TDP के दो मंत्रियों ने पीएम मोदी को सौंपा इस्तीफा, कहा- NDA में रहेंगे लेकिन मंत्रीपद नहीं लेंगे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा न मिलने के बाद टीडीपी और एनडीए गठबंधन टूटने की कगार पर है। आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू के आदेश के बाद टीडीपी के दोनों मंत्री अशोक गजपति राजू और वाईएस रेड्डी चौधरी ने पीएम मोदी से मुलाकात कर इस्तीफा दे दिया है। अशोक गजपति राजू जहां मोदी सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री थे तो वहीं वाईएस चौधरी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री थे। इस्तीफा देने के बाद वाई एस चौधरी ने कहा कि हम एनडीए का हिस्सा बने रहेंगे लेकिन कोई मंत्रीपद नहीं लेंगे। इससे पहले चंद्रबाबू नायडू से पीएम मोदी ने करीब 20 मिनट तक फोन पर बात की थी। बता दें कि विशेष राज्य का दर्जा न मिलने से आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू नाराज है और इसी कारण से उन्होंने मोदी सरकार से अलग होने का फैसला लिया है।
2 बीजेपी मंत्रियों का भी इस्तीफा
इससे पहले गुरुवार को ही केंद्र में मोदी सरकार से हटने के बाद बीजेपी के दो मंत्रियों ने चंद्रबाबू मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। स्वास्थ्य मंत्री कामिनेनी श्रीनिवास और धर्मादा मंत्री पी मनिकलाया राव ने राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री से मुलाकात की और अपने इस्तीफे सौंपे। मुख्यमंत्री ने बीजेपी सदस्यों की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने अपना कर्तव्य अच्छी तरह निभाया। वहीं बीजेपी के मंत्रियों ने मंत्रिमंडल में उन्हें शामिल करने के लिए सीएम का शुक्रिया अदा किया।
चंद्रबाबू का छलका दर्द
केंद्र सरकार से अलग होने के बाद आंध्र प्रदेश विधानसभा में चंद्रबाबू का दर्द छलका था। नायडू ने कहा कि 29 बार दिल्ली जाने के बावजूद हमें प्रधानमंत्री की तरफ से निराशा हाथ लगी। उन्होंने रिश्ते बनाए रखने के लिए अपनी तरफ से पूरा प्रयास किया। केंद्र सरकार से अलग होने के फैसले को चंद्रबाबू ने सही ठहराया। नायडू ने कहा, अरुण जेटली ने बुधवार को जो कहा वो ठीक नहीं है। उन्होंने कहा आप पूर्वोत्तर राज्यों का हाथ मजबूती से थामे हुए हैं, लेकिन आंध्र प्रदेश का नहीं। ये आंध्र प्रदेश के साथ भेदभाव है। बता दें कि बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि, आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता।
नायडू बोले, यह हमारा हक है
अरुण जेटली की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद चंद्र बाबू नायडू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि केंद्र सरकार किए गए वादे को पूरा नहीं कर रही है। उन्होंने कहा था, "हम बजट के दिन से इसकी मांग कर रहे हैं। लेकिन वह हमारी बातों पर कोई जवाब नहीं दे रहे। हमने चार सालों तक इंतजार किया। मैंने केंद्र को सभी तरीकों से समझाने की कोशिश की।" उन्होंने कहा, "एक जिम्मेदार नेता होने के नाते मैंने प्रधानमंत्री को अपने फैसले के बारे में बताने की कोशिश की, लेकिन वह इसके लिए उपलब्ध नहीं हो सके। केंद्र सकार हमारी बात सुनने के मूड में नहीं है। मुझे नहीं पता कि मुझसे क्या गलती हुई है। वह ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं?"
इसलिए नहीं मिल सकता विशेष राज्य का दर्जा
इससे पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस मामले में केन्द्र सरकार का स्टैंड साफ करते हुए कहा था कि जब आंध्र प्रदेश का विभाजन हुआ था तब विशेष राज्य का दर्जा अस्तित्व में था लेकिन 14वें वित्त आयोग ने इस विचार को ही खत्म कर दिया। उन्होंने कहा था कि विशेष दर्जा वास्तव में पूर्वोत्तर के उन राज्यों को मिलता है जिनके पास अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है। जेटली ने कहा था कि विशेष राज्य के दर्जे का यह मतलब नहीं है कि आपको 90/10 के अनुपात का लाभ मिलता है न कि 60/40 का।
इनके पास है विशेष राज्य का दर्जा
- असम
- नगालैंड
- जम्मू और कश्मीर
- अरुणाचल प्रदेश
- मणिपुर
- मेघालय
- मिजोरम
- सिक्किम
- त्रिपुरा
- उत्तराखंड
- हिमाचल प्रदेश
क्या होता है विशेष राज्य का दर्जा?
विशेष दर्जा प्राप्त राज्य को केंद्रीय सहयोग के तहत प्रदान की गई राशि में 90 प्रतिशत अनुदान और 10 प्रतिशत कर्ज होता है। जबकि दूसरी श्रेणी के राज्यों को केंद्रीय सहयोग के तहत 70 प्रतिशत राशि कर्ज के रूप में और 30 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में दी जाती है।
Created On :   8 March 2018 7:04 PM IST