असम के दो सांसद नहीं है भारतीय नागरिक! NRC की लिस्‍ट में नाम नहीं

two mp of assam are not citizens of india name missing in nrc first list
असम के दो सांसद नहीं है भारतीय नागरिक! NRC की लिस्‍ट में नाम नहीं
असम के दो सांसद नहीं है भारतीय नागरिक! NRC की लिस्‍ट में नाम नहीं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।  असम में 31 दिसंबर को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की पहली लिस्ट जारी की गई।  लिस्ट में 1। 9 करोड़ लोगों को वैध नागरिक के रूप में मान्यता दी गई है, बाकी 1. 39 करोड़ का नाम इस लिस्ट में नहीं है।  नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन राज्य में कानूनी और गैरकानूनी नागरिकों की पहचान के लिए तैयार की गई है। लिस्ट जारी होने के बाद प्रदेश में तनाव का माहौल है।  वहीं नागरिक रजिस्टर में 2 सांसदों बदरुद्दीन अजमल और राधेश्याम बिस्वास का नाम ग़ायब है।  

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सांसद बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि जिनका नाम पहले फेस में नहीं आया उनका नाम सेंकेड फेस में आएगा।  इससे घबराने की कोई जरुरत नहीं।  उन्होंने कहा, अगर हमने पार्लियामेंट में ये मसला उठाया तो आम लोगों में बेचैनी हो जाएगी।  जो असली असम के लोग है उनका नाम नहीं काटा जाएगा।  बदरुद्दीन ने कहा कि इस पर राजनीति चल रही है लेकिन हमें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है कि ये मामला राजनीति के हाथ में नहीं जाएगा और हमें इंसाफ मिलेगा। 

वहीं करीमगंज से सांसद राधेश्याम बिस्वास का नाम भी नागरिक रजिस्टर की पहली लिस्‍ट में नहीं है।  इस पर सांसद राधेश्‍याम बिस्‍वास का कहना है कि मुझे नहीं पता की मेरा नाम क्‍यों नहीं आया।  उन्होंने कहा, कुछ दिन पहले मेरे बच्‍चों का बर्थ सर्टिफिकेट मांगा था, मैंने सारे डॉक्‍यूमेंट दे दिए थे और मुझसे कोई डॉक्‍यूमेंट नहीं मांगा गया।  बिस्वास ने कहा, मेरी पार्टी के तीन सांसद और छह विधायकों का नाम भी नहीं आया है।  इसमें राजनीति हो रही है इसलिए नाम नहीं आया।  


नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन के मामले पर केंद्र सरकार का भी पूरा ध्यान राज्य की स्थिति पर है और केंद्र असम सरकार से लगातार संपर्क में है। जानकारी के अनुसार असम में सुरक्षाबलों को तैयार रहने और वहां जाकर स्थिति को काबू में रखने के आदेश भी दिए गए हैं। 

सोशल मीडिया पर आईटी सेल ने निगरानी बढ़ा दी है और अफवाह फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। सोशल साइटो पर चल रहे अफवाह भरे कॉन्टेंट को हटाया जा रहा है। राज्य में 50 हजार मिलिटरी और पैरा मिलिटरी फोर्स तैनात कर दिया गया है। वहीं राज्य सरकार ने राज्य के लोगों को शांति बनाए रखने के लिए कहा है। 

होम मिनिस्ट्री भी इस मामले पर सरकार के संपर्क में है। केंद्र और राज्य सरकार ने पहले ही आशंका जताई थी कि इस लिस्ट के जारी होने के बाद राज्य में ला ऐंड आर्डर की स्थित खराब हो सकती है

असम में एनआरसी लिस्ट की इसलिए पड़ी जरूरत
बता दें कि असम में बांग्लादेशियों के अवैध रूप से रहने का मामला बहुत ही गंभीर है। इस मुद्दे को लेकर 80 के दशक में तत्कालीन राजीव गांधी सरकार भी कोशिश कर चुकी है लेकिन हल नहीं निकला। तत्कालीन सरकार ने इसको लेकर असम गण परिषद से समझौता भी किया था जिसमें 1971 तक असम में अवैध रूप से रह रहे बांग्लोदशी लोगों को मान्यता देने की बात कही गई थी। लेकिन समझौते पर अमल नहीं हो पाया। 

वहीं इसके बाद 2005 में एक बार फिर इस मुद्दे को लेकर एक बार फिर से राज्य में आंदोलन हुआ जिसके बाद कांग्रेस की राज्य सरकार ने काम शुरू किया लेकिन 2013 तक कोई नतीजा न आने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट के मामले में दखल के बाद ही मौजूदा सरकार ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन के विवादित ड्राफ्ट की पहली लिस्ट को जारी किया। जबकि सरकार अभी इस लिस्ट को जारी करने के पक्ष में नहीं थी।
 

Created On :   2 Jan 2018 2:39 PM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story