवाहिनी एक NGO है और इसने अपनी पिटीशन में इस तरह के क्राइम पर रोक लगाने की मांग की है। इस पिटीशन में कहा गया है कि उत्तर भारत खासतौर पर हरियाणा में कानून की तरह काम कर रही खाप पंचायतें परिवार की मर्जी के खिलाफ शादी करने वालों को सजा देती हैं।
क्या होती है खाप पंचायत?
खाप पंचायतों को कोई कानूनी दर्जा नहीं है, लेकिन उसके बावजूद ये पंचायतें कानून से ऊपर उठकर फैसला लेती हैं। खाप पंचायतों में गांवों के प्रभावशाली लोगों या गोत्र का दबदबा रहता है, साथ ही औरतें इसमें शामिल नहीं होती हैं और न उनका प्रतिनिधि होता है। ये केवल पुरुषों की पंचायत होती है और वही फैसले लेते हैं। खाप पंचायतों में अक्सर शादी के मामलों को लेकर ज्यादा फैसले लिए जाते हैं और ये खाप पंचायत इन्हीं फैसलों को लेकर चर्चा में रहती हैं। शादी के मामलों में यदि खाप पंचायत को कोई आपत्ति हो तो वो लड़का और लड़की को अलग करने, शादी को रद्द करने, किसी परिवार का समाजिक बहिष्कार करने या गांव से निकाल देने और कुछ मामलों में तो लड़के या लड़की की हत्या तक का फैसला करती है।
Created On :   7 March 2018 1:57 PM IST