सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी कर्मी को 13 साल बाद पेंशन दिलाई
नई दिल्ली, 27 अगस्त (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सेवानिवृत्त कर्मचारी की गरिमा कायम रखने के लिए पेंशन बहुत जरूरी है। यह इच्छा के आधार पर दी गई कोई राशि नहीं है, बल्कि सेवानिवृत्ति के बाद सम्मान बनाए रखने के अधिकार के तौर पर किया गया एक सामाजिक कल्याण उपाय है।
न्यायाधीश संजय किशन कौल, अजय रस्तोगी और अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने कहा कि कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के लाभ से अनुचित रूप से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा कि पेंशन मदद के लिए दी जाने वाली राशि है। इसे इच्छानुसार तय नहीं कर सकते। कर्मचारी सेवानिवृत्त होने के बाद पेंशन की मदद से ही गरिमापूर्ण जीवन जीता है। इसे देने से इनकार नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने केरल के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी की पेंशन में विसंगति दूर करते हुए यह बात कही।
दरअसल, वी. सुकुमारन ने राहत पाने के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया था, क्योंकि उन्हें मत्स्य पालन विभाग, केरल से पेंशन लाभ नहीं मिला था, जहां वह जुलाई 1976 में एक कैजुअल लेबर रोल (सीएलआर) कर्मचारी के रूप में शामिल हुए थे और नवंबर 1983 तक करीब साढ़े सात साल तक काम किया।
इसके बाद में वह राजस्व विभाग में निचले डिवीजन क्लर्क के रूप में शामिल हुए और दिसंबर 2008 में सेवानिवृत्त हो गए। उन्होंने मत्स्य विभाग से पेंशन लाभ लेने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया, लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गई। फिर उन्होंने शीर्ष अदालत का रुख किया।
याचिकाकर्ता 13 साल से अपनी पेंशन के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहा था। वह विभिन्न सरकारी विभागों में करीब 32 वर्ष सेवा दे चुका है। पीठ ने केरल सरकार को अगले आठ हफ्तों के अंदर याचिकाकर्ता को पेंशन का 13 साल का एरियर ब्याज समेत देने का आदेश दिया।
एकेके/एसजीके
Created On :   27 Aug 2020 5:30 PM IST