निजी स्कूलों के ट्यूशन फीस मामले में सुप्रीम कोर्ट का हाईकोर्ट के फैसले में दखल से इनकार

Supreme Court refuses to interfere in High Courts decision in tuition fees case of private schools
निजी स्कूलों के ट्यूशन फीस मामले में सुप्रीम कोर्ट का हाईकोर्ट के फैसले में दखल से इनकार
निजी स्कूलों के ट्यूशन फीस मामले में सुप्रीम कोर्ट का हाईकोर्ट के फैसले में दखल से इनकार
हाईलाइट
  • निजी स्कूलों के ट्यूशन फीस मामले में सुप्रीम कोर्ट का हाईकोर्ट के फैसले में दखल से इनकार

नई दिल्ली, 6 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तराखंड में गैर मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में ट्यूशन फीस के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि बिना मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के छात्रों को कोरोनावायरस के प्रकोप को रोकने के लिए लागू राष्ट्रव्यापी बंद की अवधि के दौरान फीस का भुगतान करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।

दरअसल उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य के सभी निजी गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों को उन अभिभावकों से ट्यूशन फीस मांगने से रोक दिया था, जो अपने बच्चों को ऑनलाइन क्लास दिलाने में असमर्थ थे।

इसके बाद स्कूलों ने इस आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया।

प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वे इस स्तर पर मामले पर विचार करने के लिए उत्सुक नहीं हैं।

हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली अपील प्रिंसिपल्स प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन और सेंट जूड्स, देहरादून द्वारा दायर की गई थी।

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि ट्यूशन फीस का भुगतान केवल उन छात्रों को करना चाहिए, जो कि इसका भुगतान करना चाहते हैं और साथ ही निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा पेश किए जा रहे ऑनलाइन पाठ्यक्रम का उपयोग करने में सक्षम हैं। इसके आलावा जिन छात्रों के पास ऑनलाइन पाठ्यक्रम तक पहुंच नहीं है, उन्हें ट्यूशन फीस का भुगतान करने के लिए नहीं कहा जा सकता है।

हाईकोर्ट ने कहा था कि जो बच्चे ऑनलाइन पाठ्यक्रम में भाग नहीं लेते हैं, उन्हें ट्यूशन शुल्क का भुगतान करने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए।

स्कूलों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील जोहेब हुसैन ने दलील दी कि ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा प्रदान करने वाले स्कूलों को शुल्क लेने से रोका नहीं जाना चाहिए और अदालत से ऑनलाइन शिक्षा में शामिल खचरें को ध्यान में रखने के लिए कहा। उन्होंने अदालत को सूचित किया कि ऑनलाइन कक्षाओं में उपस्थिति 100 प्रतिशत है, लेकिन केवल 10 प्रतिशत छात्र ही फीस दे रहे हैं।

राज्य सरकार के आदेश में कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान जिन निजी स्कूलों ने ऑनलाइन कक्षाएं या अन्य संचार मोड शुरू किए हैं, उन्हें केवल शिक्षण शुल्क लेने की अनुमति होगी। आदेश में यह भी कहा गया है कि एक छात्र को शुल्क का भुगतान नहीं करने पर उसे हटाया नहीं जा सकता है।

Created On :   6 July 2020 11:30 PM IST

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