मप्र में जलस्रोतों पर कब्जा करने वालों के आ सकते हैं बुरे दिन
भोपाल, 18 सितंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में जल स्रोतों पर कब्जा करने वालों के बुरे दिन आने वाले है, क्योंकि सरकार ने इन कब्जाधारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का मन बना लिया है। इन कब्जों को राज्य में अपराध माना जाएगा।
राज्य सरकार हर नागरिक को पानी का हक दिलाने के लिए पानी का अधिकार कानून बनाने का ऐलान कर चुकी है। यह कानून कैसा होगा, इसमें क्या प्रावधान होंगे, लोगों को कितना और किस तरह से पानी मिलेगा, इसका प्रारूप बनाया जा रहा है। इसके लिए विशेषज्ञों की समिति गठित की गई है। इसी सिलसिले में मुख्यमंत्री कमलनाथ की मौजूदगी में मंगलवार को विशेषज्ञों की बैठक हुई।
इस बैठक में राज्य की पानी संबंधी समस्या के लिए बड़ा कारण जलस्रोतों का खत्म होना बताया गया। इस दौरान जल स्रोतों के सीमांकन, चिन्हीकरण आदि करने पर जोर दिया गया। ऐसा होता है तो जल स्रोतों पर कब्जा करने वाले सामने आ जाएंगे।
बैठक में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, प्रदेश की नदियों, तालाबों तथा अन्य जल स्त्रोतों पर सभी अतिक्रमण को सख्ती से हटाया जाएगा। जल स्त्रोतों पर अतिक्रमण को अपराध माना जाएगा। जो भी व्यक्ति पानी के स्त्रोतों पर अतिक्रमण करेगा, उसे अपराधी माना जाएगा।
मुख्यमंत्री का कहना है, बड़ी संरचनाओं के स्थान पर छोटी जल संरचनाएं बनानी चाहिए। इससे लोगों को उनकी पुरखों की जमीन, जायदाद और गांव से बेदखल होने से बचा सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने जल स्त्रोतों पर कब्जा करने वालों को अपराधी घोषित किए जाने की बात कही है। इस तरह का फैसला लेने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बनने वाला है, जहां जल स्रोतों पर अतिक्रमण करने वालों को अपराधी माना जाएगा। इस घोषणा पर अमल हुआ तो राज्य के कई नामचीन लोग भी अपराधियों की सूची में शुमार हो जाएंगे।
राज्य के सर्वाधिक सूखे इलाके बुंदेलखंड के लोगों का अनुभव कहता है कि दो साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी खजुराहो में सूखामुक्त सम्मेलन में जल संरचनाओं के सीमांकन और चिन्हीकरण की बात की थी, मगर वैसा हुआ नहीं। वर्तमान सरकार ने भी अतिक्रमण हटाने की बात की है।
Created On :   18 Sept 2019 7:31 PM IST