आतंकी वलीउल्लाह को 16 साल बाद फांसी की सजा, जानिए क्यों हर वकील ने वलीउल्लाह के नाम से कर ली थी तौबा, हादसे का मंजर देख हो गई थी नफरत

Varanasi serial blast accused Waliullah sentenced to death by court
आतंकी वलीउल्लाह को 16 साल बाद फांसी की सजा, जानिए क्यों हर वकील ने वलीउल्लाह के नाम से कर ली थी तौबा, हादसे का मंजर देख हो गई थी नफरत
वाराणसी सीरियल ब्लास्ट आतंकी वलीउल्लाह को 16 साल बाद फांसी की सजा, जानिए क्यों हर वकील ने वलीउल्लाह के नाम से कर ली थी तौबा, हादसे का मंजर देख हो गई थी नफरत
हाईलाइट
  • 5 अप्रैल 2006 को इस मामले में लखनऊ के गोसाईंगज इलाके से गिरफ्तार किया था।  

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।  वाराणसी में हुए सीरियल बम धमाके के दोषी वलीउल्लाह को गाजियाबाद की अदालत ने फांसी के सजा सुनाई है। 7 मार्च 2006 को हुए वाराणसी के संकट मोचन मंदिर और केंट रेल्वे स्टेशन पर हुए सीरियल ब्लास्ट में  18 लोगों की मौत हो गयी थी,वहीं 35 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। 

 इस मामले को लेकर वलीउल्लाह पहले भी दोषी करार दिया जा चुका है। इसके खिलाफ 6 मुकदमे चल रहे थे। जिनमें से चार में उसे अदालत ने दोषी करार दिया था। बता दें सीरियल ब्लास्ट का आरोपी वली उल्लाहइलाहाबाद के फूलपुर गांव का रहने वाला था, जिसे पुलिस ने 5 अप्रैल 2006 को लखनऊ के गोसाईंगज इलाके से गिरफ्तार किया था।  

केस लड़ने से वकीलों का इंकार

वलीउल्लाह के ऊपर वाराणसी के संकट मोचन मंदिर और  कैंट रेलवे स्टेशन पर सीरियल ब्लास्ट की साजिश रचने व आतंकवाद फैलाने का आरोप है। यह केस पहले वराणसी कोर्ट में था लेकिन वहां के वकीलों ने वलीउल्ला का मुकदना लड़ने से मना कर दिया था। हादसा इतना दर्दनाक था कि उसे देखने वालों को वलीउल्लाह से नफरत हो गई थी। बेदर्दी से मौत का शिकार हुए लोग, हर तरफ बिखरे कट फटे अंग और मास के टुकड़े। बनारस ने इससे पहले शायद ही कभी ऐसा खौफनाक मंजर देखा था। शायद इसलिए वकील भी वलीउल्लाह की पैरवी के लिए तैयार नहीं हुए। इसी वजह से इस केस को गाजियाबाद जिला जज के न्यायालय में ट्रांसफर कर दिया गया था। तभी से इस  केस की सुनवाई गाजियाबाद  में चल रही थी। इस केस की आज अंतिम सुनवाई थी। न्यायाधीश जितेंद्र सिन्हा ने हत्या, आतंक फैलाना, विस्फोटक सामग्री का प्रयोग करना और हत्या के प्रयास जैसे मामलों में वली उल्ला को सजा-ए-मौत की सजा सुनाई है। साथ ही 60 हजार का अर्थदंड भी लगाया है।

एसटीएफ और एटीएस ने की थी दोषी की पहचान 
7 मार्च 2006 को सीरियल ब्लास्ट होने के बाद वहां की स्थिति बड़ी ही भयावह थी। जगह-जगह पड़े मांस के लोथड़ों के बीच ही इसकी जांच शुरू पुलिस की कोशिश यह थी कि जल्द ही आरोपी की पहचान कर उसे पकड़ लिया जाये। लेकिन दहशतगर्दों तक पहुंचने के लिए पुलिस को पास कोई सुराग तक नहीं था। मगर, मामले की जांच पुलिस ने एसटीएफ और एटीएस के साथ मिलकर शुरू की तो कॉल डिटेल के सहारे यह पता चला की बनारस ब्लास्ट को अंजाम देने में किसका हाथ था। बता दें पुलिस ने जांच में यह भी पाया था कि वली उल्लाह इससे पहले कभी भी वराणासी नहीं आया था। कैंट रेलवे स्टेशन और संकट मोचन मंदिर पर हुए सीरियल ब्लास्ट में दर्ज मुकदमे के विवेचक त्रिभुवन नाथ त्रिपाठी ने बताया था कि गिरफ्तारी के बाद वलीउल्लाह के पास से डेटोनेटर और हथियार बरामद किया गया था। 

Created On :   6 Jun 2022 6:00 PM IST

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