संयुक्त राष्ट्र अदालत ने भारत से मुआवजे का इटली का दावा खारिज किया
- संयुक्त राष्ट्र अदालत ने भारत से मुआवजे का इटली का दावा खारिज किया
नई दिल्ली, 2 जुलाई (आईएएनएस)। संयुक्त राष्ट्र की एक स्वतंत्र अदालत ने इटली को 2012 के नौसेना विवाद मामले में भारत की नौवहन की स्वतंत्र का उल्लंघन करने का दोषी ठहराया और भारत से मुआवजे का उसका दावा खारिज कर दिया।
मछली पकड़ने वाली नौका सेंट एंटनी पर सवार भारत के दो मछुआरों की 15 फरवरी, 2012 को केरल से लगे समुद्र में इटली के दो नौसैनिकों ने कथित तौर पर हत्या कर दी थी। वे एनरिका लेक्सी नामक इटालियन टैंकर पर सवार थे। भारतीय नौसेना ने इटली के टैंकर को रोक लिया और दोनों नौसैनिकों को हिरासत में ले लिया था। इसके बाद कानूनी क्षेत्राधिकार और कामकाजी छूट को लेकर एक अंतर्राष्ट्रीय विवाद शुरू हो गया।
दोनों नौसैनिक क्रमश: दो और चार चाल बाद रिहा किए गए और वे इटली लौट गए। क्षेत्राधिकार से संबंधित विवाद को सुलझाने की जिम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र के मध्यस्थता न्यायाधिकरण को सौंपी गई।
विदेश मंत्रालय की तरफ से गुरुवार को जारी एक बयान के अनुसार, सरकार ने कहा कि इटली के अनुरोध पर 2012 के विवाद के संदर्भ में 2015 में समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र संकल्प (यूएनसीएलओएस) के तहत गठित मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने भारतीय प्रशासन के आचरण को जायज ठहराया।
अदालत ने कहा कि इटली के सैन्य अधिकारियों की कार्रवाई और उसके बाद इटली की कार्रवाई ने यूएनसीएलओएस के अनुच्छेद 87(1)(ए) और 90 के तहत भारत की नौवहन स्वतंत्रता का उल्लंघन किया है।
बयान में कहा गया है कि न्यायाधिकरण ने कहा कि भारत और इटली के पास घटना को लेकर समवर्ती क्षेत्राधिकार है और नौसैनिकों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई के लिए एक वैध कानूनी आधार है। अदालत ने नौसैनिकों को हिरासत में लेने के एवज में इटली के मुआवजे के दावे को भी खारिज कर दिया।
पंचाट ने कहा, हालांकि यह पाया गया है कि स्टेट अधिकारी के रूप में नौसैनिकों को प्राप्त छूट भारतीय अदालतों के क्षेत्राधिकार में एक अपवाद की तरह है और इसलिए यह नौसैनिकों पर निर्णय करने से उन्हें रोकता है।
संयुक्त राष्ट्र अदालत ने उस घटनाक्रम की एक आपराधिक जांच शुरू करने के इटली के वादे को संज्ञान में लिया, जिसके कारण दो भारतीय मछुआरों को जान से हाथ धोना पड़ा था।
न्यायाधिकरण ने यह भी कहा कि भारत को सेंट एंटनी के कैप्टन और चालक दल के सदस्यों को जिंदगी के नुकसान, भौतिक नुकसान, संपत्ति के नुकसान और मानसिक नुकसान के लिए मुआवजा पाने का हक है। मामले में शामिल पक्ष आपस में बातचीत कर भारत को मुआवजा देने के लिए एक धनराशि पर सहमति बनाएं।
इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में नई दिल्ली में सरकार ने कहा कि उसने फैसले को संज्ञान में लिया है और वह इस मामले पर प्रासंगिक निकायों के संपर्क में रहेगी।
Created On :   2 July 2020 9:31 PM IST