4 हाथी, 20 घोड़े और 11 ऊंट के साथ 9 साल की बच्ची ने लिया संन्यास, करोड़ों के हीरा व्यापारी की बेटी को 2 साल की उम्र से ही भाने लगा था वैराग्य

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4 हाथी, 20 घोड़े और 11 ऊंट के साथ 9 साल की बच्ची ने लिया संन्यास, करोड़ों के हीरा व्यापारी की बेटी को 2 साल की उम्र से ही भाने लगा था वैराग्य
संन्यासन बनी 9 साल की बच्ची 4 हाथी, 20 घोड़े और 11 ऊंट के साथ 9 साल की बच्ची ने लिया संन्यास, करोड़ों के हीरा व्यापारी की बेटी को 2 साल की उम्र से ही भाने लगा था वैराग्य
हाईलाइट
  • देवांशी ने टीवी नहीं देखा

डिजिटल डेस्क, गांधीनगर। सूरत के मशहूर हीरा व्यापारी धनेश संघवी और अमी बेन की बेटी देवांशी ने संन्यास ले लिया है। संन्यास लेने की तैयारियां 14 जनवरी से ही चल रही थी। जो आज यानि बुधवार को सुबह 6 बजे जाकर सामाप्त हो गई। इस संन्यास का गवाह हजारों लोग बने हैं। देवांशी ने जब संन्यास लिया तब करीब 35 हजार लोग उस समारोह में उपस्थित रहे। देवांशी ने धर्म  गुरू जैनाचार्य कीर्तियशसूरीश्वर महाराज से दीक्षा ली। वहीं देवांशी के परिवार के ही स्वर्गीय ताराचंद का भी धर्म के क्षेत्र में एक विशेष स्थान था। ताराचंद ने श्री सम्मेदशिखर का भव्य संघ निकाला और आबू की पहाडिय़ों के नीचे संघवी भेरूतारक तीर्थ का निर्माण करवाया था। 

पांच भाषाओं का है ज्ञान

देवांशी के वर्षीदान की यात्रा सूरत में ही निकाली गई थी। जिसमें 4 हाथी, 20 घोड़े,11 ऊंट शामिल रहे। वर्षीदान में काफी संख्या में लोग शामिल हुए थे। हालांकि, इससे पहले भी देवांशी की मुंबई और एंट्वर्प में वर्षीदान हो चुकी है। देवांशी को पांच भाषाओं की जानकारी है। वह संगीत, स्केटिंग, मेंटल मैथ्स और भरतनाट्यम में परिपक्व हैं। इसके अलावा देवांशी को वैराग्य शतक और तत्वार्थ जैसे महाग्रंथ की भी जानकारी है।

 देवांशी ने टीवी नहीं देखा

9 साल की देवांशी ने महज आठ साल की उम्र तक 357 दीक्षा दर्शन कर लिए थे। इसके अलावा छोटी से उम्र में ही 500 किमी पैदल विहार चल पड़ी है। जैन ग्रन्थों का वाचन और कई तीर्थयों की यात्रा कर चुकी हैं। देवांशी के माता-पिता ने बताया कि देवांशी ने कभी टीवी नहीं देखी है। जैन धर्म में प्रतिबंधित चीजों को उसने कभी इस्तेमाल नहीं किया। इसके अलावा न ही कभी अक्षर लिखे हुए कपड़े पहने। धार्मिक शिक्षा में तो देवांशी अग्रणी हैं ही इसके अलावा क्विज में गोल्ड मेडल भी जीत चुकी है। वहीं भरतनाट्यम और योगा में भी वह प्रवीण है।

छोटी उम्र से ही थी धार्मिक

देवांशी के माता-पिता ने बताया कि देवांशी जब महज 25 दिन की थी तब से नवकारसी का पच्चखाण लेना शुरू कर दिया था। 4 महीने की थी तब से ही रात्रि के भोजन को त्याग दिया था। वहीं 8 महीने की जब हुई तब से ही रोज त्रिकाल पूजन करती है। उन्होंने कहा कि जब वो एक वर्ष की हुई जब से ही नवकार मंत्र का जाप कर रही है। वह 2 साल 1 महीने से ही धार्मिक गुरूओं से शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी। देवांशी 4 साल 3 महीने की उम्र से ही धार्मिक गुरूओं के साथ रहने लगी थी।

Created On :   18 Jan 2023 4:24 PM IST

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