महाराष्ट्र सरकार ने मानी किसानों की सभी मांगें, दिया लिखित आश्वासन
- इस मार्च में 20
- 000 से ज्यादा किसान शामिल हुए
- महाराष्ट्र सरकार ने आदिवासी किसानों की सभी मांगें मान ली हैं
- सरकार ने किसानों को समस्याओं के समाधान का लिखित आश्वासन दिया है
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने आदिवासी किसानों की सभी मांगे मानते हुए उन्हें समस्याओं के समाधान का लिखित आश्वासन दिया है। गुरुवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किसान प्रतिनिधिमंडल के साथ उनकी मांगों पर चर्चा की। तीन महीने में किसान आदिवासियों की सभी समस्याओं का हल निकालने का सरकार ने लिखित आश्वासन दिया है। इसके बाद आजाद मैदान पर बैठे किसानों ने अपना आंदोलन खत्म कर दिया। जल संसाधन मंत्री गिरीष महाजन ने बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मुख्य मांग जमीन पट्टे को लेकर हैं।
इस मामले में सभी जिलों के अधिकारियों को सख्ती से निर्देश दिए जाएंगे कि वे अगले तीन महीने में इसका हल निकालें। साथ ही उन्होंने कहा कि आदिवासी जमीन पट्टाधारकों को भी सूखा राहत से जुड़ी सभी सुविधाएं दी जाएंगी। साथ ही कृषि अनुदान देने से जुड़ा फैसला भी किया गया है। मोर्चे में शामिल लोग गैरआदिवासी और आदिवासियों की तीन पीढ़ियों के रहिवासी होने से जुड़ी शर्त भी रद्द करने की मांग कर रहे हैं। इस बारे में केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेजे जाने का आश्वासन सरकार ने दिया है।
सरकार ने लगभग 80 फीसदी दावों को नकार दिया था लेकिन अब इस पर फिर से विचार करने का आश्वासन दिया है। साथ ही दावेदारों के नाम एक ही सातबारह की बजाय अलग-अलग सातबारह पर चढ़ाए जाएंगे। पहले वन अधिकार कानून पर अमल के लिए आदिवासी इलाकों के गांवों के 50 फीसदी लोगों की उपस्थिति अनिवार्य थी लेकिन अब गांव की जगह पाडे को घटक माना जाएगा। बता दें कि अपनी मांगों को लेकर हजारों किसान आदिवासी आजाद मैदान धरने पर बैठे थे।
किसान मोर्च को लेकर आक्रामक हुआ विपक्ष
इसके पहले किसानों और आदिवासियों के मोर्चे को लेकर गुरूवार को विपक्ष ने सरकार पर नाकामी का आरोप लगाया। विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखेपाटील ने नियम 57 के तहत प्रश्नकाल स्थगित कर इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की। विखेपाटील ने कहा कि इसी साल मार्च महीने में किसानों ने मोर्चा निकाला था तब सरकार ने छह महीने में सभी समस्याओं को हल करने का वादा किया था। लेकिन किसान एक बार फिर मोर्चा और धरना करने पर मजबूर हैं यह सरकार की नाकामी का सबूत है।
NCP के नेता अजित पवार ने कहा कि 26 हजार किसानों ने आत्महत्याएं कीं हैं लेकिन सिर्फ 13 हजार के परिवारों को ही सरकार की ओर से मदद मिली है। किसानों की विधवाएं धरने पर बैठी हैं और वे न्याय मांग रही है। विपक्षी नेताओं के सवालों के जवाब देते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने माना कि वन जमीन से जुड़ी कुछ समस्याएं हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने कानून बनाया था कि 2005 तक वन जमीन पर काबिज आदिवासी किसानों को उसका मालिकाना हक दे दिया जाएगा, लेकिन कुछ मामले ऐसे सामने आए हैं जिनमें किसानों को पूरी जमीन नहीं दिया गया। हम इससे जुड़ी अड़चने दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार किसानों और आदिवासियों की समस्याएं हल करने के लिए प्रतिबद्ध है।
सिंधियों की तर्ज पर बंगालियों का पुनर्वसन
चंद्रपुर और गडचिरोली जिलों के 50 गावों में 25-30 हजार बंगाली शरणार्थी हैं। जिस तरह से सिंधी शरणार्थियों का पुनर्वसन किया गया है उसी तरह बंगाली शरणार्थियों को समान कानून के तहत पुनर्वसित किया जाएगा। सरकार ने यह मांग भी मान ली है।
दिसंबर तक जमीनों का फैसला : सावरा
चर्चा में शामिल आदिवासी विकास मंत्री विष्णु सावरा ने बताया की वन जमीन से जुड़े कुल 3 लाख 6 हजार दावे सरकार को मिले थे। इनमें से 1 लाख 74 हजार दावों को मंजूरी दे दी गई है। बाकियों के बारे में भी दिसंबर महीने तक फैसला कर लिया जाएगा।
Maharashtra: Lok Sangharsh Morcha that comprises of tribals and farmers across the state reaches Dadar. The Morcha that has begun from Kalyan yesterday is marching towards Azad Maidan in Mumbai. The farmers are demanding loan waiver and drought compensation among others. pic.twitter.com/K6c3RHp4jb
— ANI (@ANI) November 22, 2018
Created On :   22 Nov 2018 9:14 AM IST