उप्र के ज्वेलर ने बनाई अनमोल डायमंड रिंग, गिनीज बुक में नाम दर्ज

UP jeweler creates priceless diamond ring, named in Guinness Book
उप्र के ज्वेलर ने बनाई अनमोल डायमंड रिंग, गिनीज बुक में नाम दर्ज
उप्र के ज्वेलर ने बनाई अनमोल डायमंड रिंग, गिनीज बुक में नाम दर्ज
हाईलाइट
  • उप्र के ज्वेलर ने बनाई अनमोल डायमंड रिंग
  • गिनीज बुक में नाम दर्ज

मेरठ (उप्र), 7 दिसंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में मेरठ के एक ज्वेलर ने अब तक की सबसे ज्यादा हीरों वाली एक अंगूठी बनाकर गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में जगह पा ली है।

इससे पहले यह रिकॉर्ड हैदराबाद के एक ज्वेलर कोटी श्रीकांत के नाम था, जिन्होंने 7,801 हीरों वाली अंगूठी बनाई थी। लेकिन मेरठ के हर्षित बंसल ने मैरीगोल्ड डायमंड रिंग बनाकर ये रिकॉर्ड तोड़ दिया। 8 लेयर वाली 165.45 ग्राम की अंगूठी में 38.08 कैरेट के 12,638 हीरे जड़े हुए हैं।

हर्षित ने कहा, मेरी पत्नी और मैंने 2018 में 6,690 हीरे वाली एक अंगूठी के गिनीज रिकॉर्ड बनाने के बारे में पढ़ा था। उस वक्त मैं मेरठ में अपना स्टोर खोल रहा था। मैंने इसे एक चुनौती के रूप में लिया क्योंकि मेरा मकसद हमेशा कस्टमाइज्ड ज्वेलरी बनाने का रहता है।

इस शानदार अंगूठी को लेकर उन्होंने 2018 में ही काम शुरू कर दिया था और फरवरी 2020 में इसे पूरा किया। हर्षित ने मेरठ में एसआरएम यूनिवर्सिटी से बीबीए और एमबीए करने के बाद सूरत से ज्वैलरी डिजाइनिंग सीखी है।

हर्षित ने बताया कि हमने हर हीरे का विशेष परीक्षण किया था और वे सभी ईएफ कलर वाले और वेरी वेरी स्लाइटली (वीवीएस) क्लेयरिटी वाले हैं जो कि दुनिया भर में आभूषणों में इस्तेमाल होने वाले हीरों की सबसे अच्छी गुणवत्ता है।

यह अंगूठी इंटरनेशनल जेमोलॉजिकल लेबोरेटरी (आईजीआई) द्वारा प्रमाणित है जो वैश्विक स्तर पर हीरे के ज्वेलरी का सर्टिफिकेशन करने वाली सबसे प्रतिष्ठित लैब में से एक है।

डिजाइन को लेकर हर्षित ने कहा, मैं लंबे समय तक इसके लिए डिजाइन तलाशता रहा और आखिरकार यह मुझे मेरे बगीचे में मिली। एक गेंदे के फूल ने मुझे आकर्षित किया और मैंने इसे अपनी उंगलियों के बीच डालकर देखा कि यह कैसा दिखेगा। बस तभी फैसला किया कि यही मेरा डिजाइन होगा।

अंगूठी में प्रत्येक पंखुड़ी विशिष्ट आकार की है और इनमें से कोई भी दूसरे जैसी नहीं है जो इसे और बेमिसाल बनाती है। अंगूठी की कीमत को लेकर उन्होंने कहा, यह अनमोल है। अभी हम इसे अपने पास रखेंगे क्योंकि हम इससे भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं।

एसडीजे-एसकेपी

Created On :   7 Dec 2020 12:42 PM IST

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