Special Story: दिल्ली में सूनी सड़कों पर कुछ इस तरह पुलिस जान जोखिम में डालकर कर रही है जनसेवा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली, 2 मई (आईएएनएस)। लॉकडाउन के दौरान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सूनी सड़कों पर दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम की जिप्सियों और हमारे जवानों को जरूरतमंदों की मदद का खूब मौका मिला है। 1 मई 2020 तक (24 मार्च 2020 से) तक कंट्रोल रूम की जिप्सियों पर मौजूद जवानों ने 2505 से ज्यादा लोगों को अस्पताल पहुंचाया है। इनमें 828 सिर्फ गर्भवती महिलाएं हैं। इन 828 में ही दो गर्भवती विदेशी महिलाओं सहित तीन ऐसे भी बेहद संवेदनशील/चुनौतीपूर्ण प्रकरण, दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम जिप्सियों पर तैनात जवानों के सामने आ गये, जिनमें जिप्सी सड़क किनारे रोककर, गाड़ी के अंदर ही बच्चे को जन्म तक दिलवाना पड़ गया। कोरोना से लड़ी जा रही लड़ाई के दौरान दिल्ली पुलिस की आने वाली पीढ़ियों के लिये यह सब अपने आप में एक रिकार्ड कहिये या फिर किसी धरोहर से कम नहीं होगा।
यह तमाम बातें दिल्ली पुलिस कंट्रोल रुम के डीसीपी (उपायुक्त) शरत कुमार सिन्हा ने खुद आईएएनएस को बताईं। डीसीपी सिन्हा शनिवार को आईएएनएस से विशेष बातचीत कर रहे थे। 24 मार्च 2020 से 1 मई 2020 यानि इतनी लंबी लॉकडाउन अवधि में, किसी मीडिया ग्रुप (आईएएनएस) को डीसीपी दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम शरत कुमार सिन्हा द्वारा दिया गया यह पहला विशेष इंटरव्यू है। उन्होंने आगे कहा कि लॉकडाउन के दौरान सड़कों पर आमजन का आवागमन थमा है। पुलिस, प्रेस, मेडिकल-सेवा से जुड़े लोगों की जिम्मेदारियां इस अवधि में कई गुना ज्यादा बढ़ गयी हैं। ऐसे में दिल्ली पुलिस की जनता के प्रति जबाबदेही भी कहीं ज्यादा बढ़ी है।
डीसीपी ने आगे कहा, दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम की हरसंभव कोशिश है कि मकानों के अंदर रुके किसी भी दिल्लीवासी को यह मलाल न रह जाये कि दिल्ली पुलिस की ओर से उसे फलां मदद लॉकडाउन में नहीं मिल पाई। अब तक लॉकडाउन में दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम का जो भी आउटपुट सामने आया है, हम उसे और बेहतर ही करना चाहते हैं।
आईएएनएस के एक सवाल के जबाब में डीसीपी दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम ने कहा, लॉकडाउन की अवधि में अब तक दिल्ली पुलिस कंट्रोल रुम के जवानों ने जिन 2505 लोगों को अस्पताल पहुंचाया उनमें, 828 तो सिर्फ गर्भवती महिलाएं ही शामिल हैं। इसके अलावा और भी तमाम तरह के जरुरतमंद शामिल रहे हैं। जैसे कि, सड़क हादसों में घायल 176, झगड़ों में जख्मी हुए 589 व 1740 अन्य जरुरतमंदों की भी मदद कंट्रोल रूम जिप्सियों के जरिये हमारे जवानों ने की।
