मुस्लिम लड़कियों के खतने पर SC करेगा सुनवाई, जानिए कैसे और क्यों होता है खतना
- कोर्ट ने इस प्रथा को सम्मान से जीने के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन बताया।
- कोर्ट ने महिलाओं और बच्चियों के निजी अंग को छूना बताया गलत
- खतना कुप्रथा पर सुप्रीम कोर्ट 16 जुलाई को करेगा सुनवाई
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। खतना नाम की कुप्रथा का दर्द झेलती बोहरा मुस्लिम समाज की महिलाओं की याचिका पर 16 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। कोर्ट ने मुस्लिम समाज की इस कुप्रथा को लेकर कहा है कि किसी भी महिला के निजी अंग को स्पर्श नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कम उम्र में बच्चों के साथ ऐसा करना पोक्सो एक्ट से जुड़ा मामला बताया है। खतना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में वकील सुनिता तिवारी ने याचिका दायर की थी। जिसमें इस प्रथा को सम्मान से जीने के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन बताया गया है।
9 जुलाई को केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को इस कुप्रथा पर अपनी राय दी थी। सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा था कि धार्मिक रीति-रिवाजों के पालन का मौलिक अधिकार सभी को होता है, लेकिन ये अधिकार भी कुछ सीमाओं से बंधा है। ये नैतिकता के लिहाज से सही और स्वास्थ्य को नकुसान नहीं पहुंचाने वाला होना चाहिए। जैसे कि कभी सती प्रथा को इस दलील के बावजूद बंद किया गया है कि ये धर्म का जरूरी हिस्सा नहीं है। वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और 27 अफ्रीकी देशों में इस प्रथा पर रोक लगी हुई है।
कोर्ट में मुस्लिम समाज की बात रखते हुए वरिष्ठ वकील ए.एम सिंघवी ने कहा है कि इस मामले को संवैधानिक पीठ के पास भेजा जाना चाहिए। ये एक धर्म की बहुत जरूरी प्रथा से जुड़ा मामला है। सिंघवी ने अपनी दलील में कहा कि इस्लाम में पुरूषों का खतना सभी देशों में मान्य है। जिस पर कोर्ट ने सिंघवी से पूछा कि किसी एक व्यक्ति विशेष की शराीरिक अखंडता क्यों और कैसे एक आवश्यक प्रथा हो सकती है।
क्यों किया जाता है खतना
दाऊदी बोहरा समाज की महिलाओं ने प्रधानमंत्री मोदी से खतना प्रथा पर अंकुश लगाने के लिए गुहार लगाई है। भारत में फिलहाल खतना को लेकर कोई कानून व्यवस्था नहीं है। बोहरा समाज इस परंपरा का पालन करता है। जिसे खतना या सुन्नत कहा जाता है। बोहरा मुसलमानों में जब लड़की बहुत छोटी होती है तो खतने को अंजाम दिया जाता है। अधिकतर मौकों पर छह-सात साल की छोटी उम्र में ही खतना किया जाता है। इसके तहत लड़की की योनि के बाहरी हिस्से क्लिटरिस को ब्लेड से काट दिया जाता है या बाहरी त्वचा निकाल दी जाती है। इस दौरान बच्चियों को काफी तकलीफ होती है क्योंकि खतना से पहले एनीस्थीसिया भी नहीं दिया जाता। इस कुप्रथा या परंपरा को लेकर मुस्लिम समुदाय में विश्वास है कि महिला यौनिकता पिृतसत्ता के लिए खतरनाक है और महिलाओं को सेक्स का लुत्फ उठाने का कोई अधिकार नहीं है। माना जाता है कि जिस महिला का खतना हो चुका है, वह अपने पति के प्रति ज्यादा वफादार होगी और घर से बाहर नहीं जाएगी।
कौन हैं बोहरा मुसलमान ?
भारत में बोहरा मुसलमानों की आबादी पश्चिम और दक्षिण भारत में है। इनकी आबादी गुजरात और महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा है। राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी इनकी कुछ आबादी है। इनकी आबादी भारत के बाहर अरब देशों और यूरोप में हैं। भारत में इनकी कुल आबादी महज़ 10 लाख है, लेकिन शैक्षणिक और आर्थिक तौर पर ये काफी समृद्ध और मजबूत समुदाय है। इस समुदाय का मुसलमानों के दूसरे समुदाय से मिलना जुलना काफी कम है।
Created On :   10 July 2018 3:17 PM IST