अंतर्राष्ट्रीय समुदाय हमें देख रहा है और यह अच्छी बात नहीं

The international community is watching us and thats not a good thing
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय हमें देख रहा है और यह अच्छी बात नहीं
हिजाब विवाद पर हाई कोर्ट ने कहा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय हमें देख रहा है और यह अच्छी बात नहीं
हाईलाइट
  • हिजाब को लेकर कर्नाटक में मचा बवाल
  • हिजाब पहनना निजता का मामला है

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। हिजाब मामले के एक बड़े विवाद में तब्दील होने के बीच कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय हमें देख रहा है और यह अच्छा डेवलपमेंट (विकास या गतिविधि) नहीं है। लंच के बाद मामले की सुनवाई फिर से शुरू होगी। हाईकोर्ट ने कुछ कॉलेज परिसरों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को कहा कि वह भावनाओं को अलग रखेगा और संविधान के अनुसार चलेगा।

हिजाब मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, मेरे लिए, संविधान भगवद गीता है। हमें संविधान के अनुसार कार्य करना है। मैं संविधान की शपथ लेने के बाद इस पोजिशन (स्थिति) पर आया हूं। इस मुद्दे पर भावनाओं को एक तरफ रख देना चाहिए। हिजाब पहनना भावनात्मक मुद्दा नहीं बनना चाहिए। इस दौरान यह भी देखा गया कि सरकार को इस मुद्दे पर कई सवालों के जवाब देने हैं।

पीठ ने कहा, मुझे असंख्य नंबरों से संदेश मिल रहे हैं। पूरी व्हाट्सएप चैट इस चर्चा से भरी हुई है। संस्थान केवल संविधान के अनुसार काम कर सकते हैं। सरकार आदेश दे सकती है, लेकिन लोग उन पर सवाल उठा सकते हैं। अदालत ने यह भी कहा कि सरकार अनुमानों पर निर्णय नहीं ले सकती। पीठ ने कहा कि चूंकि सरकार छात्रों को दो महीने के लिए हिजाब पहनने की अनुमति देने के याचिकाकर्ता के अनुरोध से सहमत नहीं है, इसलिए वह योग्यता के आधार पर मामले को उठाएगी। न्यायाधीश ने कहा, विरोध हो रहे हैं और छात्र सड़कों पर हैं, मैं इस संबंध में सभी घटनाक्रमों पर नजर रख रहा हूं।

पीठ ने आगे कहा, सरकार कुरान के खिलाफ फैसला नहीं दे सकती। पसंद की पोशाक पहनना एक मौलिक अधिकार है। हिजाब पहनना एक मौलिक अधिकार है, हालांकि, सरकार मौलिक अधिकारों को प्रतिबंधित कर सकती है। सरकार की ओर से वर्दी पर कोई स्पष्ट आदेश नहीं है। हिजाब पहनना निजता का मामला है, इस संबंध में सरकारी आदेश निजता की सीमाओं का उल्लंघन करता है। पीठ ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि कुरान का कौन सा पृष्ठ कहता है कि हिजाब अनिवार्य है। जज ने कोर्ट के पुस्तकालय से कुरान की एक प्रति भी मांगी। इसने याचिकाकर्ता से यह समझने के लिए पवित्र पुस्तक में से पढ़ने के लिए भी कहा कि ऐसा कहां कहा गया है।

पीठ ने यह भी पूछा कि क्या सभी परंपराएं मौलिक प्रथाएं ही हैं और उनका अधिकार क्षेत्र क्या है। पीठ ने यह भी पूछा कि क्या उन्हें सभी जगहों पर एक्सरसाइज (अभ्यास) करना होगा। इसने एक समय सरकार से सवाल किया कि वे दो महीने के लिए हिजाब की अनुमति क्यों नहीं दे सकते और समस्या क्या है? इस बीच, याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सरकार केवल उन मामलों में हस्तक्षेप कर सकती है जो धर्म के अनुसार मौलिक नहीं हैं।

सरकार उन चीजों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती जो मौलिक हैं। याचिकाकर्ता ने दलील देते हुए कहा, सरकार को मामले में उदारता दिखानी चाहिए। मामले को धर्मनिरपेक्षता के आधार पर तय नहीं किया जा सकता। सरकार को वर्दी के रंग के हिसाब से हिजाब पहनने की अनुमति देनी चाहिए. अनुमति लेनी होगी। परीक्षा समाप्त होने तक अनुमति देनी होगी। इसके बाद वे मामले पर फैसला ले सकते हैं।

(आईएएनएस)

Created On :   8 Feb 2022 4:01 PM IST

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