आतंकियों के शव परिवार वालों को नहीं मिलेंगे, सेना खुद दफनाएगी

Top millitants bodies will not be handed over to their family
आतंकियों के शव परिवार वालों को नहीं मिलेंगे, सेना खुद दफनाएगी
आतंकियों के शव परिवार वालों को नहीं मिलेंगे, सेना खुद दफनाएगी
हाईलाइट
  • केंद्र का मानना है कि इस कदम से आतंकियों के स्थानीय भर्ती अभियान में कमी आएगी।
  • जनाजों में आतंकी भर्ती अभियान धड़ल्ले से चलता है।
  • बड़े आतंकवादियों के मारे जाने पर उनके शव परिजनों को न सौंपे जाए।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगने के बाद आतंकियों के खिलाफ केंद्र सरकार ने कार्रवाई तेज कर दी है। इसके साथ ही केंद्र सरकार अब सुरक्षा ऑपरेशन की रणनीति में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। सूत्रों की मानें तो केंद्र इस बात पर विचार कर रही है कि बड़े आतंकवादियों के मारे जाने पर उनके शव परिजनों को न सौंपे जाए। केंद्र का मानना है कि इस कदम से आतंकियों के स्थानीय भर्ती अभियान में कमी आएगी।

आतंकियों के जनाजे में शामिल होते हैं युवा
दरअसल जब भी कोई आतंकी संगठन का टॉप कमांडर मारा जाता है तो उसके जनाजे में बड़ी संख्या में स्थानीय युवा शामिल होते हैं। इसी का फायदा उठाकर आतंकी इन युवाओं का ब्रेन वॉश करते हैं, भड़काऊ तक़रीरें पढ़ते हैं और युवाओं को जेहाद के नाम पर भड़काते हैं। खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हो चुका है। हाल ही में खुफिया एजेंसी ने सरकार को जो रिपोर्ट सौंपी थी, उसमें कहा गया था कि जनाजों में आतंकी भर्ती अभियान धड़ल्ले से चलता है। युवाओं को भर्ती करने वाले आतंकी संगठनों में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन है।

पत्थरबाजों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई
सूत्रों के मुताबिक सरकार ने सेना के ऑपरेशन के दौरान अड़ंगा डालने वाले पत्थरबाजों के खिलाफ भी कड़ाई बरतने का फैसला किया है। पत्थरबाज़ों के पकड़े जाने पर उनके साथ कोई कानूनी रियायत नहीं होगी चाहे वो पहली बार ही पत्थरबाज़ी में शामिल क्यों न हो। इसके साथ ही किसी पत्थरबाज से मुक़दमा भी नहीं हटेगा। ऐसे पत्थरबाज़ों को सरकारी कर्मचारियों और सुरक्षा बलों पर हमले के तहत कानूनों में मुकदमा चलेगा।

सोशल मीडिया के माध्यम से भी भर्ती
ग्राउंड इंटेलिजेंस के आंकड़ों के अनुसार रमजान में कश्मीर में शांति के लिए भारत सरकार की पहल यानी ‘सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन’ के दौरान 17 मई से 4 जून तक 23 युवाओं ने आतंक का रास्ता अपनाया है। जबकि 1 मई लेकर 4 जून तक का यह आंकड़ा 55 युवा आतंकियों का है। हिजबुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद सोशल मीडिया के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों की भर्ती कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार पिछले कुछ दिनों में तकरीबन 75 फीसदी भर्ती दक्षिण कश्मीर से की गई है।

Created On :   23 Jun 2018 12:47 AM IST

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