सुप्रीम कोर्ट स्पाइसजेट और कलानिधि मारन के बीच सुलह के साझा अनुरोध की जांच करेगा

Supreme Court will examine the joint request for reconciliation between SpiceJet and Kalanidhi Maran
सुप्रीम कोर्ट स्पाइसजेट और कलानिधि मारन के बीच सुलह के साझा अनुरोध की जांच करेगा
जांच सुप्रीम कोर्ट स्पाइसजेट और कलानिधि मारन के बीच सुलह के साझा अनुरोध की जांच करेगा
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  • सुप्रीम कोर्ट स्पाइसजेट और कलानिधि मारन के बीच सुलह के साझा अनुरोध की जांच करेगा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह स्पाइसजेट एयरलाइंस और मीडिया दिग्गज कलानिधि मारन व उनके केएएल एयरवेज के बीच शेयर-हस्तांतरण मुद्दे को लेकर लंबित विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान पर पहुंचने के साझा अनुरोध की जांच करेगा। स्पाइसजेट का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि याचिकाकर्ता और प्रतिवादी, यानी मारन और केएएल एयरवेज व्यापक समाधान के लिए प्रयास कर रहे हैं।

तीन मुद्दों के समाधान के लिए विस्तृत चर्चा की जरूरत है। ये मुद्दे हैं- ऋण निकासी और तय की गई सेक्योरिट मनी जारी करना, देय ब्याज और चल रहे अभियोजन की कंपाउंडिंग।

उन्होंने न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और हिमा कोहली की पीठ को यह भी सूचित किया कि याचिकाकर्ता सिटी यूनियन बैंक के साथ ऋण की मंजूरी और सुरक्षा राशि जारी करने के एक विवाद को पहले ही आपस में सुलझा चुके हैं और सभी मुद्दों को निपटाने के लिए चार से छह सप्ताह का समय मांगा है। रोहतगी ने अदालत से मामले को चार से छह सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया, ताकि समझौता कराया जा सके।

डिक्रीधारकों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने शीर्ष अदालत को सुझाव दिया कि समझौता वार्ता के लिए मामला हैदराबाद मध्यस्थता केंद्र को भेजा जा सकता है। पीठ ने पूछा कि क्या एक मध्यस्थ नियुक्त किया जाना चाहिए, जिस पर सिंह और रोहतगी दोनों ने अनुरोध किया कि मामले को मध्यस्थता के लिए पेश किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा, हम देखेंगे। केएएल एयरवेज और कलानिधि मारन की ओर से सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह के साथ पेश हुए, जिनकी मदद करंजावाला एंड कंपनी के अधिवक्ताओं ने की।

शीर्ष अदालत स्पाइसजेट लिमिटेड द्वारा केएएल एयरवेज और कलानिधि मारन (डिक्री धारकों) के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा पारित 2 सितंबर, 2020 के आदेश को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें स्पाइसजेट को 242.56 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया गया था। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी और डिक्रीधारकों ने एक पेटीशन दायर कर स्टे की मांग की थी।

सोर्सः आईएएनएस

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Created On :   16 Aug 2022 4:31 PM IST

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