CJI को मनमानी का अधिकार नहीं, SC विवाद पर बोले जस्टिस लोढ़ा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूर्व चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा ने कहा कि यह दौर न्यायपालिका के लिए बहुत बड़ी चुनौती की तरह है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ने कहा कि न्यायपालिका का सिस्टम दरक रहा है। इसे समय रहते दुरुस्त नहीं किया गया, तो न्यायिक संस्थाओं पर से लोगों का विश्वास उठ जाएगा। इससे एक तरह की अराजकता का दौर शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि CJI मास्टर ऑफ रॉस्टर हैं, लेकिन उन्हें भी मनमाने तरीके से काम करने की स्वतंत्रता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में हाल के दिनों में जजों के बीच पैदा हुए विवाद के हल के लिए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को आगे आना चाहिए और सभी जजों से चर्चा कर इस विवाद का हल निकालना चाहिए।
सहयोगियों से मिल कर विवाद का हल निकालें CJI
जस्टिस लोढ़ा ने कहा CJI भले ही न्यायाधीशों को मामले आवंटित करने के मामले में सर्वेसर्वा हों, लेकिन यह काम निष्पक्ष तरीके से और न्यायतंत्र की विश्वसनीयता बनाए रखने वाला होना चाहिए। न्यायमूर्ति लोढ़ा ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जा सकता। प्रख्यात पत्रकार और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी की पुस्तक का विमोचन कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि CJI को अपने सहकर्मियों को साथ मिल कर इस विवाद का हल खोजना चाहिए। न्यायाधीशों का आपस में अलग नजरिया हो सकता है, लेकिन न्यायशास्त्र के मूलभूत सिद्धांतों पर उन्हें एकजुट हो कर काम करना चाहिए। केवल यही तरीका है, जिससे जनमानस में सुप्रीम कोर्ट और भारतीय न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता कायम रहेगी। उन्होंने कहा फिलहाल जो हो रहा है, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
जस्टिस लोढ़ा ने भी किया था ऐसी ही स्थिति का सामना
ज्ञात हो कि न्यायमूर्ति लोढ़ा को भी CJI के तौर पर ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा था, जैसा उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के एम जोसफ के मामले में हुआ है। उस समय भी राजग सरकार ने कॉलेजियम की सिफारिश को अलग करते हुए कॉलेजियम से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रह्मण्यम को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश पर पुनर्विचार करने को कहा था।. हालांकि सुब्रह्मण्यम ने बाद में खुद को पद की इस दौड़ से अलग कर लिया था। लोढ़ा ने मौजूदा प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा का कोई उल्लेख किए बिना कहा कि मैंने हमेशा महसूस किया है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता के साथ समझौता नहीं किया जा सकता है। अदालत का नेता होने के नाते CJI पर इसे आगे बढ़ाने की जम्मेदारी है। दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति ए पी शाह ने CJI की कार्यप्रणाली की आलोचना की।
जस्टिस लोया मामले में SC का फैसला ठीक नहीं
जस्टिस एपी शाह ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश बी एच लोया की मौत के मामले में उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले को न्यायिक रूप से बिल्कुल गलत बताया। उन्होंने कहा शीर्ष अदालत ने न्यायाधीश लोया मामले में अपने फैसले की जांच की मांग को न्यायपालिका पर परोक्ष हमला कहा था। उन्होंने कहा कि किसी निर्णय की फिर सेा जांच की मांग किए जाने को न्यायपालिका पर हमले के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। चिंता की बात यह है कि, पूरी व्यवस्था बेरहम हो गई है। लेकिन ध्यान यह रखा जाना चाहिए कि न्यायपालिका उन आखिरी संस्थाओं में से है, जिसका अब भी जनमानस में सम्मान है। दुर्भाग्य से हाल के दिनों में इस संवैधानिक सस्था की गरिमा में गिरावट आई है। शाह ने कहा हमें उपाय करने होंगे, ताकि न्याय की इस शीर्ष संस्था की विश्वसनीयता बनी रहे। उन्होंने कहा कि अगर मौजूदा CJI को बार-बार कहना पड़ रहा है कि वह मास्टर ऑफ रोस्टर हैं, तो यह एक दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थिति।
Created On :   2 May 2018 9:58 AM IST