राष्ट्रीय राजधानी की सूनी सड़कों पर भी शराब की तस्करी खूब सामने आ रही है। आखिर ऐसा क्यों? पूछे जाने पर आईएएनएस से डीसीपी शरत कुमार सिन्हा ने कहा, नहीं ऐसी बात नहीं है। रात में 500 से ज्यादा और दिन में 700 से ज्यादा हमारे कंट्रोल रूम की जिप्सियां सड़कों पर मौजूद हैं। दिल्ली की सीमा में अगर पड़ोसी राज्यों से शराब तस्करों ने घुसने की कोशिश की, तो वो हमने नाकाम कर दी। इसी का नतीजा है कि, जिला पुलिस के अलावा, दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम की जिप्सियों पर तैनात हमारे जवानों ने 24 मार्च से 1 मई तक करीब 8705 शराब के क्वार्टर जब्त किये। 11 शराब तस्कर गिरफ्तार किये। एक्साइज एक्ट के तहत 16 वाहन जब्त किये। इनमें 8 चार पहिया, 7 दुपिया और 1 वाहन तिपहिया भी शामिल है।
आईएएनएस के साथ विशेष इंटरव्यू के दौरान डीसीपी कंट्रोल रुम ने आगे कहा, पुलिस कंट्रोल रुम के जवान राजधानी के विभिन्न इलाकों में अब तक 16 अपराधियों को गिरफ्तार कर चुके हैं। इनमें दो लुटेरे, 6 चेन झपटमार, 8 वाहन चोर व दो अन्य श्रेणी के अपराधी शामिल हैं। इसी तरह चार-पहिया के 10 वाहन, 38 दुपहिया वाहन, 4 मोबाइल फोन और 1 चाकू भी पुलिस कंट्रोल की जिप्सियों पर तैनात स्टाफ ने ही जब्त किये हैं।
रोजाना दिल्ली पुलिस कंट्रोल रुम (112 व अन्य सहयोगी हेल्पलाइन्स) पर कितनी कॉल्स आ जाती हैं? पूछे जाने पर शरत कुमार सिन्हा ने कहा, यह संख्या लाखों में पहुंचती है। बिना जरुरत की कॉल्स में समय खराब होने से बचाने को हम कॉल-फिल्टर की मदद लेते हैं। ताकि जरुरी कॉल्स कम समय में अटेंड की जा सकें।
डीसीपी सिन्हा ने कहा, तमाम रोजमर्रा की जरुरतें अब घर में मौजूद लोगों की दिल्ली पुलिस ही पूरी कर रही है। चाहे वो अस्पताल पहुंचाने की बात हो। या फिर घर में दवाई अथवा अन्य कोई जरुरी सामान पहुंचाने की बात। थाने चौकी, ट्रैफिक, पुलिस कंट्रोल रुम सबका सब हमारा स्टाफ दिन रात जनसेवा में ही जुटा है।
डीसीपी कंट्रोल रुम के मुताबिक, पिकेट्स की चैकिंग के वक्त पीसीआर की गाड़ी मौके पर जरुर मौजूद रहती है। राजधानी की जितनी भी बड़ी या फिर औसत भीड़भाड़ वाली मंडियां हैं, वहां भी पीसीआर जिप्सी की मौजूदगी अनवरत रहती है। दिल्ली पुलिस और स्वंय मैं खुद को खुशनसीब मानता हूं कि, दिल्ली पुलिस का सहयोगी स्वभाव आमजन को भा रहा है। यही दिल्ली पुलिस के शांति सेवा और न्यायह्व के मूलमंत्र तक पहुंचाने के लिए पर्याप्त होगा।
2008 बैच के आईपीएस और छह महीने से बतौर दिल्ली पुलिस कंट्रोल रुम डीसीपी (उपायुक्त) काम कर रहे शरत कुमार सिन्हा ने आईएएनएस के साथ विशेष इंटरव्यू के अंत में कहा, दिल्ली पुलिस काम के दबाव को महसूस नहीं कर रही है। सीपी साहब (पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव) से लेकर सिपाही तक जिम्मेदारी के प्रति सजग हैं। हर कोई अपना 100 फीसदी देने में मशरुफ है। कोरोना के कोहराम में हम (दिल्ली पुलिस) आमजन के काम आ पाने की खुशी को इंज्वॉय कर रहे हैं। ताकि कोरोना की कमर टूट जाने के बाद कोई, दिल्ली पुलिस की ईमानदार कोशिश पर उंगली न उठा सके।
Created On :   2 May 2020 9:30 PM IST