आयात के लिए प्रतिबंधित रक्षा वस्तुओं की तीसरी सूची जल्द सामने आएगी

The third list of defense items prohibited for import will come out soon
आयात के लिए प्रतिबंधित रक्षा वस्तुओं की तीसरी सूची जल्द सामने आएगी
पीएम मोदी आयात के लिए प्रतिबंधित रक्षा वस्तुओं की तीसरी सूची जल्द सामने आएगी
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  • आयात के लिए प्रतिबंधित रक्षा वस्तुओं की तीसरी सूची जल्द सामने आएगी: पीएम मोदी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय रक्षा मंत्रालय जल्द ही आयात के लिए प्रतिबंधित रक्षा वस्तुओं की तीसरी सूची लाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर जोर देते हुए यह बात कही।

प्रधानमंत्री मोदी ने बजट में की गई घोषणाओं के संदर्भ में आत्मनिर्भरता इन डिफेंस - कॉल टू ऐक्शन (रक्षा में आत्मनिर्भरता - कार्यवाही का आह्वान) नामक एक पोस्ट बजट वेबिनार को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि रक्षा बजट के लगभग 70 प्रतिशत हिस्से को केवल स्वदेशी उद्योग के लिए रखा गया है।

इस वेबिनार का आयोजन रक्षा मंत्रालय द्वारा किया गया।

उन्होंने उल्लेख किया कि गुलामी के कालखंड में भी और आजादी के तुरंत बाद भी भारत के रक्षा निर्माण की ताकत बहुत ज्यादा थी।

उन्होंने कहा, दूसरे विश्वयुद्ध में भारत में बने हथियारों ने बड़ी भूमिका निभाई थी। यद्यपि बाद के वर्षों में हमारी इस शक्ति का ह्रास होने लगा, लेकिन इसके बावजूद उसकी क्षमता में कोई कमी नहीं आई, न पहले और न अब।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि रक्षा प्रणालियों में अनोखेपन और विशिष्टता का बहुत महžव है, क्योंकि ये दुश्मनों को अचानक चौंका देने वाले तžव होते हैं।

उन्होंने कहा, अनोखापन और चौंकाने वाले तžव तभी आ सकते हैं, जब उपकरण को आपके अपने देश में विकसित किया जाये। प्रधानमंत्री ने उल्लेख करते हुये कहा कि इस साल के बजट में देश के भीतर ही अनुसंधान, डिजाइन और विकास से लेकर निर्माण तक का एक जीवन्त इको-सिस्टम विकसित करने का ब्लूप्रिंट है।

उन्होंने कहा कि रक्षा बजट का लगभग 70 प्रतिशत घरेलू उद्योग के लिए ही रखा गया है।

रक्षा मंत्रालय ने अब तक 200 से अधिक रक्षा प्लेटफॉर्मों और उपकरणों की सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियां जारी की हैं। इस घोषणा के बाद प्रधानमंत्री ने बताया कि स्वदेशी खरीद के लिये 54 हजार करोड़ रुपये की संविदाओं पर हस्ताक्षर किये जा चुके हैं।

इसके अलावा 4.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक धनराशि की उपकरण खरीद प्रक्रिया विभिन्न चरणों में है। उन्होंने कहा कि तीसरी सूची के जल्द आने की संभावना है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि हथियार खरीद की प्रक्रिया इतनी लंबी होती है कि उन्हें शामिल करते-करते इतना लंबा समय बीत जाता है कि वे हथियार पुराने ढंग के हो जाते हैं। उन्होंने जोर देते हुये कहा, इसका भी समाधान आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया में ही है।

प्रधानमंत्री ने सशस्त्र बलों की सराहना की कि वह निर्णय लेते समय आत्मनिर्भरता के महžव को ध्यान में रखते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हथियारों और उपकरणों के मामलों में जवानों के गौरव और उनकी भावना को ध्यान में रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह तभी संभव होगा, जब हम इन क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि साइबर सुरक्षा अब सिर्फ डिजिटल दुनिया तक सीमित नहीं, बल्कि वह राष्ट्र की सुरक्षा का विषय बन चुकी है। उन्होंने कहा, अपनी अदम्य आईटी शक्ति को हम अपने रक्षा क्षेत्र में जितना ज्यादा इस्तेमाल करेंगे, उतनी ही सुरक्षा में हम आश्वस्त होंगे।

संविदाओं के लिये रक्षा निर्माताओं के बीच की प्रतिस्पर्धा का उल्लेख करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि यह प्रतिस्पर्धा धन अर्जित करने और भ्रष्टाचार की तरफ ले जाती है। हथियारों की गुणवत्ता के बारे में बहुत भ्रम पैदा किया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान ही इस समस्या का भी समाधान है।

प्रधानमंत्री ने आयुध फैक्ट्रियों की सराहना करते हुये कहा कि वे प्रगति और ²ढ़ता की मिसाल हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर हर्ष व्यक्त किया है कि जिन सात नये रक्षा उपक्रमों को पिछले वर्ष चालू किया गया था, वे तेजी से अपना व्यापार बढ़ा रहे हैं और नये बाजारों तक पहुंच रहे हैं।

उन्होंने कहा, हमने पिछले पांच-छह सालों में रक्षा निर्यात छह गुना बढ़ाया है। आज 75 से अधिक देशों को मेक इन इंडिया रक्षा उपकरण और सेवा प्रदान की जा रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मेक इन इंडिया को सरकार द्वारा दिये जाने वाले प्रोत्साहन के परिणामस्वरूप पिछले सात सालों में रक्षा निर्माण के लिये 350 से भी अधिक नये औद्योगिक लाइसेंस जारी किये जा चुके हैं, जबकि 2001 से 2014 के 14 वर्षों में सिर्फ 200 लाइसेंस जारी हुये थे।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि निजी क्षेत्र को भी रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन तथा रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों के समकक्ष काम करना चाहिये। इसी को ध्यान में रखते हुये उद्योग, स्टार्ट-अप और अकादमिक जगत के लिये रक्षा अनुसंधान एवं विकास का 25 प्रतिशत हिस्सा आवंटित किया गया है। उन्होंने कहा, इस पहल से निजी क्षेत्र की भूमिका विक्रेता या आपूर्तिकर्ता से बढ़कर साझीदार की हो जायेगी।

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि परीक्षण, जांच और प्रमाणीकरण की पारदर्शी, समयबद्ध, तर्कसंगत और निष्पक्ष प्रणाली जीवंत रक्षा उद्योग के विकास के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में एक स्वतंत्र प्रणाली समस्याओं के समाधान के लिए उपयोगी साबित हो सकती है।

आईएएनएस

Created On :   25 Feb 2022 4:30 PM IST

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