कठुआ गैंगरेप मामले को SC ने पठानकोट किया ट्रांसफर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कठुआ गैंगरेप मामले की सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के पठानकोट सेशन कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है। मामले में किसी देरी से बचने के लिये शीर्ष अदालत ने दैनिक आधार पर फास्ट ट्रैक सुनवाई करने का भी निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, मामले का ट्रायल "इन-कैमरा" होगा, और सर्वोच्च न्यायालय ट्रायल की निगरानी करेगा। वहीं, सभी बयानों का अंग्रेज़ी में अनुवाद किया जाएगा। ट्रायल रणबीर पीनल कोड के आधार पर चलेगा। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई से करवाने से इंकार कर दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी।
रणबीर पीनल कोड के आधार पर चलेगा ट्रायल
सोमवार को मामले की सुनवाई को पठानकोट ट्रांसफर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, फेयर और फियर एक साथ अस्तित्व में नहीं रह सकते, और फेयर ट्रायल का मतलब स्पीडी ट्रायल भी है, इसलिए ट्रायल "डे-टू-डे", यानी रोज़ाना होगा, जिसमें सुनवाई को टाला नहीं जाएगा। ये ट्रायल रणबीर पीनल कोड के आधार पर चलेगा। केस को पठानकोट ट्रांसफर करने से पहले सुप्रीम कोर्ट में जम्मू कश्मीर सरकार ने मामले को राज्य से बाहर ले जाने का विरोध किया था। सरकार ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा था कि इस मामले में जम्मू कश्मीर पुलिस ने अच्छा काम किया है और वो पीड़ित को फेयर ट्रायल दिलाएंगे। सरकार ने कोर्ट को इसके लिए चार विकल्प जम्मू, उधमसिंह नगर, रामबन और सांभा सुझाए। हालांकि पीड़िता का परिवार रामबन के अलावा कोई दूसरी जगह के लिए तैयार नहीं था।
सरकारी वकील नियुक्त करने की अनुमति
सोमवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के आग्रह से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं को भी खारिज कर दिया। वहीं कोर्ट ने जम्मू और कश्मीर सरकार को पठानकोट में मामले की सुनवाई के लिए सरकारी वकील नियुक्त करने की अनुमति दी है। साथ ही सरकार को पीड़िता के परिवार, उनके वकील और गवाहों को पर्याप्त सुरक्षा देने को कहा है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने यह फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि सुरक्षा प्रमुख मुद्दा है, हम पठानकोट में पर्याप्त सुरक्षा की व्यवस्था करेंगे।
आरोपियों ने किया था केस ट्रांसफर किए जाने का विरोध
बता दें कि कठुआ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले का ट्रायल जम्मू कश्मीर से बाहर चंडीगढ़ स्थानांतरित करने को लेकर पीड़िता के पिता ने अर्जी दाखिल की थी। वहीं आरोपियों ने मुकदमे को चंडीगढ़ स्थानांतरित किए जाने की याचिका का विरोध किया था। शीर्ष न्यायालय में दाखिल किए गए अपने हलफनामे में आरोपियों ने कहा था कि मामले में 221 गवाह हैं और चंडीगढ़ जाकर अदालती कार्यवाही में शामिल होना उनके लिए मुश्किल होगा। आरोपियों ने इस मामले की सीबीआई जांच की भी मांग की थी। उनकी तरफ बीते 4 मई को उच्चतम न्यायालय से कहा था कि मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए, ताकि न्याय हो सके। सांझी राम और विशाल जंगोत्रा ने दावा किया था कि पुलिस एक निष्पक्ष और प्रभावी जांच करने में नाकाम रही है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 10 जनवरी को जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले की हीरानगर तहसील के रसाना गांव से एक 8 साल की बच्ची अगवा हो गई थी। इस बच्ची के साथ कई दिनों तक रेप किया गया और बाद में उसकी हत्या कर दी गई। गांव के जंगलों में बच्ची की लाश पड़ी मिली थी। जानकारी के मुताबिक, बच्ची को अगवा करके गांव के एक धार्मिक स्थल में रखा गया था, जहां उसे बार-बार नशा दिया और कई बार रेप किया गया। बच्ची को अपनी हवस का शिकार बनाने के बाद आरोपियों ने पहले बच्ची का गला घोंटा और बाद में उसके सिर पर पत्थर मार कर उसकी हत्या कर दी।
Created On :   7 May 2018 5:54 PM IST